प्रदोष व्रत क्यों किया जाता है और लाभ महत्व !
प्रदोष व्रत के लाभ
शास्त्रों के मुताबिक, प्रदोष व्रत कलयुग में बहुत फलदायी माना जाता है. प्रदोष व्रत करने से जन्म-जन्मान्तर के चक्र से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति मोक्ष मार्ग पर आगे बढ़ता है. पौराणिक कथा के मुताबिक, चंद्रमा को क्षय रोग था, जिससे उन्हें मृत्युतुल्य कष्ट हो रहा था. भगवान शिव ने उस दोष का निवारण कर उन्हें त्रयोदशी के दिन पुन:जीवन प्रदान किया था. इसलिए इस दिन को प्रदोष कहा जाने लगा !
Pradosh Vrat Kyon Kiya Jaata Hai Aur Laabh Mahatv ! |
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत को बहुत पवित्र माना जाता है. हर महीने की त्रयोदशी तिथि को शाम के समय प्रदोष काल कहा जाता है. प्रदोष व्रत में प्रदोष काल में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है. मान्यता है कि प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और माता पार्वती का आशीर्वाद मिलता है. प्रदोष व्रत करने से कई तरह के लाभ मिलते हैं, जैसे : -
- पिता और माता के साथ संबंध अच्छे रहते हैं
- मान-सम्मान की प्राप्ति होती है
- सूर्य दोष से मुक्ति मिलती है
- मन शांत रहता है और एकाग्रता बढ़ती है
- पराक्रम और साहस बढ़ता है
- व्यापार में सफलता मिलती है
- वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है
- व्यक्तित्व में निखार आता है
- पति-पत्नी के बीच संबंध मज़बूत होते हैं
- शनि दोष से मुक्ति मिलती है
प्रदोष व्रत क्यों किया जाता है
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, हर महीने की त्रयोदशी को प्रदोष काल में भगवान शिव कैलाश पर अपने रजत भवन में होते हैं और प्रसन्न होकर नृत्य करते हैं. ऐसा माना जाता है कि जब भगवान शिव प्रसन्न हों, तो उनका पूजन करने से उनकी हर मनोकामना पूरी होती है. इसलिए, प्रदोष व्रत में शाम के समय प्रदोष काल में पूजा करना सबसे शुभ माना जाता है. प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा करने से कई फ़ायदे होते हैं, जैसे:-
- दीर्घायु की प्राप्ति होती है
- व्यक्ति सदा स्वस्थ रहता है
- धन-धान्य, स्त्री-पुत्र और सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है
- हर क्षेत्र में उन्नति मिलती है
- जीवन में सुख-शांति प्राप्त होती है
- भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है
- सभी रोगों से मुक्ति मिलती है
- सुख-समृद्धि मिलती है
प्रदोष व्रत में प्रदोषकाल का बहुत महत्व होता है. शास्त्रों के मुताबिक, प्रदोषकाल सूर्यास्त से दो घंटे (48 मिनट) तक रहता है. कुछ विद्वान इसे सूर्यास्त से दो घंटे पहले और दो घंटे बाद तक भी मान्यता देते हैं. प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा प्रदोषकाल में ही करनी चाहिए. प्रदोष व्रत के दिन ये बातें ध्यान रखनी चाहिए ! इस दौरान तन, मन, और चित्त में लोभ, ईर्ष्या, और क्रोध जैसे विकारों को नहीं लाना चाहिए !त्रयोदशी तिथि के अगले दिन यानी चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव की पूजा करने के बाद भोजन करना चाहिए !
प्रदोष व्रत का महत्व
ऐसा माना जाता है कि इस शुभ दिन पर समर्पण और भक्ति के साथ भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करने से भक्तों की मनचाही इच्छाएं पूर्ण होती हैं। इसके साथ ही जीवन में सौभाग्य, समृद्धि और खुशहाली आती है। वहीं इस दिन कुछ भक्त भगवान शिव की पूजा भगवान नटराज के रूप में भी करते हैं।
जो भी व्यक्ति 11 या 26 प्रदोष व्रत रखते हैं, उन्हें इसका विधिवत उद्यापन भी करवाना चाहिए. शास्त्रों में कहा गया है कि अगर कोई भी 11 व्रत या एक साल के सभी त्रयोदशी व्रत करता है, तो उसकी सभी मनोकामनाएं जल्द पूरी होती हैं
प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति को जीवन में सुख-शांति मिलती है और भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है. प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति को ये फ़ायदे मिलते हैं:-
- दीर्घायु की प्राप्ति होती है
- व्यक्ति सदा नीरोग रहता है
- धन-धान्य, स्त्री-पुत्र और सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है
- हर क्षेत्र में उन्नति मिलती है
- सभी रोगों से मुक्ति प्राप्त होती है
- सुख-समृद्धि मिलती है
- जीवन में सुख-समृद्धि, लक्ष्मी प्राप्त करने का स्वर्णिम अवसर मिलता है
टिप्पणियाँ