श्रीरामाष्टोत्तरशतनामावली अर्थ सहित हिन्दी ! Sri Rama Ashtottara Shatanaamavali Arth Sahit Hindi

श्रीरामाष्टोत्तरशतनामावली अर्थ सहित हिन्दी !

भगवान राम को धार्मिकता, साहस, और नैतिक मूल्यों का प्रतीक माना जाता है. रामायण में भगवान राम के चरित्र का जिक्र किया गया है, जो उन्हें धर्म के प्रति समर्पित इंसान के तौर पर प्रस्तुत करता है. भगवान राम के कई गुण हैं, जिनमें से कुछ ये हैं:
  • सभी रिश्तों को दिल से निभाना
  • दयालुता
  • शिष्टता
  • मर्यादा
  • गुणवान
  • किसी की निंदा न करना
  • धर्मज्ञ
  • कृतज्ञ
हिंदू पौराणिक कथाओं में, भगवान राम को भगवान विष्णु के सातवें अवतार के रूप में माना जाता है. हिंदू संस्कृति में, राम नाम शुभ माना जाता है और अक्सर नवजात लड़कों को दिया जाता है. राम नाम का जाप मंत्र के रूप में भी किया जाता है और माना जाता है कि इसमें मन और आत्मा को शुद्ध करने की शक्ति है

Sri Rama Ashtottara Shatanaamavali Arth Sahit  Hindi

श्रीरामाष्टोत्तरशतनामावली (Shatanaamavali )

