श्री महासरस्वती सहस्रनाम स्तोत्र ! Sri Mahasaraswati Sahasranama Stotra !

श्री महासरस्वती सहस्रनाम स्तोत्र ! Sri Mahasaraswati Sahasranama Stotra !

श्री महासरस्वती सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ करने से मां सरस्वती जल्दी प्रसन्न होती हैं. इस स्तोत्र के पाठ से ज्ञान, बुद्धि, विचारों की स्पष्टता, प्रभावशाली और स्पष्ट वाणी, अच्छी शब्दावली, प्रतिभाओं को प्राप्त करने और निखारने में मदद मिलती है. यह पूजा व्यक्ति के सुस्त स्वभाव को दूर कर उसे सक्रिय, फुर्तीला और ऊर्जावान बनाती है !
सरस्वती जी के 108 नाम और मंत्रों के जाप से बल, बुद्धि, और विद्या की प्राप्ति होती है. माँ सरस्वती की पूजा के समय यह श्लोक पढ़ने से मां की असीम कृपा प्राप्त होती है. शक्तिशाली सरस्वती मंत्र का जाप करने से शानदार स्मृति विकसित होती है. बसंत पंचमी पर, भक्त शक्तिशाली मंत्रों के जाप के माध्यम से देवी सरस्वती का आशीर्वाद पा सकते हैं. ये मंत्र, जैसे 'ओम ऐं वाग्देव्यै विद्महे कामराजाय धीमहि' और 'ओम ऐं ऐं ऐं ह्रीं ह्रीं ह्रीं सरस्वत्यै नमः', ज्ञान, ज्ञान और कलात्मक अभिव्यक्ति के लिए देवी की कृपा का आह्वान करते हैं. शास्त्रों के अनुसार, “ॐ श्री श्री महा सरस्वती देवी भगवती नम:” मंत्र के जाप से मां सरस्वती जल्दी प्रसन्न होती हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है. मां सरस्वती की कृपा से बल, वृद्धि, और विद्या में वृद्धि होती है. सरस्वती बीज मंत्र का 108 बार जाप करने की सलाह दी जाती है !

Sri Mahasaraswati Sahasranama Stotra !

श्री महासरस्वती सहस्रनाम स्तोत्र ! Sri Mahasaraswati Sahasranama Stotra 

ध्यानम्

श्रीमच्चन्दनचर्चितोज्ज्वलवपुः शुक्लाम्बरा मल्लिका-मालालालित कुन्तला प्रविलसन्मुक्तावलीशोभना।
सर्वज्ञाननिधानपुस्तकधरा रुद्राक्षमालाङ्किता वाग्देवी वदनाम्बुजे वसतु मे त्रैलोक्यमाता शुभा॥

श्री नारद उवाच

भगवन् परमेशान सर्वलोकैकनायक।
कथं सरस्वती साक्षात्प्रसन्ना परमेष्ठिनः॥१॥

कथं देव्या महावाण्याः सतत्प्राप सुदुर्लभम्।
एतन्मे वद तत्त्वेन महायोगीश्वरप्रभो॥२॥

श्री सनत्कुमार उवाच

साधु पृष्टं त्वया ब्रह्मन् गुह्याद्गुह्यमनुत्तमम्।
भयानुगोपितं यत्नादिदानीं सत्प्रकाश्यते॥३॥

पुरा पितामहं दृष्ट्वा जगत्स्थावरजङ्गमम्।
निर्विकारं निराभासं स्तम्भीभूतमचेतसम्॥४॥

सृष्ट्वा त्रैलोक्यमखिलं वागभावात्तथाविधम्।
आधिक्याभावतः स्वस्य परमेष्ठी जगद्गुरुः॥५॥

दिव्यवर्षायुतं तेन तपो दुष्करमुत्तमम्।
ततः कदाचित्सञ्जाता वाणी सर्वार्थशोभिता॥६॥

अहमस्मि महाविद्या सर्ववाचामधीश्वरी।
मम नाम्नां सहस्रं तु उपदेक्ष्याम्यनुत्तमम्॥७॥

अनेन संस्तुता नित्यं पत्नी तव भवाम्यहम्।
त्वया सृष्टं जगत्सर्वं वाणीयुक्तं भविष्यति॥८॥

