भैरव कवच | Bhairav Kavach
भैरव कवच के लाभ
भूत-प्रेत आदि बाधाओं से मुक्ति मिलती है, नकारात्मक शक्तिओं का नाश हो जाता है। कार्य पर विजय प्राप्त करने के लिए संसार में इससें बड़ा कोई कवच नही है। मनुष्य की सभी मनोकामना सिद्ध होती है। विद्यार्थियों को परीक्षा में निश्चित ही सफलता मिलती है।
मनुष्य की सभी मनोकामना सिद्ध होती है। विद्यार्थियों को परीक्षा में निश्चित ही सफलता मिलती है। सरकारी कामो में सफलता प्राप्त होती है। किसी भी प्रकार का कोई भय नहीं होता, सभी प्रकार के उपद्रव शांत हो जाते है।
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Bhairav Kavach |
भैरव कवच | Bhairav Kavach
ॐ सहस्त्रारे महाचक्रे कर्पूरधवले गुरुः ।
पातु मां बटुको देवो भैरवः सर्वकर्मसु ॥
पूर्वस्यामसितांगो मां दिशि रक्षतु सर्वदा ।
आग्नेयां च रुरुः पातु दक्षिणे चण्ड भैरवः ॥
नैॠत्यां क्रोधनः पातु उन्मत्तः पातु पश्चिमे ।
वायव्यां मां कपाली च नित्यं पायात् सुरेश्वरः ॥
भीषणो भैरवः पातु उत्तरास्यां तु सर्वदा ।
संहार भैरवः पायादीशान्यां च महेश्वरः ॥
ऊर्ध्वं पातु विधाता च पाताले नन्दको विभुः ।
सद्योजातस्तु मां पायात् सर्वतो देवसेवितः ॥
रामदेवो वनान्ते च वने घोरस्तथावतु ।
जले तत्पुरुषः पातु स्थले ईशान एव च ॥
डाकिनी पुत्रकः पातु पुत्रान् में सर्वतः प्रभुः ।
हाकिनी पुत्रकः पातु दारास्तु लाकिनी सुतः ॥
पातु शाकिनिका पुत्रः सैन्यं वै कालभैरवः ।
मालिनी पुत्रकः पातु पशूनश्वान् गंजास्तथा ॥
महाकालोऽवतु क्षेत्रं श्रियं मे सर्वतो गिरा ।
वाद्यम् वाद्यप्रियः पातु भैरवो नित्यसम्पदा ॥
।। इति भैरव कवच ।।
भैरव बाबा कैसे खुश होते हैं?
रविवार के दिन काले कुत्ते को मीठी रोटी और गुड़ के पुए जरूर खिलाएं। ऐसा करने पर भैरव बाबा जल्दी प्रसन्न होते हैं, क्योंकि कहा जाता है कि काला कुत्ता बाबा का वाहन है। रविवार के दिन भैरव बाबा के मंदिर जाकर विधिवत पूजा अर्चना करें और फिर भोग में उन्हें इमरती, जलेबी, उड़द की दाल, पान व नारियल का भोग लगाना चाहिए।
किस मंत्र से प्रारंभ करें भगवान भैरव की पूजा
भगवान भैरव की पूजा करने से साधक को स्नान-ध्यान करके पवित्र मन से पहले उनकी पूजा के लिए संकल्प लेना चाहिए. इसके बाद ” ॐ तीखदन्त महाकाय कल्पान्तदोहनम्, भैरवाय नमस्तुभ्यं अनुज्ञां दातुर्माहिसि” मंत्र पढ़ते हुए भगवान भैरव से उनकी पूजा के लिए आज्ञा लेनी चाहिए !
भैरव जी का मंत्र कौन सा है?
ओम कालभैरवाय नम:। ओम ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं। ओम भ्रं कालभैरवाय फट्। जय भैरव देवा, प्रभु जय भैंरव देवा।
भैरव कवच पाठ विधि:
किसी भी रविवार के दिन, शाम के समय (5:30-7:30Pm) या रात के समय (9:15-10:30Pm) के बीच, जिस समय आपका मन अंदर से शांत हो, लाल ऊनि आसन पर, पूर्व या दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके बैठे, अपने सामने भगवन शिव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें, भगवान शिव ही भैरव का रूप होते है।
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