सिद्ध 'वास्तु यंत्र' द्वारा लक्ष्मी प्रवेश विधि
पाठकों! मनुष्य मकान बनवाता है या बना-बनाया फ्लैट खरीदता है अथवा दुकान खोलता है, फैक्ट्री बनाते हैं, या कहीं किसी कॉमर्शियल कॉम्पलेक्स में जगह लेकर शो रूम खोलते हैं, उसे सजाने संवारने आदि के लिए काफी पैसा खर्च करते हैं। फिर भी न तो घर में सुख मिलता है और न ही बिजनेस चल पाता है। वास्तु शांती की सभी धार्मिक विधियाँ लोग अपनाते हैं, फिर भी घर में न धन दौलत की बरकत होती है न कुटुम्बियों में परस्पर प्रेम का भाव। नित्य कोई न कोई झगड़ा लगा रहता है, कोई न कोई बीमार रहता है ऐसा क्यों ऐसा इसलिए कि भवन का निमार्ण "वस्तु शास्त्र" के अनुसार लोग नहीं कराते हैं। लेकिन आज के अस्थिर एवं मंहगाई के युग में पूर्णयता वास्तु शास्त्र के नियमानुसार निर्माण करवाना किसी के लिए भी संभव नहीं है। स्वतंत्र बंगला या मकान बनवाने के बजाय सोसाइटी में फ्लैट लेना ही आज श्रेयस्कर समझा जाता है-इस बास्तविकता को नकारा नहीं जा सकता। कभी स्मशान, कब्रिस्तान रह चुकी भूमि पर आज गगनचुंबी इमारतों का निमार्ण हो रहा है, ऐसी इमारतों में रहने वालों या काम करने बालों को सुख, शांती और आनंद कैसे मिलेगा ?
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अतः इस समस्या के निवारण हेतु वास्तु ग्रंथ में "सिद्धि वास्तु यंत्र" द्वारां लक्ष्मी प्राप्ति का साधन दर्शाया गया है। इस यंत्र को निवास स्थान में, दुकान, फैक्ट्री, दफ्तर आदि में स्थापित करने से बास्तु दोष समाप्त हो जाता है और व्यक्ति प्रगति और सफलता प्राप्त कर रहे हैं। आप भी आजमा कर देखें, चकित रह जायेंगे।
सिद्ध वास्तु लक्ष्मी यंत्र साधना विधि
इस दिव्य यंत्र की साधना किसी भी मंगलवार को आरम्भ कर सकते हैं। मंगलवार के दिन प्रातः काल 7 बजे के अंदर स्नान से पवित्र होकर अपने कमरे में पर्वित्र स्थान पर पूरब दिशा में आम की लकड़ी से बना सिंहासन स्थापित करें। सिंहासन पर माता लक्ष्मी की तस्वीर लाल आसन बिछाकर स्थापित करें। सिद्ध गुरु से प्राप्त किया यंत्र गले में धारण कर लें। इसके पश्चात् धूप और देशी घी का दीपक जलायें। भगवती लक्ष्मी "षोड़शोपचार पूजन" सम्पन्न कर नीचे वर्णित यंत्र का निमार्ण करें। यंत्र निर्माण मोज पत्र पर कुशा जड़ की कलम से सफेद चन्दन द्वारा करें।
श्री वास्तु लक्ष्मी यंत्र
यंत्र निर्माण कर यंत्र को लाल कपड़े में लपेट कर तांबे की प्लेट में माता लक्ष्मी की तस्वीर के समक्ष सिंहासन पर रख दें। लाल कपड़े में लपेटने से पहले यंत्र को तांबे के ताबीज में भर दें। इसके पश्चात् नीचे लिखित मंत्र को दो लाख एकायन हजार मंत्र जप तुलसी की माला से करें-
ॐ श्री महाक्ष्म्यै नमः निर्मित भवन अनिष्ट- वास्तु अनिष्ट शोधयामि नमः स्वाहा।
अन्तिम दिन मंत्र जप समाप्त होने के पश्चात् 11 माला मंत्र जप करते हुए हवन में आहुति डालें। यह सम्पूर्ण मंत्र जप 41 दिन में ही पूर्ण करने का विधान है। जप करने के पश्चात् नित्य ही आस्ती किया करें। अन्तिम दिन आरती के बाद अनुष्ठान का विसर्जन करें। विसर्जन के पश्चात् निर्मित यंत्र को वहां स्थापित कर दें टिप्स भवन में वास्तु निमार्ण दोष हो। उपरोक्त विधि से यंत्र निर्माण कर जिसे भी प्रदान करेंगे, उसके गृह का भी बास्तु दोष अनिष्ट समाप्त हो जायेगा और धन का आवागमन तीव्र गति से आरम्भ हो जायेगा और व्यवसाय में चमत्कारिक वृद्धि होने लगेगी।
शाबर मंत्र द्वारा लक्ष्मी की प्राप्ति पाठकों ! जो व्यक्ति विधि-विधान से महालक्ष्मी का पूजन करने में, यंत्र सिद्ध करने में असमर्थ है। वे मात्र "शाबर मंत्र" का जप करके ही लक्ष्मी प्राप्त कर सकते हैं- सर्वप्रथम सिद्ध गुरु से सिद्ध शाबर कवच यन्त्र प्राप्त कर गले में धारण कर लें, तभी यह मन्त्र जप आरम्भ करें, अन्यथा सफलता नहीं मिलेगी।
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ऋद्धि-सिद्ध प्राप्ति हेतु शाबर मंत्र
ॐ क्रीं श्री चामुण्डा सिंह वाहिनी बीस हस्ती भगवती रतन मंडित सोनल की माल, उत्तर पथ में आप बैठी हाथ सिद्ध वाचा, ऋद्धि-सिद्धी धन-धान्य देहि देहि कुरु कुरु स्वाहा। नोट-उपरोक्त मंत्र की एक भाला नित्य ही जप करने से ऋद्धि-सिद्धि की प्राप्ति होती है।
व्यवसाय वृद्धि हेतु शाबर मंत्र
श्री शुक्ले सहा शुक्ले कमल दल निवासे श्री महालक्ष्मी - नमो नमः ।।लक्ष्मी माई सबकी सवाई, आओ चेतो करो भलाई, ना करो तो सात समुद्रों की दुहाई, ऋद्धि-सिद्धि ना देवो तो नौ नाथ चौरासी सिद्धों की दुहाई।
नोट- इस मंत्र का एक माला नित्य जप करने से व्यवसाय में अपार वृद्धि होती है।
अपार धन प्राप्त करने हेतु शाबर मंत्र
विष्णु प्रिया लक्ष्मी, शिव प्रिया सती से प्रकट हुई, कामेक्षा भगवती आदि शक्ति युगल मूर्ति महिमा अपार, दोनों की प्रीती जाने संसार, दुहाई कामख्या की, आय बढ़ा व्यय घटा, दया कर माई, ऊँ नमः विष्णु प्रियाय, ऊँ नमः-शिव प्रियाय, ऊँ नमः कामाक्षाय वीं वीं श्रीं श्रीं फट् स्वाहा।
नोट- उपरोक्त मंत्र का नित्य ही एक माला जप करते रहने से अपार धन की प्राप्ति होती है।
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