शनि का राशिगत प्रभाव (फल)
समस्त राशियां 12 हैं। इन बारह राशियों के स्थिर, होकर शनि अलगअलग, शुभ-अशुभ फल प्रदान करता है। इन बारह राशियों में शनि राशिगत रूप से जो फल प्रदान करता है वह इस प्रकार है-
मेष राशिस्थ - मेष राशिस्थ शनि के प्रभाव से जातक दुर्बल शरीर वाला अत्यन्त क्रोधी स्वभाव का होता है। ऐसे जातक कलहप्रिय, कुत्सित विचार वाले होते हैं। दुराचारी और एहसान फरामोश होते हैं। चर्मरोग, रक्त विचार आदि से पीड़ित तथा अशान्त होते हैं।
वृष राशिस्थ - जिस जातक की कुण्डली में वृष राशि का शनि हो वह जातक साहसी, दुष्ट प्रकृति का, दुराचारी, मिथ्यावादी ( झूठ बोलने वाला) होता है। स्त्रियों को विशेष रूप से आकर्षित करने की क्षमता ऐसे जातकों में होती है स्त्रियां उस पर मर-मिटती हैं | जातक सुखी और धन-सम्पत्ति वाला होता है
मिथुन राशिस्थ - मिथुन राशि स्थित शनि का जातक कपट विद्या में पारंगत, दुराचारी और पाखंडी होता है । ऐसा जातक उद्योगी होता है किन्तु अपव्यय (फिजूल खर्च) के कारण उसकी आर्थिक स्थिति डांवाडोल रहती है । ऐसे जातक अपनी वाणी चतुरता से स्त्रियों से लाभप्राप्त करते हैं। अपनी निजी बातों को गोपनीय रखता है किन्तु ओजस्वी वाणी से औरों को प्रभावित करके उनके मन की बातें जान लेता है । जातक काम-पिपासु होता है। विदेश जाने का अवसर मिलता है।
कर्क राशिस्थ - कर्क राशिस्थ शनि के प्रभाव से जातक को माता का प्यार दुलार नहीं मिल पाता बाल्यकाल कष्टमय होता है। ऐसे जातक जीवन के मध्यकाल में धन-मान-सम्मान अर्जित करते हैं । जातक उदार-हृदय होता है किन्तु फिर भी उसका अक्सर अपमान ही होता है। स्त्री-सुख की कमी और रोगग्रसित जातक होता है। जातक स्वभावत: चन्चल होता है।
सिंह राशिस्थ - जातक की कुण्डली में सिंह राशि का शनि हो तो उस जातक को शनि के प्रभाव से जीवन भर कष्ट सहने पड़ते हैं। जातक अक्सर विवादों में रहता है। सिंह राशिस्थ शनि के प्रभाव से जातक लेखक, वैज्ञानिक आदि बनता है। अलबत्ता उसे कदम-कदम पर विरोध मिलता है फिर भी वह सफल होता है।
कन्या राशिस्थ - कन्या राशि स्थित शनि का जातक बेईमान और छल - प्रपंच वाला होता है। ऐसे जातकों पर भूलकर भी विश्वास नहीं करना चाहिए। जातक अपने छल-बल और तीब्र प्रखर बुद्धि के बूते पर उद्योग व्यापार के क्षेत्र में रा दूनी रात चौगुनी उन्नति करता है किन्तु ऐसे जातकों का अन्त अच्छा नहीं होता ।
तुला राशिस्थ - तुला राशिस्थ शनि के प्रभाव से जातक सुख समृद्धि (धन-सम्पत्ति) से भरपूर होता है । राजाओं के समान जीवन यापन करता है । ऐसे हक पर दिन प्रगति करते हैं । ऐसे जातकों में नेतृत्व करने की अद्भुत क्षमता होती है।
वृश्चिक राशिस्थ - वृश्चिक राशिस्थ शनि के प्रभाव से जातक को विदेश. प्रवास करना पड़ता है । ऐसे जातक नीच और कुटिल व्यक्तियों की संगति करते हैं जो स्वयं कुमार्गी होते हैं और जातक को भी कुमार्ग की ओर ले जाते हैं । जातक शनि के प्रभाव से पूर्ण रूप से प्रभावित रहता है और किसी की बात नहीं मानता स्वयं अपने विचारों को ही उच्च स्थान प्रदान करता है।
धनु राशिस्थ - धनु राशिस्थ शनि के प्रभाव से जातक अपने विरोधियों को परास्त करके यश और मान प्राप्त करता है। स्त्री और सन्तान पक्ष से सुखी जातक अत्यधित धन-सम्पत्ति अर्जित करता है। शत्रुओं पर अपना प्रभुत्व कायम रखता है।
मकर राशिस्थ - मकर राशि स्थित शनि के प्रभाव से जातक कामुक, और परस्त्रीगामी होता है । ऐसे जातकों को आभूषणों से विशेष प्रेम होता है | दूसरों की जमीन-जायदाद पर आधिपत्य करने में समर्थ, वैदिक ज्ञाता और उद्यमी होता है।
कुम्भ राशिस्थ - यदि कुण्डली में कुम्भ राशि पर शनि स्थित हो तो जातक नास्तिक (देवी-देवताओं पर विश्वास न करने वाला) होता है परिश्रम से सफलता प्राप्त करने का आकांक्षी (इच्छुक) होता है । ऐसे जातक परस्त्रीगामी भी होते हैं-ऐसा कुछ विद्वानों का मत है । बाक्पटु, कुटिल और धूर्त भी होते हैं अतः ऐसे लोगों से सावधान रहना ही उत्तम है।
मीन राशिस्थ - जातक की कुण्डली में मीन राशि का शनि हो तो जातक नम्र और शालीन होता है । अपनी शालीनता और सदगुणों के कारण वह हर किसी का प्रिय बन जाता है । जातक बुद्धि-विवेक से पूर्ण तथा भाग्यशाली होता है। मीन राशिस्थ शनि के प्रभाव से जातक अधिकारी वर्ग पर प्रतिष्ठित होता है अथवा राजपुरुष, नेता, जमींदार या बड़ी मिल्कियत का स्वामी होगा। समस्त सुख-ऐश्वर्यों का भोग करेगा।
टिप्पणियाँ