Navratri Ka First Day - माता शैलपुत्री का भोग,Maa Shailputri Ka Bhog

Navratri Ka First Day - माता शैलपुत्री का भोग

नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा का विशेष महत्व होता है। मां शैलपुत्री को सफ़ेद रंग अत्यंत प्रिय माना जाता है, और उनकी पूजा में सफ़ेद रंग की वस्तुओं का समर्पण शुभ फलदायी होता है। पूजा में सफ़ेद वस्त्र धारण करना और सफ़ेद फूलों का अर्पण करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
ऐसी मान्यता है कि मां शैलपुत्री की उपासना से कुंवारी कन्याओं को अच्छा वर प्राप्त होता है, और घर में समृद्धि, सुख-शांति और धन-धान्य की कमी नहीं रहती।
मां शैलपुत्री को भोग में सफ़ेद रंग के खाद्य पदार्थ चढ़ाने से विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। गाय के घी और दूध से बनी मिठाइयाँ जैसे बर्फ़ी, । साथ ही, मो, मिसरी या बताशे का भी प्रसाद चढ़ाया जा सकता है। शाम की पूजा के बाद मखाने की खीर का भोग अर्पित करना अत्यंत लाभकारी होता है।

माता शैलपुत्री का भोग: नवरात्रि के पहले दिन की विशेष पूजा

नवरात्रि का पहला दिन माँ दुर्गा के शैलपुत्री रूप की उपासना के लिए समर्पित होता है। पर्वत राजा हिमालय की पुत्री होने के कारण इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है। इनका पूजन विशेष रूप से शांति, शक्ति, और स्वास्थ्य के लिए किया जाता है।

भोग में चढ़ाई जाने वाली वस्तुएं

माँ शैलपुत्री को जो भोग चढ़ाया जाता है, उसमें खासतौर पर गाय से जुड़े उत्पादों का प्रयोग किया जाता है:

  • गाय के घी से बना भोग: इसे चढ़ाने से आरोग्य लाभ होता है।
  • गाय के दूध से बनी बर्फ़ी या मिठाई: इससे सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।
  • कद्दू का हलवा: इसे भी माता को अर्पित करने से विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • खोया वाली बर्फ़ी: इस मिठाई से माता प्रसन्न होती हैं और भक्तों पर अपनी कृपा बरसाती हैं।

पूजन की अन्य आवश्यक वस्तुएं

माँ शैलपुत्री को निम्नलिखित चीज़ें भी चढ़ाई जाती हैं:

  • अक्षत (चावल)
  • धूप और दीप: ये पूजन का आवश्यक अंग होते हैं।
  • सफ़ेद फूल: सफ़ेद रंग माता को अत्यंत प्रिय है, इसलिए सफ़ेद फूलों का उपयोग किया जाता है।
  • फलों का नैवेद्य: फल चढ़ाने से भक्तों की मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।

Navratri Ka First Day - Maa Shailputri पूजा विधि:

  • पूजा स्थल की शुद्धि: सबसे पहले पूजा स्थल की साफ़-सफ़ाई करें और गंगाजल का छिड़काव करके इसे शुद्ध करें।
  • चौकी की स्थापना: एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर मां शैलपुत्री की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  • कलश स्थापना: माता का ध्यान करते हुए कलश स्थापित करें, जिसमें जल, सुपारी, चावल और दूब डालें।
  • फूल अर्पित करें: मां को सफेद, पीले या लाल रंग के पुष्प अर्पित करें।
  • धूप-दीप जलाएं: धूप, दीप जलाएं और पांच घी के दीपक जलाएं।
  • आरती: माता शैलपुत्री की आरती करें और पूरे परिवार के साथ माता के जयकारे लगाएं।
  • पाठ: दुर्गा चालिसा, दुर्गा सप्तशती या दुर्गा स्तुति का पाठ करें।
  • भोग: माता को नैवेद्य अर्पित करें और अंत में प्रसाद का वितरण करें।
  • संध्या आरती: शाम को फिर से माता की आरती और मंत्र जाप करें।

मां शैलपुत्री की पूजा से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और मानसिक शांति मिलती है।

धार्मिक मान्यता

कहते हैं कि जो भक्त माता शैलपुत्री को गाय के घी और दूध से बने भोग अर्पित करते हैं, उनके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है। माँ शैलपुत्री की कृपा से वे रोगों से मुक्त रहते हैं और उनके परिवार में खुशहाली बनी रहती है।

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