मंगल कवच - Mangal Kavach
मंगल कवच - Mangal Kavach |
मंगल कवच - Mangal Kavach
अस्य श्री अङ्गारक कवचस्तोत्रमहामन्त्रस्य विरूपाक्ष ऋषिः । अनुष्टुप् छन्दः । अङ्गारको देवता । अं बीजम् । गं शक्तिः । रं कीलकम् । मम अङ्गारकग्रहप्रसादसिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः ॥
करन्यासः ॥
आं अङ्गुष्ठाभ्यां नमः । ईं तर्जनीभ्यां नमः ।
ऊं मध्यमाभ्यां नमः । ऐं अनामिकाभ्यां नमः ।
औं कनिष्ठिकाभ्यां नमः । अः करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः ॥
अङ्गन्यासः ॥
आं हृदयाय नमः । ईं शिरसे स्वाहा ।
ऊं शिखायै वषट् । ऐं कवचाय हुम् ।
औं नेत्रत्रयाय वौषट् । अः अस्त्राय फट् ।
भूर्भुवस्सुवरोमिति दिग्बन्धः ॥
ध्यानम्
नमाम्यङ्गारकं देवं रक्ताङ्गं वरभूषणम् ।
जानुस्थं वामहस्ताभ्यां चापेषुवरपाणिनम् ।
चतुर्भुजं मेषवाहं वरदं वसुधाप्रियम् ।
शक्तिशूलगदाखड्गं ज्वालपुञ्जोर्ध्वकेशकम् ॥
मेरुं प्रदक्षिणं कृत्वा सर्वदेवात्मसिद्धिदम् ।
मंगल कवच - Mangal Kavach
अङ्गारकश्शिरो रक्षेत् मुखं वै धरणीसुतः ।
कर्णौ रक्ताम्बरः पातु नेत्रे मे रक्तलोचनः ॥ 1 ॥
नासिकां मे शक्तिधरः कण्ठं मे पातु भौमकः ।
भुजौ तु रक्तमाली च हस्तौ शूलधरस्तथा ॥ 2 ॥
चतुर्भुजो मे हृदयं कुक्षिं रोगापहारकः ।
कटिं मे भूमिजः पातु ऊरू पातु गदाधरः ॥ 3 ॥
जानुजङ्घे कुजः पातु पादौ भौमस्सदा मम ।
सर्वाणि यानि चाङ्गानि रक्षेन्मे मेषवाहनः ॥ 4 ॥
य इदं कवचं दिव्यं सर्वशत्रुविनाशनम् ।
भूतप्रेतपिशाचानां नाशनं सर्वसिद्धिदम् ॥ 5 ॥
सर्वरोगहरं चैव सर्वसम्पत्प्रदं शुभम् ।
भुक्तिमुक्तिप्रदं नॄणां सर्वसौभाग्यवर्धनम् ॥ 6 ॥
ऋणबन्धनमुक्तिर्वै सत्यमेव न संशयः ।
स्तोत्रपाठस्तु कर्तव्यो देवस्याग्रे समाहितः ॥ 7 ॥
रक्तगन्धाक्षतैः पुष्पैर्धूपदीपगुडोदनैः ।
मङ्गलं पूजयित्वा तु मङ्गलेऽहनि सर्वदा ॥ 8 ॥
ब्राह्मणान्भोजयेत्पश्चाच्चतुरो द्वादशाथवा ।
अनेन विधिना यस्तु कृत्वा व्रतमनुत्तमम् ॥ 9 ॥
व्रतं तदेवं कुर्वीत सप्तवारेषु वा यदि ।
तेषां शस्त्राण्युत्पलानि वह्निस्स्याच्चन्द्रशीतलः ॥ 10 ॥
नचैनं व्यथयन्त्यस्मान्मृगपक्षिगजादयः ।
महान्धतमसे प्राप्रे मार्ताण्डस्योदयादिव ॥ 11 ॥
विलयं यान्ति पापानि शतजन्मार्जितानि वै ॥ 12 ॥
इति श्री मंगल कवच या अंगारक कवच।
मंगल देव से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर - Mangal Dev Se Sambandhit Mahatvapoorn Prashn Uttar :-
मंगल एकाक्षरी बीज मंत्र
- ऊँ अं अंगारकाय नम: ऊँ भौं भौमाय नम:।।
मंगल का कितना जप करना चाहिए?