इदं रहस्यं परमं मम नामसहस्रकम्।
सर्वपापौघशमनं महासारस्वतप्रदम्॥९॥

महाकवित्वदं लोके वागीशत्वप्रदायकम्।
त्वं वा परः पुमान्यस्तु स्तवेनानेन तोषयेत्॥१०॥

तस्याहं किङ्करी साक्षाद्भविष्यामि न संशयः।
इत्युक्त्वाऽन्तर्दधे वाणी तदारभ्य पितामहः॥११॥

स्तुत्वा स्तोत्रेण दिव्येन तत्पतित्वमवाप्तवान्।
वाणीयुक्तं जगत्सर्वं तदारभ्याभवन्मुने॥१२॥

तत्तेहं सम्प्रवक्ष्यामि शृणु यत्नेन नारद।
सावधानमना भूत्वा क्षणं शुद्धो मुनीश्वरः॥१३॥

श्री महासरस्वती सहस्रनाम स्तोत्र ! Sri Mahasaraswati Sahasranama Stotra!

वाग्वाणी वरदा वन्द्या वरारोहा वरप्रदा।
वृत्तिर्वागीश्वरी वार्ता वरा वागीशवल्लभा॥१॥

विश्वेश्वरी विश्ववन्द्या विश्वेशप्रियकारिणी।
वाग्वादिनी च वाग्देवी वृद्धिदा वृद्धिकारिणी॥२॥

वृद्धिर्वृद्धा विषघ्नी च वृष्टिर्वृष्टिप्रदायिनी।
विश्वाराध्या विश्वमाता विश्वधात्री विनायका॥३॥

विश्वशक्तिर्विश्वसारा विश्वा विश्वविभावरी।
वेदान्तवेदिनी वेद्या वित्ता वेदत्रयात्मिका॥४॥

वेदज्ञा वेदजननी विश्वा विश्वविभावरी।
वरेण्या वाङ्मयी वृद्धा विशिष्टप्रियकारिणी॥५॥

विश्वतोवदना व्याप्ता व्यापिनी व्यापकात्मिका।
व्याळघ्नी व्याळभूषाङ्गी विरजा वेदनायिका॥६॥

वेदवेदान्तसंवेद्या वेदान्तज्ञानरूपिणी।
विभावरी च विक्रान्ता विश्वामित्रा विधिप्रिया॥७॥

वरिष्ठा विप्रकृष्टा च विप्रवर्यप्रपूजिता।
वेदरूपा वेदमयी वेदमूर्तिश्च वल्लभा॥८॥

गौरी गुणवती गोप्या गन्धर्वनगरप्रिया।
गुणमाता गुहान्तस्था गुरुरूपा गुरुप्रिया॥९॥

गिरिविद्या गानतुष्टा गायकप्रियकारिणी।
गायत्री गिरिशाराध्या गीर्गिरीशप्रियङ्करी॥१०॥

श्री महासरस्वती सहस्रनाम स्तोत्र ! Sri Mahasaraswati Sahasranama Stotra !

गिरिज्ञा ज्ञानविद्या च गिरिरूपा गिरीश्वरी।
गीर्माता गणसंस्तुत्या गणनीयगुणान्विता॥११॥

गूढरूपा गुहा गोप्या गोरूपा गौर्गुणात्मिका।
गुर्वी गुर्वम्बिका गुह्या गेयजा ग्रहनाशिनी॥१२॥

गृहिणी गृहदोषघ्नी गवघ्नी गुरुवत्सला।
गृहात्मिका गृहाराध्या गृहबाधाविनाशिनी॥१३॥

गङ्गा गिरिसुता गम्या गजयाना गुहस्तुता।
गरुडासनसंसेव्या गोमती गुणशालिनी॥१४॥

शारदा शाश्वती शैवी शाङ्करी शङ्करात्मिका।
श्रीः शर्वाणी शतघ्नी च शरच्चन्द्रनिभानना॥१५॥

शर्मिष्ठा शमनघ्नी च शतसाहस्ररूपिणी।
शिवा शम्भुप्रिया श्रद्धा श्रुतिरूपा श्रुतिप्रिया॥१६॥

शुचिष्मती शर्मकरी शुद्धिदा शुद्धिरूपिणी।
शिवा शिवङ्करी शुद्धा शिवाराध्या शिवात्मिका॥१७॥

