रघुपति राघव राजाराम - भजन | श्री रामचंद्र कृपालु भजमन आरती,Raghupati Raghav Rajaram - Bhajan | Shri Ramchandra Kripalu Bhajman Aarti

रघुपति राघव राजाराम - भजन

योध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर बनकर तैयार हो गया है। आज मंदिर में भगवान राम की तीन मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा की गई। यह भजन श्री नम: रामायणम् का एक अंश है, जो भगवान राम को समर्पित है। भजन में, भक्त भगवान राम को “रघुपति राघव राजाराम” और “पतित पावन सीताराम” कहकर संबोधित करते हैं।

रघुपति राघव राजाराम - भजन | Raghupati Raghav Rajaram - Bhajan

रघुपति राघव राजाराम
पतित पावन सीताराम ॥

सुंदर विग्रह मेघश्याम
गंगा तुलसी शालग्राम ॥

रघुपति राघव राजाराम
पतित पावन सीताराम ॥

भद्रगिरीश्वर सीताराम
भगत-जनप्रिय सीताराम ॥

रघुपति राघव राजाराम
पतित पावन सीताराम ॥

जानकीरमणा सीताराम
जयजय राघव सीताराम ॥

रघुपति राघव राजाराम
पतित पावन सीताराम ॥

रघुपति राघव राजाराम
पतित पावन सीताराम ॥

- श्री लक्ष्माचर्या

श्री रामचंद्र कृपालु भजमन आरती  (स्तुति) 

  • राम स्तुति के लेखक कौन है?
"श्री रामचन्द्र कृपालु" या "श्री राम स्तुति" गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखित उनकी विनय पत्रिका नामक कृति का एक स्तुति (होरेशन ओड) पद्य है। यह सोलहवीं शताब्दी में संस्कृत और अवधी भाषाओं के मिश्रण में लिखा गया था।

श्री रामचंद्र कृपालु भजमन आरती  (स्तुति) | Shri Ramchandra Kripalu Bhajman Aarti

श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम्।
नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।।

कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्।
पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्।।

भजु दीन बंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्।
रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम्।।

सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं।
आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धूषणं।।

इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम्।
मम ह्रदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम्।।

मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों।
करुना निधान सुजान सिलू सनेहू जानत रावरो।।

एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली।
तुलसी भवानी पूजि पूनी पूनी मुदित मन मंदिर चली।।

जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे।।

श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम्।
नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।।

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