गणेश जी के शरीर के कुछ अंगों का महत्व !,Ganesh Jee Ke Shareer Ke Kuchh Angon Ka Mahatv

गणेश जी के शरीर के कुछ अंगों का महत्व

गणेश जी को बुधवार का दिन प्रिय होता है, इसलिए सावन में पड़ने वाले बुधवार के दिन को महत्वपूर्ण माना गया है. वास्तु शास्त्र के मुताबिक, भगवान गणेश की मूर्ति की सूंड बाईं ओर झुकी होनी चाहिए, क्योंकि यह जीवन में सफलता और खुशी का प्रतीक है. दायीं ओर झुकी हुई सूंड सूर्य की शक्ति को दर्शाती है !
गणेश जी को हाथी के सिर वाला हिंदू शुरुआत का देवता माना जाता है. उनके नाम का अर्थ है "लोगों के भगवान" (गण का अर्थ है आम लोग) और "गणों के भगवान" (गणेश गणों के प्रमुख हैं, भूत यजमान हैं). पारंपरिक रूप से किसी भी बड़े उद्यम से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है. वे बुद्धिजीवियों, बैंकरों, शास्त्रियों और लेखकों के संरक्षक हैं !

बड़ा सिर और चौड़ा माथा :-

नेतृत्व करने की क्षमता का प्रतीक

सामुद्रिक शास्त्र के मुताबिक, बड़ा सिर और चौड़ा माथा होने वाले लोग बहुत बुद्धिमान होते हैं. ऐसा माना जाता है कि इन लोगों का प्रीफ़्रंटल कॉर्टेक्स बड़ा होता है, जो मस्तिष्क का विकसित होने वाला आखिरी हिस्सा होता है. इसी हिस्से में मस्तिष्क के कार्यकारी काम होते हैं. समुद्र शास्त्र के मुताबिक, जिन लोगों का माथा चौड़ा और चिकना होता है, वे बहुत गुणी और प्रतिभाशाली होते हैं. ये लोग रचनात्मक होते हैं और आर्ट के क्षेत्र में अपना करियर बनाना पसंद करते हैं. साथ ही, ये कई सामाजिक काम भी करते हैं !

Ganesh Jee Ke Shareer Ke Kuchh Angon Ka Mahatv

छोटी आंखें :-

हर चीज़ का गहराई से अध्ययन करने के बाद ही कोई फ़ैसला लेना चाहिए !
भगवान गणेश की छोटी आंखें, ध्यान लगाने की सीख देती हैं. अंग विज्ञान के मुताबिक, जिन लोगों की आंखें छोटी होती हैं, वे चिंतनशील और गंभीर स्वभाव के होते हैं. गणेश जी की छोटी आंखें, दीर्घदृष्टि का सूचक मानी जाती हैं. इनसे यह संकेत मिलता है कि हर चीज़ को सूक्ष्मता से देखना चाहिए और परखना चाहिए, उसके बाद ही कोई फ़ैसला लेना चाहिए. ऐसा करने से व्यक्ति को कभी धोखा नहीं खाता और जो भी फ़ैसला लेता है, वह सही और सटीक होता है !

बड़े कान

बेहतरीन सुनने की क्षमता और भाग्यशाली होने का प्रतीक !
हिंदू धर्म के मुताबिक, भगवान गणेश जी के बड़े कान का एक रहस्य है कि वे सबकी सुनते हैं और फिर अपनी बुद्धि और विवेक से फ़ैसला लेते हैं. ऐसे में गणेश जी के बड़े कान हमें भी इस बात की सीख देते हैं कि हमें सबकी सुनना चाहिए, लेकिन करना अपने बुद्धि से ही होना चाहिए. किसी दूसरे की बुद्धि पर चलने वाला व्यक्ति कभी भी सफलता हासिल नहीं कर पाता !

लंबी सूंड

हमेशा सक्रिय रहना चाहिए और बुद्धिमत्ता का प्रतीक !
वास्तु शास्त्र के मुताबिक, भगवान गणेश की सूंड बाईं ओर झुकी होनी चाहिए, क्योंकि यह जीवन में सफलता और खुशी का प्रतीक है. दायीं ओर झुकी हुई सूंड सूर्य की शक्ति को दर्शाती है. दाहिनी ओर मुड़ी हुई सूंड वाली गणेश जी की मूर्ति को आक्रामक माना जाता है और उनकी पूजा न करने की सलाह दी जाती है !
विघ्न विनाश, शत्रु पराजय, विजय प्राप्ति, उग्रता और शक्ति प्रदर्शन जैसे कार्यों के लिए ऐसी मूर्ति की पूजा फलदायी मानी जाती है। वहीं बाईं ओर मुड़ी हुई सूंड वाली मूर्ति इड़ा नाड़ी और चंद्रमा से प्रभावित मानी जाती है। स्थाई कार्यों के लिए ऐसी मूर्ति की पूजा की जाती है।

एक दांत

पौराणिक कथा के मुताबिक, महाभारत लिखते समय गणेश जी ने अपने दांत को कलम की तरह इस्तेमाल किया था ! भगवान गणेश को एकदंत इसलिए कहा जाता है क्योंकि युद्ध के दौरान परशुराम जी ने अपने फरसे से उनका एक दांत तोड़ दिया था. एक मान्यता के मुताबिक, गणेश जी के बड़े भाई कार्तिकेय जी ने भी उनकी शरारतों से परेशान होकर उनका एक दांत तोड़ दिया था ! 
एकदंत गणपति, भगवान गणेश के 32 स्वरूपों में से एक है. इस रूप में गणेश जी का पेट दूसरे स्वरूपों के मुकाबले काफ़ी बड़ा होता है. ऐसा माना जाता है कि इस स्वरूप में वे अपने अंदर ब्रह्मांड समाए हुए होते हैं और रास्ते में आने वाली बाधाओं को दूर करते हैं !

चार भुजाएं

मन, बुद्धि, अहंकार, और वातानुकूलित विवेक का प्रतिनिधित्व करती हैं भगवान गणेश की चार भुजाएं चारों दिशा ओं में सर्वव्यापकता और मनुष्य को क्रियाशील रहने का संदेश देती हैं. इन चार भुजाओं का महत्व इस प्रकार है: मन (मानस), बुद्धि (बुद्धि), अहंकार (अहंकार), वातानुकूलित विवेक (चित्त) !

मोदक

गणेश जी का प्रिय भोग है और इसका मतलब है कि आनंद देने वाला और ज्ञान का प्रतीक !
गणेश जी को मोदक बहुत पसंद है और इसलिए भक्त उन्हें प्रसन्न करने के लिए मोदक का भोग लगाते हैं. मान्यता है कि गणेश जी को अगर 21 मोदक चढ़ाए जाते हैं, तो उनके साथ-साथ बाकी के सभी देवी-देवताओं का पेट भी भर जाता है. मोदक का अर्थ खुशी या आनंद होता है और गणेश जी को खुशहाली और शुभ कार्यों का देव माना गया है. इसलिए भी उन्हें मोदक चढ़ाया जाता है

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