  1. ॐ श्रीरामाय नमः ।
  2. ॐ रामभद्राय नमः ।
  3. ॐ रामचन्द्राय नमः ।
  4. ॐ शाश्वताय नमः ।
  5. ॐ राजीवलोचनाय नमः ।
  6. ॐ श्रीमते नमः ।
  7. ॐ राजेन्द्राय नमः ।
  8. ॐ रघुपुङ्गवाय नमः ।
  9. ॐ जानकीवल्लभाय नमः ।
  10. ॐ जैत्राय नमः ॥ १०॥
  11. ॐ जितामित्राय नमः ।
  12. ॐ जनार्दनाय नमः ।
  13. ॐ विश्वामित्रप्रियाय नमः ।
  14. ॐ दान्ताय नमः ।
  15. ॐ शरणत्राणतत्पराय नमः ।
  16. ॐ वालिप्रमथनाय नमः ।
  17. ॐ वाग्मिने नमः ।
  18. ॐ सत्यवाचे नमः ।
  19. ॐ सत्यविक्रमाय नमः ।
  20. ॐ सत्यव्रताय नमः ॥ २०॥
  21. ॐ व्रतधराय नमः ।
  22. ॐ सदाहनुमदाश्रिताय नमः ।
  23. ॐ कौसलेयाय नमः ।
  24. ॐ खरध्वंसिने नमः ।
  25. ॐ विराधवधपंडिताय नमः ।
  26. ॐ विभीषणपरित्रात्रे नमः ।
  27. ॐ हरकोदण्डखण्डनाय नमः ।
  28. ॐ सप्ततालप्रभेत्रे नमः ।
  29. ॐ दशग्रीवशिरोहराय नमः ।
  30. ॐ जामदग्न्यमहादर्पदलनाय नमः ॥ ३०॥
  31. ॐ ताटकान्तकाय नमः ।
  32. ॐ वेदान्तसाराय नमः ।
  33. ॐ वेदात्मने नमः ।
  34. ॐ भवरोगस्य भेषजाय नमः ।
  35. ॐ दूषणत्रिशिरोहन्त्रे नमः ।
  36. ॐ त्रिमूर्तये नमः ।
  37. ॐ त्रिगुणात्मकाय नमः ।
  38. ॐ त्रिविक्रमाय नमः ।
  39. ॐ त्रिलोकात्मने नमः ।
  40. ॐ पुण्यचारित्रकीर्तनाय नमः ॥ ४०॥
  41. ॐ त्रिलोकरक्षकाय नमः ।
  42. ॐ धन्विने नमः ।
  43. ॐ दंडकारण्यवर्तनाय नमः ।
  44. ॐ अहल्याशापविमोचनाय नमः ।
  45. ॐ पितृभक्ताय नमः ।
  46. ॐ वरप्रदाय नमः ।
  47. ॐ जितेन्द्रियाय नमः ।
  48. ॐ जितक्रोधाय नमः ।
  49. ॐ जितमित्राय नमः ।
  50. ॐ जगद्गुरवे नमः ॥ ५०॥
  51. ॐ ऋक्षवानरसङ्घातिने नमः ।
  52. ॐ चित्रकूटसमाश्रयाय नमः ।
  53. ॐ जयन्तत्राणवरदाय नमः ।
  54. ॐ सुमित्रापुत्रसेविताय नमः ।
  55. ॐ सर्वदेवादिदेवाय नमः ।
  56. ॐ मृतवानरजीवनाय नमः ।
  57. ॐ मायामारीचहन्त्रे नमः ।
  58. ॐ महादेवाय नमः ।
  59. ॐ महाभुजाय नमः ।
  60. ॐ सर्वदेवस्तुताय नमः ॥ ६०॥
  61. ॐ सौम्याय नमः ।
  62. ॐ ब्रह्मण्याय नमः ।
  63. ॐ मुनिसंस्तुताय नमः ।
  64. ॐ महायोगिने नमः ।
  65. ॐ महोदराय नमः ।
  66. ॐ सुग्रीवेप्सितराज्यदाय नमः ।
  67. ॐ सर्वपुण्याधिकफलाय नमः ।
  68. ॐ स्मृतसर्वौघनाशनाय नमः ।
  69. ॐ आदिपुरुषाय नमः ।
  70. ॐ परमपुरुषाय नमः ॥ ७०॥
  71. ॐ महापुरुषाय नमः ।
  72. ॐ पुण्योदयाय नमः ।
  73. ॐ दयासाराय नमः ।
  74. ॐ पुराणपुरुषोत्तमाय नमः ।
  75. ॐ स्मितवक्त्राय नमः ।
  76. ॐ मितभाषिणे नमः ।
  77. ॐ पूर्वभाषिणे नमः ।
  78. ॐ राघवाय नमः ।
  79. ॐ अनन्तगुणगम्भीराय नमः ।
  80. ॐ धीरोदात्तगुणोत्तमाय नमः ॥ ८०॥
  81. ॐ मायामानुषचारित्राय नमः ।
  82. ॐ महादेवादिपूजिताय नमः ।
  83. ॐ सेतुकृते नमः ।
  84. ॐ जितवाराशये नमः ।
  85. ॐ सर्वतीर्थमयाय नमः ।
  86. ॐ हरये नमः ।
  87. ॐ श्यामाङ्गाय नमः ।
  88. ॐ सुन्दराय नमः ।
  89. ॐ शूराय नमः ।
  90. ॐ पीतवाससे नमः ॥ ९०॥
  91. ॐ धनुर्धराय नमः ।
  92. ॐ सर्वयज्ञाधिपाय नमः ।
  93. ॐ यज्विने नमः ।
  94. ॐ जरामरणवर्जिताय नमः ।
  95. ॐ शिवलिङ्गप्रतिष्ठात्रे नमः ।
  96. ॐ सर्वापगुणवर्जिताय नमः ।
  97. ॐ परमात्मने नमः ।
  98. ॐ परब्रह्मणे नमः ।
  99. ॐ सच्चिदानन्दविग्रहाय नमः ।
  100. ॐ परञ्ज्योतिषे नमः ॥ १००॥
  101. ॐ परन्धाम्ने नमः ।
  102. ॐ पराकाशाय नमः ।
  103. ॐ परात्पराय नमः ।
  104. ॐ परेशाय नमः ।
  105. ॐ पारगाय नमः ।
  106. ॐ पाराय नमः ।
  107. ॐ सर्वदेवात्मकाय नमः ।
  108. ॐ परस्मै नमः ॥ १०८॥
॥ इति श्रीरामाष्टोत्तरशतनामावलिस्समाप्ता ॥

श्रीरामाष्टोत्तरशतनामावली अर्थ सहित हिन्दी (ram namavali)

