महाकाल शायरी ! Mahakal shayari !

महाकाल शायरी  !  Mahakal shayari !

शिव पर दोहे 

संकर प्रिय मम द्रोही, सिव द्रोही मम दास। 
ते नर करहिं कलप भरि, घोर नरक महुँ बास॥ 

अर्थ : भगवान श्री रामचंद्र जी कहते हैं कि जिनको शिव जी प्रिय हैं, किंतु जो मुझसे विरोध रखते हैं, या जो शिव जी से विरोध रखते हैं और मेरे दास बनना चाहते हैं, वे मनुष्य एक कल्प तक घोर नरक में पड़े रहते हैं। इसलिए श्री शंकर जी में और श्री राम जी में कोई ऊँच-नीच का भेद नहीं मानना चाहिए।
 
उमा कहउँ मैं अनुभव अपना। 
सत हरि भजनु जगत सब सपना।।

अर्थ : भगवान शिव माँ पार्वती से कहते हैं - उमा मैं अपना अनुभव बता रहा हूं, केवल हरि का निरंतर स्मरण ही एक मात्र सत्य है बाकी इस जगत में सभी कुछ सिर्फ स्वप्न के समान है। भाव यह है कि जैसे अर्ध निद्रा की अवस्था में मनुष्य कोई स्वप्न देखता है तो, स्वप्न की स्थिति के अनुसार वह सुख या दुख की अनुभूति करता है। लेकिन जाग्रत अवस्था में आते ही वह सभी सुख और दुख की अनुभूति खत्म हो जाती है। ठीक ऐसे ही जब आप भगवान के नाम जाप के महत्व को समझ जाते हैं तो आप इस स्वप्न के संसार की वास्तविकता को समझ जाते हैं और आपका हृदय एक ऐसे आनंद की अनुभूति की और अग्रसर होता है जिसका कभी अंत नहीं हो सकता।

महाकाल शायरी  !  Mahakal shayari !

महाकाल शायरी  !  Mahakal shayari !

हम जिनके दास वो हमारे स्वामी हैं
दुनिया की रक्षा करने वाले
मेरे महाकाल बड़े अंतर्यामी हैं..!!
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हमें अपने भोले पर विश्वास है
हम ना अपने अच्छे से डरते हैं ना बुरे से..!!
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सबका पिघल जाता है ताव
जब आती है महादेव की छाँव..!!
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महाकाल के दर पर क्षमा मांगने पर
महादेव कभी नहीं पूछते कि गलती क्यों की थी..!!
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शांत है तो भोले हैं क्रोध है तो महाकाल
शीतल जल सा निर्मल है
आपकी भक्ति का हर राग..!!
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महादेव मुझे रखना सदा अपने चरणों के पास
आपके सिवा कोई नहीं है मेरे साथ..!
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किस्मत हमारी कैसी भी हो मन तो भोला-भाला है
बहुत ठोकरें खाई हैं हमने
हर बार महादेव ने हमें संभाला है..!
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महाकाल के दीवाने है, महाकाल के भक्त,
कभी थोड़े से नर्म है तो कभी थोड़े से सख्त !
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मोहब्बत का तो पता नहीं पर,
दिल्लगी सिर्फ महाकाल से है !
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कोई पूछता हैं किसके दम पे उछलता हैं तू इतना,
हमने कहा जिसके दम पर चल रही है ये दुनिया,
उन्हीं महाकाल के दम पे उछलता हैं ये दीवाना !
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महाकाल आपसे कुछ छुपा हो,
ऐसी तो कोई बात नही,
आपकी भक्ति ही मेरी पहचान है,
वरना मेरी तो कोई औकात नहीं !
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महाकाल के दीवानों पर
बाबा का नशा कुछ ऐसा होता है,
महाकाल को याद किये बिना
ना वो जगता है और ना ही सोता है !
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महाकाल एक तू ही है मेरा सहारा,
नादान हूँ जैसा भी हूँ भक्त हूँ तुम्हारा,
तू ही दुनिया है मेरी, तू ही जहां मेरा सारा,
तू ही पिता है मेरा और तू स्वामी है हमारा !
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जिस तरह हनुमान जी के सीने में श्री राम मिलेंगे
सीना चीर के देखो मेरा तुमको महाकाल मिलेंगे !
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हम महाकाल के दीवाने हैं सीना तान के घूमते हैं,
महाकाल की भक्ति में ही सदा हम तो रमते है !
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जिस तरह हनुमान जी के सीने में श्री राम मिलेंगे
सीना चीर के देखो मेरा तुमको महाकाल मिलेंगे !
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महाकाल शायरी Attitude
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इतना ना सजा करो मेरे महाकाल
आपको नज़र लग जायेगी,
और उस मिर्ची की क्या औकात जो
आपकी नज़र उतार पाएगी
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तन की जाने, मन की जाने,
जाने चित की चोरी,
उस महाकाल से क्या छिपावे
जिसके हाथ हैं सब की डोरी
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आँधियो में भी जहाँ जलता हुआ
चिराग़ मिल जाएगा,
उस चिराग़ से पूछना महाकाल का पता मिल जाएगा
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दुनिया में अमीर रोता है गरीब रोता है मगर जो
शंकर जी का जयकारा लगाता है
चैन की नींद सोता है..!!
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भोले के द्वार पर आए
और फिर भी दुख सताए
ऐसा हो ही नहीं सकता.!!
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हर दुख का अंत हर समस्या का निवारण है
मेरे महादेव की भक्ति का ऐसा
अनोखा आवरण है..!!
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महाकाल की शरण हमारा सम्मान है
बाबा तेरी छत्रछाया से सब दुखों का निदान है..!!
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दुआओं का पता नहीं मुझे पर इतना जानता हूं
तू कितना भी दुख दे तुझे मैं
दिल से अपना मानता हूं..!!
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