Navratri Ka First Day - माता शैलपुत्री की पूजा विधि के कुछ मुख्य बिंदु दिए गए,Mata Shailputri Kee Pooja Vidhi Ke Kuchh Mukhy Bindu Die Gae

Navratri Ka First Day - माता शैलपुत्री की पूजा विधि के कुछ मुख्य बिंदु दिए गए 

मां शैलपुत्री की पूजा का विशेष महत्व है, विशेषकर नवरात्रि के पहले दिन। उनकी पूजा करने से भक्तों को सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। यहां मां शैलपुत्री की पूजा विधि के कुछ मुख्य बिंदु दिए गए हैं:

  • षोड्शोपचार विधि: मां शैलपुत्री की पूजा षोड्शोपचार (16 प्रकार की) पूजा विधि से की जाती है, जिसमें जल, चंदन, पुष्प, धूप, दीप आदि का प्रयोग होता है।
  • नदियों और तीर्थों का आह्वान: पूजा की शुरुआत में सभी पवित्र नदियों, तीर्थों और दिशाओं का आह्वान किया जाता है, जिससे उनका आशीर्वाद प्राप्त हो सके।
  • पुष्प अर्पण: मां शैलपुत्री को सफ़ेद, पीले या लाल रंग के फूल अर्पित किए जाते हैं। ये रंग पवित्रता, समृद्धि और शक्ति के प्रतीक माने जाते हैं।
  • भोग: मां को भोग में गाय के घी और दूध से बने पदार्थ अर्पित किए जाते हैं। इससे घर में शांति और समृद्धि आती है।
  • कंदमूल फल: मां को कंदमूल फल जैसे आलू, शकरकंद आदि भी बहुत प्रिय हैं, जिन्हें भोग के रूप में अर्पित किया जाता है।
  • मंत्र जाप: पूजा के दौरान मां शैलपुत्री के मंत्रों का जाप विशेष महत्व रखता है, जिससे मन की शुद्धि और शांति प्राप्त होती है।
  • आरती: पूजा के अंत में मां की आरती की जाती है, जिसमें दीपक जलाकर मां का आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।
  • दुर्गा पाठ: दुर्गा चालीसा, दुर्गा स्तुति या दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है, जिससे मां की कृपा प्राप्त होती है।
  • क्षमा याचना: पूजा के अंत में अनजाने में हुई गलतियों के लिए मां से क्षमा मांगी जाती है, जिससे भक्त का मन शुद्ध होता है।
  • भोग और समापन: पूजा के अंत में मां को भोग अर्पित करके पूजा संपन्न की जाती है।

मां शैलपुत्री की इस विधि से पूजा करने पर भक्तों को मां की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।

माता शैलपुत्री FQA:- 

शैलपुत्री का अर्थ क्या है?

"शैलपुत्री" नाम का शाब्दिक अर्थ है पर्वत (शैल) की पुत्री (पुत्री)। उन्हें सती भवानी, पार्वती या हेमवती के नाम से भी जाना जाता है, जो हिमालय के राजा हिमावत की पुत्री हैं।

मां शैलपुत्री का प्रसाद क्या है?

मां शैलपुत्री की पूजा में गाय के घी और दूध से बनी चीज़ों का भोग लगाया जाता है, तो इस दिन आप दूध से बनी बर्फी, खीर या फिर हलवे का भी भोग लगा सकते हैं। कद्दू का हलवा आप उन्हें भोग में चढ़ा सकते हैं, जान लें इसकी रेसिपी और साथ ही कुछ फायदे भी।

शैलपुत्री माता का पसंदीदा रंग कौन सा है?

इस दिन मां दुर्गा के शैलपुत्री यानी हिमालय की बेटी की रूप की पूजा की जाती है. मां शैलपुत्री का पसंदीदा रंग पीला है

मां शैलपुत्री को कौन से फूल पसंद है?

मां शैलपुत्री को लाल गुड़हल और सफेद कनेर का फूल अति प्रिय है तो मां की पूजा में इन फूलों को अवश्य चढ़ाएं

माता शैलपुत्री का वाहन क्या है?

चूंकि मां शैलपुत्री का वाहन वृषभ है इसलिए इन्हें वृषारूढ़ा भी कहा जाता है। इनके बाएं हाथ में कमल और दाएं हाथ में त्रिशूल रहता है।

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