  1. श्रीराम: - जिनमें योगीजन रमण करते हैं, ऐसे सच्चिदानन्दघंस्वरूप श्री राम अथवा सीता-सहित राम
  2. रामचन्द्र: - चंद्रमा के समान आनन्दमयी एवं मनोहर राम
  3. रामभद्र: - कल्याणमय राम
  4. शाश्वत: :- सनातन राम
  5. राजीवलोचन:- कमल के समान नेत्रोंवाले
  6. श्रीमान् राजेन्द्र:- श्री सम्पन्न राजाओं के भी राजा, चक्रवर्ती सम्राट
  7. रघुपुङ्गव:- रघुकुल में श्रेष्ठ
  8. जानकीवल्लभ:- जनककिशोरी सीता के प्रियतम
  9. जैत्र: - विजयशील
  10. जितामित्र:- शत्रुओं को जीतनेवाला
  11. जनार्दन:- सम्पूर्ण मनुष्यों द्वारा याचना करने योग्य
  12. विश्वामित्रप्रिय:-विश्वामित्रजी के प्रियतम
  13. दांत:- जितेंद्रिय
  14. शरण्यत्राणतत्पर:- शरणागतों के रक्षा में तत्पर
  15. बालिप्रमथन:- बालि नामक वानर को मारनेवाले
  16. वाग्मी- अच्छे वक्ता
  17. सत्यवाक्- सत्यवादी
  18. सत्यविक्रम:- सत्य पराक्रमी
  19. सत्यव्रत:- सत्य का दृढ़ता पूर्वक पालन करनेवाले
  20. व्रतफल:- सम्पूर्ण व्रतों के प्राप्त होने योग्य फलस्वरूप
  21. सदा हनुमदाश्रय:- निरंतर हनुमान जी के आश्रय अथवा हनुमानजी के ह्रदयकमल में निवास करनेवाले
  22. कौसलेय:- कौसल्याजी के पुत्र
  23. खरध्वंसी :- खर नामक राक्षस का नाश करनेवाले
  24. विराधवध-पण्डित:- विराध नामक दैत्य का वध करने में कुशल
  25. विभीषण-परित्राता- विभीषण के रक्षक
  26. दशग्रीवशिरोहर:- दशशीश रावण के मस्तक काटनेवाले
  27. सप्ततालप्रभेता – सात ताल वृक्षों को एक ही बाण से बींध डालनेवाले
  28. हरकोदण्ड- खण्डन:- जनकपुर में शिवजी के धनुष को तोड़नेवाले
  29. जामदग्न्यमहादर्पदलन:- परशुरामजी के महान अभिमान को चूर्ण करनेवाले
  30. ताडकान्तकृत- ताड़का नामवाली राक्षसी का वध करनेवाले
  31. वेदान्तपार:- वेदान्त के पारंगत विद्वान अथवा वेदांत से भी अतीत
  32. वेदात्मा:- वेदस्वरूप
  33. भवबन्धैकभेषज:- संसार बन्धन से मुक्त करने के लिये एकमात्र औषधरूप
  34. दूषणप्रिशिरोsरि:- दूषण और त्रिशिरा नामक राक्षसों के शत्रु
  35. त्रिमूर्ति:- ब्रह्मा,विष्णु और शिव- तीन रूप धारण करनेवाले
  36. त्रिगुण:- त्रिगुणस्वरूप अथवा तीनों गुणों के आश्रय
  37. त्रयी- तीन वेदस्वरूप
  38. त्रिविक्रम:- वामन अवतार में तीन पगों से समस्त त्रिलोकीको नाप लेनेवाले
  39. त्रिलोकात्मा- तीनों लोकों के आत्मा
  40. पुण्यचारित्रकीर्तन:- जिनकी लीलाओं का कीर्तन परम पवित्र हैं, ऐसे
  41. त्रिलोकरक्षक:- तीनों लोकोंकी रक्षा करनेवाले
  42. धन्वी- धनुष धारण करनेवाले
  43. दण्डकारण्यवासकृत्- दण्डकारण्य में निवास करनेवाले
  44. अहल्यापावन:- अहल्याको पवित्र करनेवाले
  45. पितृभक्त:- पिता के भक्त
  46. वरप्रद:- वर देनेवाले
  47. जितेन्द्रिय:- इन्द्रियों को काबू में रखनेवाले
  48. जितक्रोध:- क्रोध को जीतनेवाले
  49. जितलोभ:- लोभ की वृत्ति को परास्त करनेवाले
  50. जगद्गुरु:- अपने आदर्श चरित्रोंसे सम्पूर्ण जगत् को शिक्षा देनेके कारण सबके गुरु
  51. ऋक्षवानरसंघाती:- वानर और भालुओं की सेना का संगठन करनेवाले
  52. चित्रकूट - समाश्रय:- वनवास के समय चित्रकूट पर्वत पर निवास करनेवाले
  53. जयन्तत्राणवरद:- जयन्त के प्राणों की रक्षा करके उसे वर देनेवाले
  54. सुमित्रापुत्र- सेवित:-सुमित्रानन्दन लक्ष्मण के द्वारा सेवित
  55. सर्वदेवाधिदेव:‌- सम्पूर्ण देवताओं के भी अधिदेवता