श्रीमती श्रीमयी श्राव्या श्रुतिः श्रवणगोचरा।
शान्तिः शान्तिकरी शान्ता शान्ताचारप्रियङ्करी॥१८॥

शीललभ्या शीलवती श्रीमाता शुभकारिणी।
शुभवाणी शुद्धविद्या शुद्धचित्तप्रपूजिता॥१९॥

श्रीकरी श्रुतपापघ्नी शुभाक्षी शुचिवल्लभा।
शिवेतरघ्नी शबरी श्रवणीयगुणान्विता॥२०॥

शारी शिरीषपुष्पाभा शमनिष्ठा शमात्मिका।
शमान्विता शमाराध्या शितिकण्ठप्रपूजिता॥२१॥

शुद्धिः शुद्धिकरी श्रेष्ठा श्रुतानन्ता शुभावहा।
सरस्वती च सर्वज्ञा सर्वसिद्धिप्रदायिनी॥२२॥

सरस्वती च सावित्री सन्ध्या सर्वेप्सितप्रदा।
सर्वार्तिघ्नी सर्वमयी सर्वविद्याप्रदायिनी॥२३॥

सर्वेश्वरी सर्वपुण्या सर्गस्थित्यन्तकारिणी।
सर्वाराध्या सर्वमाता सर्वदेवनिषेविता॥२४॥

सर्वैश्वर्यप्रदा सत्या सती सत्वगुणाश्रया।
स्वरक्रमपदाकारा सर्वदोषनिषूदिनी॥२५॥

सहस्राक्षी सहस्रास्या सहस्रपदसंयुता।
सहस्रहस्ता साहस्रगुणालङ्कृतविग्रहा॥२६॥

सहस्रशीर्षा सद्रूपा स्वधा स्वाहा सुधामयी।
षड्ग्रन्थिभेदिनी सेव्या सर्वलोकैकपूजिता॥२७॥

स्तुत्या स्तुतिमयी साध्या सवितृप्रियकारिणी।
संशयच्छेदिनी साङ्ख्यवेद्या सङ्ख्या सदीश्वरी॥२८॥

सिद्धिदा सिद्धसम्पूज्या सर्वसिद्धिप्रदायिनी।
सर्वज्ञा सर्वशक्तिश्च सर्वसम्पत्प्रदायिनी॥२९॥

सर्वाशुभघ्नी सुखदा सुखा संवित्स्वरूपिणी।
सर्वसम्भीषणी सर्वजगत्सम्मोहिनी तथा॥३०॥

सर्वप्रियङ्करी सर्वशुभदा सर्वमङ्गळा।
सर्वमन्त्रमयी सर्वतीर्थपुण्यफलप्रदा॥३१॥

सर्वपुण्यमयी सर्वव्याधिघ्नी सर्वकामदा।
सर्वविघ्नहरी सर्ववन्दिता सर्वमङ्गळा॥३२॥

सर्वमन्त्रकरी सर्वलक्ष्मीः सर्वगुणान्विता।
सर्वानन्दमयी सर्वज्ञानदा सत्यनायिका॥३३॥

सर्वज्ञानमयी सर्वराज्यदा सर्वमुक्तिदा।
सुप्रभा सर्वदा सर्वा सर्वलोकवशङ्करी॥३४॥

सुभगा सुन्दरी सिद्धा सिद्धाम्बा सिद्धमातृका।
सिद्धमाता सिद्धविद्या सिद्धेशी सिद्धरूपिणी॥३५॥

सुरूपिणी सुखमयी सेवकप्रियकारिणी।
स्वामिनी सर्वदा सेव्या स्थूलसूक्ष्मापराम्बिका॥३६॥

साररूपा सरोरूपा सत्यभूता समाश्रया।
सितासिता सरोजाक्षी सरोजासनवल्लभा॥३७॥

श्री महासरस्वती सहस्रनाम स्तोत्र ! Sri Mahasaraswati Sahasranama Stotra !

