सीता जी का जन्म कब और कहां हुआ था
रामायण और रामकथा पर आधारित अन्य ग्रंथों के मुताबिक, सीता का जन्म मिथिला (सीतामढ़ी, बिहार) में हुआ था. वृहद विष्णु पुराण के मुताबिक, सीता का जन्म जनकपुर से लगभग 40 किलोमीटर दूर हुआ था. वाल्मीकि रामायण के मुताबिक, सीता का जन्म जनकपुर में हुआ था. जनकपुर का प्राचीन नाम मिथिला और विदेहनगरी था. जनकपुर के निवासी सीता जी को जानकी देवी कहते हैं. जनकपुर में कई तालाब हैं जिनमें से दो सबसे महत्वपूर्ण हैं धनुष सागर और गंगा सागर !
सीता के जन्म के बारे में दो पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं:-
मिथिला राज्य में भयंकर सूखा पड़ गया था, जिसे देख राजा जनक परेशान थे. तब एक ऋषि ने उन्हें यज्ञ करने और फिर यज्ञ की समाप्ति होने पर धरती पर हल चलाने का सुझाव दिया. राजा जनक ने ऋषि के सुझाव के अनुसार महान यज्ञ करवाया और अंत में धरती जोतने लगे. वे हल जोत ही रहे थे कि अचानक उन्हें धरती में से सोने की डलिया में मिट्टी में लिपटी हुई एक सुंदर कन्या दिखी. उन्होंने उस कन्या को उठाकर हाथों में लिया ! त्रेतायुग में मिथला के राजा जनक जब भूमि में हल जोत रहे थे, तभी उन्हें सीता जी एक स्वर्ण जड़ित बक्से में मिली थीं !
वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को माता सीता की उत्पत्ति हुई थी. इस वजह से इस दिन जानकी जयंती मनाई जाती है !
Seeta Jee Ka Janm Kab Aur Kahaan Hua Tha |
सीता जन्म से जुड़ी बातें
हिंदू पौराणिक कथाओं के मुताबिक, माता सीता का जन्म वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी को मिथिला (बिहार) में हुआ था. हालांकि, सीता के जन्मस्थान को लेकर भारत में अलग-अलग मान्यताएं हैं. कुछ लोगों का मानना है कि सीता का जन्म बिहार के सीतामढ़ी ज़िले के पुनौरा गांव में हुआ था. वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि सीता का जन्म जनकपुर में हुआ था, जो अब नेपाल में है. वृहद विष्णु पुराण के मुताबिक, सीता का जन्म जनकपुर से करीब 40 किलोमीटर दूर हुआ था. नेपाल में सीता मां के कथित जन्मस्थल और भारत की इस जगह के बीच भी करीब इतनी ही दूरी है !
सीता के जन्म से जुड़ी एक कथा के मुताबिक, यज्ञ खत्म होने के बाद राजा जनक खेत जोत रहे थे, तभी उनके हल का नुकीला हिस्सा किसी कठोर चीज़ से टकरा गया और हल अटक गया. जब उस जगह खुदाई की गई, तो वहां एक कलश मिला जिसमें एक सुंदर कन्या थी. राजा जनक ने उस कन्या को कलश से बाहर निकाला और उसे अपनी बेटी के रूप में स्वीकार कर लिया. चूंकि हल के उस हिस्से से टकराकर माता सीता मिलीं थीं, जिसे सीत कहा जाता है, इसलिए उनका नाम सीता रखा गया. वहीं, जनक ने अपनी बेटी को जानकी भी कहा !
सीता जी के जन्म से जुड़ी कुछ और बातें:-
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, जब राजा जनक सन्तान प्राप्ति की कामना से यज्ञ की ज़मीन तैयार करने के लिए हल से ज़मीन जोत रहे थे, तब उन्हें पृथ्वी से एक कलश में कन्या मिली थी. हल से जोती हुई ज़मीन को सीता कहा जाता है और हल के आगे की नोक को सीत कहते हैं. इसलिए उस कन्या का नाम सीता रखा गया.
- सीता जी को लक्ष्मी जी का अवतार भी माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि जब विष्णु जी के अवतार के रूप में भगवान श्री राम ने धरती पर अवतार लिया, तब माता सीता ने लक्ष्मी के अवतार के रूप में जन्म लिया.
- सीता जी को जानकी, जनकात्मजा, जनकसुता, मैथिली, भूमिपुत्री, और भूसुता भी कहा जाता है.
- सीता जी को भगवान श्री राम की धर्मपत्नी माना जाता है. वे अपने त्याग और समर्पण के लिए पूजनीय हैं.
- सीता जी एक आदर्श पत्नी मानी जाती हैं. उन्होंने अपने दोनों पुत्रों लव-कुश को वाल्मीकि के आश्रम में अच्छे संस्कार देकर उन्हें तेजस्वी बनाया.
- सीता जी का चरित्र संघर्षों में भी शुद्ध, सरल, सात्विक, शिक्ष !
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