  56. मृतवानरजीवन:- मरे हुए वानरों को जीवित करनेवाले
  57. मायामारीचहन्ता- मायामय मृग का रूप धारण करके आये हुए मारीच नामक राक्षस का वध करनेवाले
  58. महाभाग:- महान सौभाग्यशाली
  59. महाभुज:- बड़ी- बड़ी बाँहोंवाले
  60. सर्वदेवस्तुत:- सम्पूर्ण देवता जिनकी स्तुति करते हैं, ऐसे
  61. सौम्य:- शांतस्वभाव
  62. ब्रह्मण्य:- ब्राह्मणों के हितैषी
  63. मुनिसत्तम:- मुनियोंमे श्रेष्ठ
  64. महायोगी- सम्पूर्ण योगोंके अधीष्ठान होने के कारण महान योगी
  65. महोदर:- परम उदार
  66. सुग्रीवस्थिर-राज्यपद:- सुग्रीव को स्थिर राज्य प्रदान करनेवाले
  67. सर्वपुण्याधिकफलप्रद:-सम्स्त पुण्यों के उत्कृष्ट फलरूप
  68. स्मृतसर्वाघनाशन:- स्मरण करनेमात्र से ही सम्पूर्ण पापों का नाश करनेवाले
  69. आदिपुरुष: - ब्रह्माजीको भी उत्पन्न करनेके कारण सब के आदिभूत अन्तर्यामी परमात्मा
  70. महापुरुष:- समस्त पुरुषों मे महान
  71. परम: पुरुष:- सर्वोत्कृष्ट पुरुष
  72. पुण्योदय:- पुण्य को प्रकट करनेवाले
  73. महासार:- सर्वश्रेष्ठ सारभूत परमात्मा
  74. पुराणपुरुषोत्तम:- पुराणप्रसिद्ध क्षर-अक्षर पुरुषोंसे श्रेष्ठ लीलापुरुषोत्तम
  75. स्मितवक्त्र:- जिनके मुखपर सदा मुस्कानकी छटा छायी रहती है, ऐसे
  76. मितभाषी- कम बोलनेवाले
  77. पूर्वभाषी – पूर्ववक्ता
  78. राघव:- रघुकुल में अवतीर्ण
  79. अनन्तगुण गम्भीर:- अनन्त कल्याणमय गुणों से युक्त एवं गम्भीर
  80. धीरोदात्तगुणोत्तर:- धीरोदात्त नायकके लोकोतर गुणों से युक्त
  81. मायामानुषचारित्र:- अपनी मायाका आश्रय लेकर मनुष्योंकी-सी लीलाएँ करनीवाले
  82. महादेवाभिपूजित:- भगवान शंकर के द्वारा निरन्तर पूजित
  83. सेतुकृत- समुद्रपर पुल बाँधनेवाले
  84. जितवारीश:- समुद्रको जीतनेवाले
  85. सर्वतीर्थमय:- सर्वतीर्थस्वरूप
  86. हरि:- पाप-ताप को हरनेवाले
  87. श्यामाङ्ग:- श्याम विग्रहवाले
  88. सुन्दर:- परम मनोहर
  89. शूर:- अनुपम शौर्यसे सम्पन्न वीर
  90. पीतवासा:- पीताम्बरधारी
  91. धनुर्धर:- धनुष धारण करनेवाले
  92. सर्वयज्ञाधिप:- सम्पूर्ण यज्ञों के स्वामी
  93. यज्ञ:- यज्ञ स्वरूप
  94. जरामरणवर्जित:- बुढ़ापा और मृत्यु से रहित
  95. शिवलिंगप्रतिष्ठाता- रामेश्वर नामक ज्योतिर्लिंग की स्थापना करनेवाले
  96. सर्वाघगणवर्जित:‌ - समस्त पाप-राशियों से रहित
  97. परमात्मा- परमश्रेष्ठ, नित्यशुद्ध-बुद्ध –मुक्तस्वरूपा
  98. परं ब्रह्म- सर्वोत्कृष्ट, सर्वव्यापी एवं सर्वाधिष्ठान परमेश्वर
  99. सच्चिदानन्दविग्रह:- सत्, चित् और आनन्द ही जिनके स्वरूप का निर्देश करानेवाला है, ऐसे परमात्मा अथवा सच्चिदानन्दमयदिव्यविग्रह
  100. परं ज्योति:- परम प्रकाशमय,परम ज्ञानमय
  101. परं धाम- सर्वोत्कृष्ट तेज अथवा साकेतधामस्वरूप
  102. पराकाश:- त्रिपाद विभूतिमें स्थित परमव्योम नामक वैकुण्ठधामरूप, महाकाशस्वरूप ब्रह्म
  103. परात्पर:- पर- इन्द्रिय, मन, बुद्धि आदि से भी परे परमेश्वर
  104. परेश:- सर्वोत्कृष्ट शासक
  105. पारग:- सबकोपार लगानेवाले अथवा मायामय जगत की सीमा से बाहर रहनेवाले
  106. पार:- सबसे परे विद्यमान अथवा भवसागर से पार जाने की इच्छा रखनेवाले प्राणियों के प्राप्तव्य परमात्मा
  107. सर्वभूतात्मक:- सर्वभूतस्वरूप
  108. शिव:- परम कल्याणमय

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