सरोरुहाभा सर्वाङ्गी सुरेन्द्रादिप्रपूजिता।
महादेवी महेशानी महासारस्वतप्रदा॥३८॥

महासरस्वती मुक्ता मुक्तिदा मलनाशिनी।
महेश्वरी महानन्दा महामन्त्रमयी मही॥३९॥

महालक्ष्मीर्महाविद्या माता मन्दरवासिनी।
मन्त्रगम्या मन्त्रमाता महामन्त्रफलप्रदा॥४०॥

महामुक्तिर्महानित्या महासिद्धिप्रदायिनी।
महासिद्धा महामाता महदाकारसंयुता॥४१॥

महा महेश्वरी मूर्तिर्मोक्षदा मणिभूषणा।
मेनका मानिनी मान्या मृत्युघ्नी मेरुरूपिणी॥४२॥

मदिराक्षी मदावासा मखरूपा मखेश्वरी।
महामोहा महामाया मातॢणां मूर्ध्निसंस्थिता॥४३॥

महापुण्या मुदावासा महासम्पत्प्रदायिनी।
मणिपूरैकनिलया मधुरूपा महोत्कटा॥४४॥

महासूक्ष्मा महाशान्ता महाशान्तिप्रदायिनी।
मुनिस्तुता मोहहन्त्री माधवी माधवप्रिया॥४५॥

मा महादेवसंस्तुत्या महिषीगणपूजिता।
मृष्टान्नदा च माहेन्द्री महेन्द्रपददायिनी॥४६॥

मतिर्मतिप्रदा मेधा मर्त्यलोकनिवासिनी।
मुख्या महानिवासा च महाभाग्यजनाश्रिता॥४७॥

महिळा महिमा मृत्युहारी मेधाप्रदायिनी।
मेध्या महावेगवती महामोक्षफलप्रदा॥४८॥

महाप्रभाभा महती महादेवप्रियङ्करी।
महापोषा महर्द्धिश्च मुक्ताहारविभूषणा॥४९॥

माणिक्यभूषणा मन्त्रा मुख्यचन्द्रार्धशेखरा।
मनोरूपा मनःशुद्धिर्मनःशुद्धिप्रदायिनी॥५०॥

महाकारुण्यसम्पूर्णा मनोनमनवन्दिता।
महापातकजालघ्नी मुक्तिदा मुक्तभूषणा॥५१॥

मनोन्मनी महास्थूला महाक्रतुफलप्रदा।
महापुण्यफलप्राप्या मायात्रिपुरनाशिनी॥५२॥

महानसा महामेधा महामोदा महेश्वरी।
मालाधरी महोपाया महातीर्थफलप्रदा॥५३॥

महामङ्गळसम्पूर्णा महादारिद्र्यनाशिनी।
महामखा महामेघा महाकाळी महाप्रिया॥५४॥

महाभूषा महादेहा महाराज्ञी मुदालया।
भूरिदा भाग्यदा भोग्या भोग्यदा भोगदायिनी॥५५॥

भवानी भूतिदा भूतिर्भूमिर्भूमिसुनायिका।
भूतधात्री भयहरी भक्तसारस्वतप्रदा॥५६॥

भुक्तिर्भुक्तिप्रदा भेकी भक्तिर्भक्तिप्रदायिनी।
भक्तसायुज्यदा भक्तस्वर्गदा भक्तराज्यदा॥५७॥

भागीरथी भवाराध्या भाग्यासज्जनपूजिता।
भवस्तुत्या भानुमती भवसागरतारणी॥५८॥

भूतिर्भूषा च भूतेशी भाललोचनपूजिता।
भूता भव्या भविष्या च भवविद्या भवात्मिका॥५९॥

बाधापहारिणी बन्धुरूपा भुवनपूजिता।
भवघ्नी भक्तिलभ्या च भक्तरक्षणतत्परा॥६०॥

भक्तार्तिशमनी भाग्या भोगदानकृतोद्यमा।
भुजङ्गभूषणा भीमा भीमाक्षी भीमरूपिणी॥६१॥

भाविनी भ्रातृरूपा च भारती भवनायिका।
भाषा भाषावती भीष्मा भैरवी भैरवप्रिया॥६२॥

भूतिर्भासितसर्वाङ्गी भूतिदा भूतिनायिका।
भास्वती भगमाला च भिक्षादानकृतोद्यमा॥६३॥

भिक्षुरूपा भक्तिकरी भक्तलक्ष्मीप्रदायिनी।
भ्रान्तिघ्ना भ्रान्तिरूपा च भूतिदा भूतिकारिणी॥६४॥

श्री महासरस्वती सहस्रनाम स्तोत्र ! Sri Mahasaraswati Sahasranama Stotra !

