हैप्पी रक्षा बंधन शायरी हिंदी में,Happy Raksha Bandhan Shayari
रक्षा बंधन का महत्व रक्षा बंधन का त्यौहार भाई-बहन के प्यार व भाइयों द्वारा बहनों की रक्षा के प्रतीक के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन बहनें, भाइयों को राखी बांधती हैं और उन्हें मिठाइयां खिलाती हैं। वहीं, भाई इस दिन बहनों की रक्षा का बचन देते हैं।
Happy Raksha Bandhan Shayari in Hindi
ये लम्हा कुछ खास है
बहन के हाथों में भाई का हाथ है
ओ बहना तेरे लिए मेरे पास कुछ खास है
तेरे सुकून की खातिर मेरी बहना
तेरा भाई हमेशा तेरे साथ है।
Happy Raksha Bandhan
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रक्षाबंधन का ये पावन त्यौहार,
हर तरफ हो खुशियों की बौछार।
भाई-बहन का यह अटूट प्यार,
मुबारक हो आपको रक्षाबंधन का त्यौहार।
Happy Raksha Bandhan
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खुश किस्मत होती है वो बहन
जिसके सर पर भाई का हाथ होता है
हर परेशानी में उसके साथ होता है
लड़ना झगड़ना फिर प्यार से मनाना
तभी तो इस रिश्ते में इतना प्यार होता है
Happy Raksha Bandhan
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रंग बिरंगे मौसम में, सावन की घटा छाई है
खुशियों की सौगात लेकर बहना राखी बांधने आई है
Happy Raksha Bandhan
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कलाई पर जो रेशम का धागा है
तेरी बहना ने प्यार से बाँधा है
ये धागा कभी ये छूटे न
तेरी बहना तुझसे रूठे न।।
Happy Raksha Bandhan
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खुशिया का सारा संसार आया है
बरस बाद फिर से त्यौहार आया है
आज बहना भाई की कलाई रच दी
कच्चे धागे में रिश्तों का सार आया है ।
Happy Raksha Bandhan
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आज खुशिया की बहार आई है
सावन की रिमझिम फुहार आई है,
स्वागत करों हमारी बहना का,
राखी के संग-2 प्यार लायी है।
Happy Raksha Bandhan
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गलियाँ फूलों से सज़ा रखी हैं ,
हर मोड़ पर लड़कियाँ बिठा रखी हैं
पता नहीं तुम कहाँ से आ जाओ
इसलिए सबके हाथ में राखी थमा रखी है
Happy Raksha Bandhan
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आसमान पर सितारे है जितने उतनी जिंदगी हो तेरी,
किसी की नजर ना लगे दुनिया कि हर ख़ुशी हो तेरी,
रक्षा बंधन के दिन खुदा से बस दुआ है मेरी।
Happy Raksha Bandhan
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खुशकिस्मत होती है वो बहन,
जिसके सिर पर भाई का हाथ होता है,
हर परेशानी में उसके साथ होता है,
लड़ना झगड़ना फिर प्यार से मनाना,
तभी तो इस रिश्ते में इतना प्यार होता है।
Happy Raksha Bandhan
क्या है रक्षा बंधन का इतिहास
रक्षा बंधन हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। इस त्यौहार से जुड़ी किंवदंतियों में से एक महाकाव्य महाभारत से उत्पन्न होती है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान कृष्ण की उंगली सुदर्शन चक्र से गलती से कट गई थी। यह देखकर द्रौपदी ने खून रोकने के लिए अपनी साड़ी से कपड़े का एक टुकड़ा फाड़कर चोट पर बांध दिया। भगवान कृष्ण उनके हाव-भाव से बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने हमेशा उनकी रक्षा करने का वादा किया। उन्होंने यह वादा तब पूरा किया जब द्रौपदी को हस्तिनापुर के शाही दरबार में सार्वजनिक अपमान का सामना करना पड़ा।
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