बीज मंत्रों | Beej Mantras
बीज मंत्रों के नियमित जप से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। ऐसा व्यक्ति जीवन-मृत्यु के भय से मुक्त होकर अपना जीवन जीता है और अंत में मोक्ष गति को प्राप्त होता है। बीज मंत्र हमें हर प्रकार की बीमारी, किसी भी प्रकार के भय, किसी भी प्रकार की चिंता और हर तरह की मोह-माया से मुक्त करता हैं। अगर हम किसी प्रकार की बाधा हेतु, बाधा शांति हेतु, विपत्ति विनाश हेतु, भय या पाप से मुक्त होना चाहते है तो बीज मंत्र का जाप करना चाहिए।
बीज मंत्रों | Beej Mantras |
गं (गणपति बीज)
इस में ग्- गणेश, अ- विघ्ननाशक एवं बिंदु- दुखहरण हैं। इस प्रकार इस बीज का अर्थ है- विघ्ननाशक श्री गणेश मेरे दुख दूर करें। इस मंत्र के जप से दुर्भाग्य भी सौभाग्य में बदल जाता है और पैसा आने लगता है। भगवान श्री गणेश का बीज मंत्र "गं" है। इस बीज मंत्र के नियमित जप से बुद्धि का विकास होता है और घर में धन संपदा की वृद्धि होती है।
हौं (शिव बीज)
इस बीज में ह्- शिव ?, औ- सदाशिव एवं बिंदु- दुखहरण है। इस बीज का अर्थ है- भगवान शिव मेरे दुख दूर करें। इस बीज मंत्र से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। इससे व्यक्ति पर आने वाले सभी संकट दूर हो जाते हैं और रोग, शोक, कष्ट, निर्धनता आदि से मुक्ति मिलती है।
भगवान शिव का बीज मंत्र "ह्रौं" है।
भगवान शिव के इस बीज मंत्र के जप से भोलेनाथ अतिशीघ्र प्रसन्न होते है। इस बीज मंत्र के प्रभाव से अकाल मृत्यु से रक्षा होती है व रोग आदि से छुटकारा मिलता है।
भगवान श्री विष्णु का बीज मंत्र "दं" है।
जीवन में हर प्रकार के सुख और एश्वर्य की प्राप्ति हेतु इस बीज मंत्र द्वारा भगवान श्री विष्णु की आराधना करनी चाहिए।भगवान श्री राम का बीज मंत्र "रीं" है।
जिसे भगवान श्री राम के मंत्र के शुरू में प्रयोग करने से मंत्र की प्रबलता और भी अधिक हो जाती है। भगवान श्री राम के बीज मंत्र को इस प्रकार से प्रयोग करें- रिम रामाय नमः.हम (हनुमान बीज)
इसमें ह्- हनुमान , अ- संकटमोचन एवं बिंदु- दुखहरण है। इसका अर्थ है- संकटमोचन हनुमान मेरे दुख दूर करें। बजरंग बली की आराधना के लिए इससे बेहतर मंत्र नहीं है।
हनुमान जी का बीज मंत्र "हं" है।
भगवान श्री राम के परम भक्त हनुमान जी की आराधना कलयुग के समय में शीघ्र फल प्रदान करने वाली है। ऐसे में बीज मंत्र द्वारा उनकी आराधना आपके सभी दुखों को हराने में सक्षम है।
क्लीं (कृष्ण बीज)
इसमें क- श्रीकृष्ण, ल- दिव्यतेज, ई- योगेश्वर एवं बिंदु- दुखहरण है। इस बीज का अर्थ है- योगेश्वर श्रीकृष्ण मेरे दुख दूर करें। यह मंत्र साक्षात भगवान वासुदेव को प्रसन्न करने के लिए है। इससे व्यक्ति को अखंड सौभाग्य मिलता है और मृत्यु के उपरांत वह बैकुंठ में जाता है।
भगवान श्री कृष्ण का बीज मंत्र "क्लीं" है।
जिसका उच्चारण अकेले भी किया जा सकता है एवं भगवान श्री कृष्ण के वैदिक मंत्र के साथ भी किया जाता है। इस बीज मंत्र का प्रयोग इस प्रकार करें-- "क्लिं कृष्णाय नमः"
शक्ति स्वरुप माँ दुर्गा का बीज मंत्र "दूं" है।
जिसका अर्थ है - हे माँ, मेरे सभी दुखों को दूर कर मेरी रक्षा करो।माँ काली का बीज मंत्र "क्रीं" है।
जीवन से भय, ऊपरी बाधाओं, शत्रुओं के छूटकारा दिलाने में मां काली के बीज मंत्र द्वारा उनकी आराधना विशेष रूप से लाभ प्रदान करने वाली है। इस बीज मन्त्र का प्रयोग इस प्रकार करें-- "ॐ क्रीं कालिकाय नम:"
देवी लक्ष्मी का बीज मंत्र "श्रीं" है।
देवी लक्ष्मी को स्वभाव से चंचल माना गया है। इसलिए वे अधिक समय के लिए एक स्थान पर नहीं रूकती। घर में धन-सम्पति की वृद्धि हेतु मां लक्ष्मी के इस बीज मंत्र द्वारा आराधना से लाभ अवश्य प्राप्त होता है।उद्देश्य (सरस्वती बीज )
ऐ- सरस्वती, नाद- जगन्माता और बिंदु- दुखहरण है। इसका अर्थ है- जगन्माता सरस्वती मेरे दुख दूर करें। इस बीज मंत्र के जप से मां सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है और विद्या, कला के क्षेत्र में व्यक्ति दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करता चला जाता है।
मां सरस्वती का बीज मंत्र "ऐं" है।
माता सरस्वती विद्या को देने वाली देवी है परीक्षा में सफलता के लिए व हर प्रकार के बौद्धिक कार्यों में सफलता हेतु माँ सरस्वती के इस बीज मंत्र का जप प्रभावी सिद्ध होता है और भी कुछ बीज मंत्र ऐसे है जो सूचक है उस परमपिता परमेश्वर के जो समस्त ब्रम्हांड के रचियता और रक्षक है।
ये बीज मंत्र इस प्रकार है-
- "ॐ" "खं" "कं"
टिप्पणियाँ