भिक्षणीया भिक्षुमाता भाग्यवद्दृष्टिगोचरा।
भोगवती भोगरूपा भोगमोक्षफलप्रदा॥६५॥

भोगश्रान्ता भाग्यवती भक्ताघौघविनाशिनी।
ब्राह्मी ब्रह्मस्वरूपा च बृहती ब्रह्मवल्लभा॥६६॥

ब्रह्मदा ब्रह्ममाता च ब्रह्माणी ब्रह्मदायिनी।
ब्रह्मेशी ब्रह्मसंस्तुत्या ब्रह्मवेद्या बुधप्रिया॥६७॥

बालेन्दुशेखरा बाला बलिपूजाकरप्रिया।
बलदा बिन्दुरूपा च बालसूर्यसमप्रभा॥६८॥

ब्रह्मरूपा ब्रह्ममयी ब्रध्नमण्डलमध्यगा।
ब्रह्माणी बुद्धिदा बुद्धिर्बुद्धिरूपा बुधेश्वरी॥६९॥

बन्धक्षयकरी बाधनाशनी बन्धुरूपिणी।
बिन्द्वालया बिन्दुभूषा बिन्दुनादसमन्विता॥७०॥

बीजरूपा बीजमाता ब्रह्मण्या ब्रह्मकारिणी।
बहुरूपा बलवती ब्रह्मजा ब्रह्मचारिणी॥७१॥

ब्रह्मस्तुत्या ब्रह्मविद्या ब्रह्माण्डाधिपवल्लभा।
ब्रह्मेशविष्णुरूपा च ब्रह्मविष्ण्वीशसंस्थिता॥७२॥

बुद्धिरूपा बुधेशानी बन्धी बन्धविमोचनी।
अक्षमालाऽक्षराकाराऽक्षराऽक्षरफलप्रदा॥७३॥

अनन्ताऽऽनन्दसुखदाऽनन्तचन्द्रनिभानना।
अनन्तमहिमाऽघोराऽनन्तगम्भीरसम्मिता॥७४॥

अदृष्टाऽदृष्टदाऽनन्ताऽदृष्टभाग्यफलप्रदा।
अरुन्धत्यव्ययीनाथाऽनेकसद्गुणसंयुता॥७५॥

अनेकभूषणाऽदृश्याऽनेकलेखनिषेविता।
अनन्ताऽनन्तसुखदाऽघोराऽघोरस्वरूपिणी॥७६॥

अशेषदेवतारूपाऽमृतरूपाऽमृतेश्वरी।
अनवद्याऽनेकहस्ताऽनेकमाणिक्यभूषणा॥७७॥

अनेकविघ्नसंहर्त्री ह्यनेकाभरणान्विता।
अविद्याऽज्ञानसंहर्त्री ह्यविद्याजालनाशिनी॥७८॥

अभिरूपाऽनवद्याङ्गी ह्यप्रतर्क्यगतिप्रदा।
अकळङ्कारूपिणी च ह्यनुग्रहपरायणा॥७९॥

अम्बरस्थाऽम्बरमयाऽम्बरमालाऽम्बुजेक्षणा।
अम्बिकाऽब्जकराऽब्जस्थांऽशुमत्यंशुशतान्विता॥८०॥

अम्बुजाऽनवराऽखण्डाऽम्बुजासनमहाप्रिया।
अजरामरसंसेव्याऽजरसेवितपद्युगा॥८१॥

अतुलार्थप्रदाऽर्थैक्याऽत्युदारा त्वभयान्विता।
अनाथवत्सलाऽनन्तप्रियाऽनन्तेप्सितप्रदा॥८२॥

अम्बुजाक्ष्यम्बुरूपाऽम्बुजातोद्भवमहाप्रिया।
अखण्डा त्वमरस्तुत्याऽमरनायकपूजिता॥८३॥

अजेया त्वजसङ्काशाऽज्ञाननाशिन्यभीष्टदा।
अक्ताऽघनेना चास्त्रेशी ह्यलक्ष्मीनाशिनी तथा॥८४॥

