स्कंद षष्ठी व्रत के प्रभाव से संतान सुख की प्राप्ति होती है। स्कंद षष्ठी पूजा नियम, Due to the effect of Skanda Shashthi fast, one gets the happiness of children. Skanda Shashthi Puja Rules
स्कंद षष्ठी व्रत के प्रभाव से संतान सुख की प्राप्ति होती है। स्कंद षष्ठी पूजा नियम,
हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने की षष्ठी तिथि को भगवान स्कंद (कार्तिकेय) का व्रत किया जाता है, जिसे स्कंद षष्ठी व्रत के नाम से जाना जाता है। इस तिथि को भगवान स्कंद की जन्मतिथि मनाई जाती है और विशेष रूप से दक्षिण भारत में सबसे बड़ा उत्सव मनाया जाता है। भगवान स्कंद को कार्तिकेय, मुरुगन और सुब्रह्मण्य के आश्रम से भी जाना जाता है।
स्कंद षष्ठी भगवान कार्तिकेय को समर्पित महत्वपूर्ण पर्व है, जो विशेष रूप से दक्षिण भारत में मनाया जाता है। यह कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है और इसका धार्मिक महत्व अत्यधिक है। इस दिन व्रत रखने और भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से सुख-समृद्धि, सौभाग्य और सफलता की प्राप्ति होती है।
स्कंद षष्ठी व्रत का लाभ
- इस व्रत को करने से संत सुख की प्राप्ति होती है। जिन संप्रदायों को संत सुख की प्राप्ति नहीं हो रही हो, उनके लिए यह व्रत भारी फलदायक माना जाता है।
- यह व्रत सुख, समृद्धि और कार्य में सफलता प्रदान करता है।
- इससे जीवन में कष्ट और दरिद्रता की चोट होती है।
- इसके प्रभाव से शरीर की बीमारियाँ और पुरानी व्याधियाँ भी समाप्त हो जाती हैं।
स्कन्द षष्ठी व्रत करने से नि:संतानों को संतान की प्राप्ति होती है, सफलता, सुख-समृद्धि प्राप्त होती है. स्कंद षष्ठी का व्रत संतान जन्म और उसके सुखद भविष्य के लिए किया जात है. जो दंपति संतान सुख से वंचित हैं या जिन्हें किसी कारण से संतान का सुख नही पा रहा हो उनके लिए ये व्रत अत्यंत ही प्रभावशाली होता है.
स्कंद षष्ठी पूजा नियम
- प्रातःकाल स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- भगवान स्कंद की मूर्ति या चित्र स्थापित करें और भगवान शिव, माता पार्वती, और भगवान गणेश की माला के साथ पूजा करें।
- भगवान स्कंद को अक्षत, हल्दी, और चंदन से तिलक करें।
- पंचामृत, फल, मेवे, और पुष्प से भगवान का अभिषेक करें।
- एक कलश में जल नारियल के बर्तन और दीप जलाएं।
- भगवान स्कंद की आरती करें और भोग लगाएं प्रसाद बांटें।
स्कंद षष्ठी व्रत महिमा
स्कंद षष्ठी पूजा दु:ख का निवारण करती है. इससे जीवन में मौजूद दरिद्रता समाप्त होती है. इस दिन व्रत का पालन करने से पापों की शांति होती है. विधि विधान से पूजा करने पर विजय की प्राप्ति होती है. कार्यों में सफलता मिलती है. रुके हुए काम बनते हैं. काम में आने वाली अड़चनें दूर होती हैं. रोग या कोई ऎसी व्याधी जो लम्बे समय से असर डाल रही हो वह भी समाप्त होती है. षष्ठी पूजा में एक अखंड दीपक जलाने से जीवन में मौजूद नकारात्मकता भी शांत होती है. स्कंद षष्ठी महात्म्य का पाठ करने से व्रत का फल प्राप्त होता है
नव ग्रह की शांति में भी स्कंद षष्ठी व्रत का प्रभाव बहुत होता है. धर्म शास्त्रों में स्कंद षष्ठी तिथि के लिए मंगल शांति के पूजन के लिए अत्यंत उत्तम बताया गया है. इस दिन भगवान कार्तिकेय का पूजन करने से व्यक्ति में साहस और पराक्रम की वृद्धि होती है. ज्योतिष के अनुसार अगर किसी भी व्यक्ति की कुण्डली में मंगल ग्रह कमजोर हो या शुभ न हो. तो उस स्थिति में ग्रह की अशुभता से बचने के लिए कार्तिकेय भगवान का पूजन करना अत्यंत शुभ फल देने वाला होता है. व्यक्ति को स्कंद भगवान का पूजन करने से अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है
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