जानिए पश्चिम बंगाल क्षीरग्राम शक्तिपीठ ( युगाद्या शक्तिपीठ ) के बारे में Jaanie Pashchim Bangaal Ksheeragraam Shaktipeeth ( Yugaadya Shaktipeeth ) Ke Baare Mein

 पश्चिम बंगाल क्षीरग्राम शक्तिपीठ

पश्चिम बंगालके वर्दवान जिलेमें कटवा महाकुमार मंगलकोट याना शीरग्राम एक सुबृहत् गण्डग्राम और एक महापीत स्थान है। क्षीरग्राममें ग्रामकी अधिष्ठातृदेवी योगाद्या या युगाया और भैरव क्षीरकण्टक हैं। वर्दवानसे ३९ कि०मी० उत्तर-पश्चिम एवं कटवासे २१कि०मी० दक्षिण पश्चिममें स्थित इस ग्राममें बसद्वारा पहुँचा जा सकता है। मन्दिरमें एक यात्री-निवास है। प्रवापति दक्षके यज्ञमें देवी सतीने देहत्याग कर दिया था, जिसे भगवान् विष्णुने सुदर्शनचक्क्रसे ५१ खण्डोंमें विभक्त कर दिया। वे अङ्ग जिन-जिन स्थानोंमें गिरे, वे स्थान महापीठ हो गये। श्रीरग्राममें सतीकी देहका दक्षिण चरणका अँगूठा गिरा था। वहाँ देवी युगाद्या और भैरव क्षीरकण्टकका निवास है।


तन्त्रचूड़ामणिमें वर्णन आया है-

भूतथात्री महामाया भैरवः क्षीरकण्टकः।
युगाद्यायां महादेवी दक्षिणाङ्गुष्ठः पदो मम ॥

कुम्भिकातन्ना में क्षीरग्रामको दिव्यपीठ में गणना की गमी है। गन्धर्वतन्त्र, बृहनीलतन्व, शिवंचरित, पीठ निर्णय (महा पीठनिरूपणम्), साधकचूड़ामणि आदि ग्रन्थोंमें इस पीठका उल्लेख है।
बंगला भाषाके अनेक ग्रन्थोंमें युगाद्यादेवीकी वन्दना मिलती है। सर्वप्राचीन युगाद्यावन्दना कृत्तिवास रामायणके निर्माता पं० कृत्तिवासद्वारा लिखित है। उन्होंने क्षीरग्रामका वर्णन किया है। कृत्तिवासकृत बँगला रामायणमें वर्णन आता है कि त्रेतायुगमें लङ्काके राजा रावणके पातालवासी पुत्र महिरावणने कालीकी पूजा की थी, उन देवीका नाम युगाचा था। राम-रावण युद्धमें रावणका पितृभक्त पुत्र महिरावण राम और लक्ष्मणको पाताल ले गया। पवनपुत्र हनुमान्‌ने पातालमें महिरावण और अहिरावणका सिर काटकर देवीको उपहारमें दे दिया और राम-लक्ष्मणका उद्धार किया। उद्धारके बाद प्रस्थानके समय हनुमान्‌जीको देवीने आदेश दिया कि मुझे यहाँसे ले चलो। किंवदन्ती है कि हनुमान्‌जी उन पातालनिवासिनी देवी युगाद्याको मृत्युलोकमें क्षीरग्राममें ले आये। यहाँ क्षीरग्रामकी पीठदेवी भूतधात्री महामायाके साथ देवी युगाद्याकी भद्रकाली मूर्ति एक हो गयी और देवीका नाम 'युगाद्या' या 'योगाद्या' प्रसिद्ध हो गया।

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