अनन्तसाराऽनन्तश्रीरनन्तविधिपूजिता।
अभीष्टाऽमर्त्यसम्पूज्या ह्यस्तोदयविवर्जिता॥८५॥

आस्तिकस्वान्तनिलयाऽस्त्ररूपाऽस्त्रवती तथा।
अस्खलत्यस्खलद्रूपाऽस्खलद्विद्याप्रदायिनी॥८६॥

अस्खलत्सिद्धिदाऽऽनन्दाऽम्बुजाताऽमरनायिका।
अमेयाऽशेषपापघ्न्यक्षयसारस्वतप्रदा॥८७॥

जया जयन्ती जयदा जन्मकर्मविवर्जिता।
जगत्प्रिया जगन्माता जगदीश्वरवल्लभा॥८८॥

जातिर्जया जितामित्रा जप्या जपनकारिणी।
जीवनी जीवनिलया जीवाख्या जीवधारिणी॥८९॥

जाह्नवी ज्या जपवती जातिरूपा जयप्रदा।
जनार्दनप्रियकरी जोषनीया जगत्स्थिता॥९०॥

जगज्ज्येष्ठा जगन्माया जीवनत्राणकारिणी।
जीवातुलतिका जीवजन्मी जन्मनिबर्हणी॥९१॥

जाड्यविध्वंसनकरी जगद्योनिर्जयात्मिका।
जगदानन्दजननी जम्बूश्च जलजेक्षणा॥९२॥

जयन्ती जङ्गपूगघ्नी जनितज्ञानविग्रहा।
जटा जटावती जप्या जपकर्तृप्रियङ्करी॥९३॥

जपकृत्पापसंहर्त्री जपकृत्फलदायिनी।
जपापुष्पसमप्रख्या जपाकुसुमधारिणी॥९४॥

जननी जन्मरहिता ज्योतिर्वृत्यभिदायिनी।
जटाजूटनचन्द्रार्धा जगत्सृष्टिकरी तथा॥९५॥

जगत्त्राणकरी जाड्यध्वंसकर्त्री जयेश्वरी।
जगद्बीजा जयावासा जन्मभूर्जन्मनाशिनी॥९६॥

जन्मान्त्यरहिता जैत्री जगद्योनिर्जपात्मिका।
जयलक्षणसम्पूर्णा जयदानकृतोद्यमा॥९७॥

जम्भराद्यादिसंस्तुत्या जम्भारिफलदायिनी।
जगत्त्रयहिता ज्येष्ठा जगत्त्रयवशङ्करी॥९८॥

जगत्त्रयाम्बा जगती ज्वाला ज्वालितलोचना।
ज्वालिनी ज्वलनाभासा ज्वलन्ती ज्वलनात्मिका॥९९॥

जितारातिसुरस्तुत्या जितक्रोधा जितेन्द्रिया।
जरामरणशून्या च जनित्री जन्मनाशिनी॥१००॥

जलजाभा जलमयी जलजासनवल्लभा।
जलजस्था जपाराध्या जनमङ्गळकारिणी॥१०१॥

कामिनी कामरूपा च काम्या कामप्रदायिनी।
कमाली कामदा कर्त्री क्रतुकर्मफलप्रदा॥१०२॥

श्री महासरस्वती सहस्रनाम स्तोत्र ! Sri Mahasaraswati Sahasranama Stotra !

कृतघ्नघ्नी क्रियारूपा कार्यकारणरूपिणी।
कञ्जाक्षी करुणारूपा केवलामरसेविता॥१०३॥

कल्याणकारिणी कान्ता कान्तिदा कान्तिरूपिणी।
कमला कमलावासा कमलोत्पलमालिनी॥१०४॥

कुमुद्वती च कल्याणी कान्तिः कामेशवल्लभा।
कामेश्वरी कमलिनी कामदा कामबन्धिनी॥१०५॥

कामधेनुः काञ्चनाक्षी काञ्चनाभा कलानिधिः।
क्रिया कीर्तिकरी कीर्तिः क्रतुश्रेष्ठा कृतेश्वरी॥१०६॥

क्रतुसर्वक्रियास्तुत्या क्रतुकृत्प्रियकारिणी।
क्लेशनाशकरी कर्त्री कर्मदा कर्मबन्धिनी॥१०७॥

