Dussehra 2024 Wishes:‘दशहरा पर उमंग’कविता '
दशहरा पर उमंग’कविता | poem on Dussehra
देखो दशहरे का त्योहार आया है,
लोगो के चेहरे पर मुस्कान लाया है।
आओ सब मिलकर मिटाए अँधियारा,
चारो ओर फैलाए अच्छाई का उजियारा।
साथ मिलकर खुशियों का यह त्योहार मनाए,
सब मिलकर खुशियों के दीप जलाए।
देखो चारो ओर फैला हुआ यह अनोखा उमंग,
कैसे फिजा में बिखरे हुए है यह मनमोहक रंग।
दशहरा है बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक,
इस दिन लोग गाते है खुशियों के नये गीत।
आज के दिन हुआ था श्री राम-रावण युद्ध का अंत,
जीत हुई सच्चाई की लोगो को मिली खुशिया अनंत।
सबको रावण जलता देख मिलती खुशियां आपार,
इसीलिए तो दशहरा का दिन लाता है नया बहार।
हमें भी करना है इस वर्ष कुछ नया कार्य,
शपथ लो अच्छी बातों का छोड़ो सब दुर्विचार।
तो आओ हम सब मिलकर झूमें गाये,
साथ मिलकर दशहरा का यह त्योहार मनाये।
दशहरा के दोहे | Couplets on Dussehra
मर्यादा का आचरण,करे विजय-उदघोष।
कितना भी सामर्थ्य पर,खोना ना तुम होश।।
लंकापति मद में भरा,करता था अभिमान।
तभी हुआ सम्पूर्ण कुल,का देखो अवसान।।
इह बसत हैं सब रावण, ना खोजो इह राम।
पाप करत निस बित जाए, प्रात भजत प्रभु नाम।
पाप का सुख मिलत क्षणिक, अंत में खाए मात।
अघ-अनघ के युद्ध में, पुण्य विजय हो जात।।
अनिल अनल भू नभ सलिल, देव तत्व है पाँच।
धुँआ धूल ध्वनि अशिक्षा, आलस दानव- साँच।।
राज बहादुर जब करे, तब हो शांति अनंत।
सत्य सहाय सदा रहे, आशा हो संत-दिगंत।।
जीवन मे इक बार बस, बनकर देखो राम।
निंदा तो आसान है, मुश्किल करना काम ।।
भवसागर गहरा बहुत, भँवर भरी हर धार।
राम नाम की नाव ही, तुझे करेगी पार।।
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