- कुंडली में मंगल के अशुभ प्रभाव के कारण आ रहीं दिक्कतें दूर करने के लिए मंगलवार के दिन मंगल ग्रह के बीज मंत्रों का जाप करना चाहिए। मंगल देव के बीज मंत्र- ओम क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः के 10 हजार जाप 40 दिनों में पूरे करने का विधान है।
मंगल ग्रह को खुश करने के लिए क्या करना चाहिए?
- मंगल देव की कृपा पाने के लिए मंगलवार के दिन स्नान-ध्यान के बाद विधि-विधान से गृह में हनुमान जी की पूजा करें। इस समय हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करें। साथ ही हनुमान जी को बेसन के लड्डू अर्पित करें। अगर आपकी कुंडली में मंगल कमजोर है, तो मंगलवार के दिन हनुमान जी की विधिपूर्वक पूजा करें।
मंगल को कौन से भगवान नियंत्रित करते हैं?
- मंगलवार का दिन भगवान हनुमान को समर्पित है और कहते हैं कि इनका पूजन करने से व्यक्ति को जीवन में आ रहे सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है. Mangalwar Ke Upay: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल दोष है तो कुछ उपाय अपनाने से राहत मिलती है !
मंगल दोष के उपाय
- आप लाल मिर्च, गुड़, लाल रंग के कपड़े, शहद, लाल रंग की मिठाई, मसूर की दाल आदि चीजों का दान करें। लाल मिर्च का दान करने से मंगल दोष का प्रभाव समाप्त हो जाता है। - मंगलवार के दिन स्नान-ध्यान करने के बाद लाल वस्त्र धारण कर विधि-विधान से हनुमान जी की पूजा-उपासना करें। इस समय हनुमान जी को सिंदूर अर्पित करें।
मंगल को शांत करने के लिए क्या करना चाहिए?
- पूजा-पाठ :- कार्तिकेय स्तोत्र का पाठ एवं पूजा, वाल्मीकि रामायण के सुंदरकांड का पाठ, हनुमान चालीसा, बजरंग बाण और हनुमानजी के प्रतिदिन दर्शन, पूजन कर दीपदान, लक्ष्मी स्तोत्र, गणपति स्तोत्र, महागायत्री उपासना आदि में से जो भी संभव हो, वह उपाय करने से मंगल के अनिष्ट शांत होते हैं।
कमजोर मंगल के लक्षण
- वैदिक ज्योतिष में बताया गया है कि यदि किसी जातक की कुंडली में मंगल ग्रह कमजोर स्थिति में है तो उसे व्यक्ति को बेहद गुस्सा आता है. मंगल के कमजोर होने पर मनुष्य के स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ता है !
मंगल किन राशियों में मजबूत है?
- मंगल, उग्र और मुखर ग्रह, हमारी ड्राइव, जुनून और दृढ़ संकल्प को प्रभावित करता है। मंगल मेष राशि के उग्र स्वभाव, वृश्चिक की गहरी भावनाओं और मकर राशि के दृढ़ संकल्प को प्रभावित करता है।
कहां पर है मंगलनाथ मंदिर
- कुंडली में जिस मंगल के मजबूत होने पर जीवन में सब मंगल ही मंगल होता है, उनका मंदिर महाकाल की नगरी उज्जैन में स्थित है. भूमिपुत्र मंगल की यहां पर शिवलिंग के रूप में पूजा की जाती है. हालांकिमहाकाल के भक्त मंगलनाथ भगवान को महादेव का स्वरूप मानते हैं
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