कर्मबन्धहरी कृष्टा क्लमघ्नी कञ्जलोचना।
कन्दर्पजननी कान्ता करुणा करुणावती॥१०८॥

क्लीङ्कारिणी कृपाकारा कृपासिन्धुः कृपावती।
करुणार्द्रा कीर्तिकरी कल्मषघ्नी क्रियाकरी॥१०९॥

क्रियाशक्तिः कामरूपा कमलोत्पलगन्धिनी।
कला कलावती कूर्मी कूटस्था कञ्जसंस्थिता॥११०॥

काळिका कल्मषघ्नी च कमनीयजटान्विता।
करपद्मा कराभीष्टप्रदा क्रतुफलप्रदा॥१११॥

कौशिकी कोशदा काव्या कर्त्री कोशेश्वरी कृशा।
कूर्मयाना कल्पलता कालकूटविनाशिनी॥११२॥

कल्पोद्यानवती कल्पवनस्था कल्पकारिणी।
कदम्बकुसुमाभासा कदम्बकुसुमप्रिया॥११३॥

कदम्बोद्यानमध्यस्था कीर्तिदा कीर्तिभूषणा।
कुलमाता कुलावासा कुलाचारप्रियङ्करी॥११४॥

कुलानाथा कामकला कलानाथा कलेश्वरी।
कुन्दमन्दारपुष्पाभा कपर्दस्थितचन्द्रिका॥११५॥

कवित्वदा काव्यमाता कविमाता कलाप्रदा।
तरुणी तरुणीताता ताराधिपसमानना॥११६॥

तृप्तिस्तृप्तिप्रदा तर्क्या तपनी तापिनी तथा।
तर्पणी तीर्थरूपा च त्रिदशा त्रिदशेश्वरी॥११७॥

त्रिदिवेशी त्रिजननी त्रिमाता त्र्यम्बकेश्वरी।
त्रिपुरा त्रिपुरेशानी त्र्यम्बका त्रिपुराम्बिका॥११८॥

त्रिपुरश्रीस्त्रयीरूपा त्रयीवेद्या त्रयीश्वरी।
त्रय्यन्तवेदिनी ताम्रा तापत्रितयहारिणी॥११९॥

तमालसदृशी त्राता तरुणादित्यसन्निभा।
त्रैलोक्यव्यापिनी तृप्ता तृप्तिकृत्तत्त्वरूपिणी॥१२०॥

तुर्या त्रैलोक्यसंस्तुत्या त्रिगुणा त्रिगुणेश्वरी।
त्रिपुरघ्नी त्रिमाता च त्र्यम्बका त्रिगुणान्विता॥१२१॥

तृष्णाच्छेदकरी तृप्ता तीक्ष्णा तीक्ष्णस्वरूपिणी।
तुला तुलादिरहिता तत्तद्ब्रह्मस्वरूपिणी॥१२२॥

त्राणकर्त्री त्रिपापघ्नी त्रिपदा त्रिदशान्विता।
तथ्या त्रिशक्तिस्त्रिपदा तुर्या त्रैलोक्यसुन्दरी॥१२३॥

तेजस्करी त्रिमूर्त्याद्या तेजोरूपा त्रिधामता।
त्रिचक्रकर्त्री त्रिभगा तुर्यातीतफलप्रदा॥१२४॥

तेजस्विनी तापहारी तापोपप्लवनाशिनी।
तेजोगर्भा तपःसारा त्रिपुरारिप्रियङ्करी॥१२५॥

तन्वी तापससन्तुष्टा तपताङ्गजभीतिनुत्।
त्रिलोचना त्रिमार्गा च तृतीया त्रिदशस्तुता॥१२६॥

श्री महासरस्वती सहस्रनाम स्तोत्र ! Sri Mahasaraswati Sahasranama Stotra !

