3 अक्टूबर - अश्विन शुक्ल प्रतिपदा शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ,October 3 - Ashwin Shukla Pratipada begins Sharadiya Navratri
3 अक्टूबर - अश्विन शुक्ल प्रतिपदा शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ
आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शारदीय नवरात्रि शुरू होती है. इस दौरान घरों और पंडालों में घट स्थापित की जाती है और मां दुर्गा की मूर्ति की पूजा की जाती है. नवरात्रि के दौरान किए गए व्रत-उपवास का कई गुना फल मिलता है. नवरात्रि के आखिरी दिन दशहरा मनाया जाता है.
इस महीने में कई महत्वपूर्ण व्रत-त्योहार आते हैं. आश्विन महीने की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से जुड़ी कुछ खास बातेंः-
- अश्विन महीने की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शारदीय नवरात्रि शुरू होती है.
- इस दौरान घरों और पंडालों में घटस्थापना की जाती है और मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित की जाती है.
- नवरात्रि के दौरान किए गए व्रत-उपवास का कई गुना फल मिलता है.
- नवरात्रि के आखिरी दिन दशहरा मनाया जाता है.
- अश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का व्रत रखा जाता है.
- इस दिन सुहागिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला रहकर पति की लंबी उम्र की दुआ मांगती हैं.
- अश्विन महीने में यज्ञ, हवन आदि अनुष्ठान करने के लिए भी यह महीना बहुत शुभ माना जाता है.
शारदीय नवरात्रि का बहुत महत्व है. शारदीय नवरात्रि के बारे में कुछ खास बातेंः
- शारदीय नवरात्रि, आश्विन महीने में मनाई जाती है. इस महीने में शरद ऋतु आने लगती है, इसलिए इसे शारदीय नवरात्रि कहा जाता है.
- शारदीय नवरात्रि को लेकर मान्यता है कि इस दौरान माता दुर्गा धरती पर आती हैं और नौ दिनों तक पूजा की जाती है.
- शारदीय नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है.
- शारदीय नवरात्रि को लेकर मान्यता है कि इस दौरान धर्म अधर्म पर और सत्य असत्य पर जीत का प्रतीक है.
- शारदीय नवरात्रि के दौरान व्रत-उपवास किए जाते हैं और संतुलित भोजन किया जाता है.
- शारदीय नवरात्रि के दौरान, हर दिन एक अलग रंग का इस्तेमाल किया जाता है, जो अलग-अलग सोभाग्य का प्रतीक होता है.
- शारदीय नवरात्रि से जुड़ी एक पौराणिक कथा है कि देवी दुर्गा ने आश्विन के महीने में महिषासुर पर आक्रमण कर उसका वध किया था.
शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जिन्हें नवदुर्गा कहा जाता है:
- शैलपुत्री
मां दुर्गा का पहला रूप, इनकी पूजा से शक्ति और साहस मिलता है.
- ब्रह्मचारिणी
ज्ञान और विद्या की देवी, इनकी पूजा से ज्ञान और शिक्षा में वृद्धि होती है.
- चंद्रघंटा
शक्ति और रक्षा की देवी, इनकी पूजा से भय और शत्रुओं से मुक्ति मिलती है.
- कुष्मांडा
सृष्टि की देवी, इनकी पूजा से जीवन में सकारात्मकता और समृद्धि आती है.
- स्कंदमाता
मातृत्व और सुरक्षा की देवी.
- कात्यायनी
इन्हें आयुर्वेद में अम्बा, अम्बालिका, और अम्बिका नामों से भी जाना जाता है.
- कालरात्रि
इन्हें नागदौन औषधि के रूप में भी जाना जाता है.
- महागौरी
इन्हें तुलसी के नाम से भी जाना जाता है.
- सिद्धिदात्री
इन्हें नारायणी शतावरी के नाम से भी जाना जाता है.
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