त्रिसुन्दरी त्रिपथगा तुरीयपददायिनी।
शुभा शुभावती शान्ता शान्तिदा शुभदायिनी॥१२७॥

शीतळा शूलिनी शीता श्रीमती च शुभान्विता।
योगसिद्धिप्रदा योग्या यज्ञेनपरिपूरिता॥१२८॥

यज्या यज्ञमयी यक्षी यक्षिणी यक्षिवल्लभा।
यज्ञप्रिया यज्ञपूज्या यज्ञतुष्टा यमस्तुता॥१२९॥

यामिनीयप्रभा याम्या यजनीया यशस्करी।
यज्ञकर्त्री यज्ञरूपा यशोदा यज्ञसंस्तुता॥१३०॥

यज्ञेशी यज्ञफलदा योगयोनिर्यजुस्तुता।
यमिसेव्या यमाराध्या यमिपूज्या यमीश्वरी॥१३१॥

योगिनी योगरूपा च योगकर्तृप्रियङ्करी।
योगयुक्ता योगमयी योगयोगीश्वराम्बिका॥१३२॥

योगज्ञानमयी योनिर्यमाद्यष्टाङ्गयोगता।
यन्त्रिताघौघसंहारा यमलोकनिवारिणी॥१३३॥

यष्टिव्यष्टीशसंस्तुत्या यमाद्यष्टाङ्गयोगयुक्।
योगीश्वरी योगमाता योगसिद्धा च योगदा॥१३४॥

योगारूढा योगमयी योगरूपा यवीयसी।
यन्त्ररूपा च यन्त्रस्था यन्त्रपूज्या च यन्त्रिता॥१३५॥

युगकर्त्री युगमयी युगधर्मविवर्जिता।
यमुना यमिनी याम्या यमुनाजलमध्यगा॥१३६॥

यातायातप्रशमनी यातनानान्निकृन्तनी।
योगावासा योगिवन्द्या यत्तच्छब्दस्वरूपिणी॥१३७॥

योगक्षेममयी यन्त्रा यावदक्षरमातृका।
यावत्पदमयी यावच्छब्दरूपा यथेश्वरी॥१३८॥

यत्तदीया यक्षवन्द्या यद्विद्या यतिसंस्तुता।
यावद्विद्यामयी यावद्विद्याबृन्दसुवन्दिता॥१३९॥

योगिहृत्पद्मनिलया योगिवर्यप्रियङ्करी।
योगिवन्द्या योगिमाता योगीशफलदायिनी॥१४०॥

यक्षवन्द्या यक्षपूज्या यक्षराजसुपूजिता।
यज्ञरूपा यज्ञतुष्टा यायजूकस्वरूपिणी॥१४१॥

यन्त्राराध्या यन्त्रमध्या यन्त्रकर्तृप्रियङ्करी।
यन्त्रारूढा यन्त्रपूज्या योगिध्यानपरायणा॥१४२॥

यजनीया यमस्तुत्या योगयुक्ता यशस्करी।
योगबद्धा यतिस्तुत्या योगज्ञा योगनायकी॥१४३॥

योगिज्ञानप्रदा यक्षी यमबाधाविनाशिनी।
योगिकाम्यप्रदात्री च योगिमोक्षप्रदायिनी॥१४४॥

फलश्रुतिः

इति नाम्नां सरस्वत्याः सहस्रं समुदीरितम्।
मन्त्रात्मकं महागोप्यं महासारस्वतप्रदम्॥१॥

यः पठेच्छृणुयाद्भक्त्या त्रिकालं साधकः पुमान्।
सर्वविद्यानिधिः साक्षात् स एव भवति ध्रुवम्॥२॥

लभते सम्पदः सर्वाः पुत्रपौत्रादिसंयुताः।
मूकोऽपि सर्वविद्यासु चतुर्मुख इवापरः॥३॥

भूत्वा प्राप्नोति सान्निध्यम् अन्ते धातुर्मुनीश्वर।
सर्वमन्त्रमयं सर्वविद्यामानफलप्रदम्॥४॥

महाकवित्वदं पुंसां महासिद्धिप्रदायकम्।
कस्मैचिन्न प्रदातव्यं प्राणैः कण्ठगतैरपि॥५॥

महारहस्यं सततं वाणीनामसहस्रकम्।
सुसिद्धमस्मदादीनां स्तोत्रं ते समुदीरितम्॥६॥

॥ इति श्रीस्कान्दपुराणान्तर्गत-सनत्कुमार-संहितायां नारद-सनत्कुमार-संवादे सरस्वतीसहस्रनामस्तोत्रम् सम्पूर्णम्॥

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