स्कंद षष्ठी पूजा विधि और मंत्र,स्तोत्र, Skanda Shashthi puja method and mantra, stotra

स्कंद षष्ठी पूजा विधि और मंत्र,स्तोत्र

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, स्कंद षष्ठी व्रत भगवान कार्तिकेय की पूजा के लिए समर्पित है। इस दिन व्रत रखने और भगवान कार्तिकेय की आराधना करने से जीवन की हर कठिनाई दूर होती है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। स्कन्द षष्ठी व्रत करने से नि:संतानों को संतान की प्राप्ति होती है, सफलता, सुख-समृद्धि प्राप्त होती है. स्कंद षष्ठी का व्रत संतान जन्म और उसके सुखद भविष्य के लिए किया जात है. जो दंपति संतान सुख से वंचित हैं या जिन्हें किसी कारण से संतान का सुख नही पा रहा हो उनके लिए ये व्रत अत्यंत ही प्रभावशाली होता है

स्कंद षष्ठी पर करें भगवान कार्तिकेय के मंत्रों का जाप 

भगवान कार्तिकेय की पूजा में निम्नलिखित मंत्रों का जाप करना विशेष फलदायी माना जाता है:

देव सेनापते स्कंद कार्तिकेय भवोद्भव।
कुमार गुह गांगेय शक्तिहस्त नमोस्तु ते॥

इस मंत्र का जाप भगवान कार्तिकेय को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। इसमें भगवान को सेनापति, कुमार, और शक्तिहस्त के रूप में पूजा जाता है।

शत्रु नाशक मंत्र

ऊं शारवाना-भावाया नमः
ज्ञानशक्तिधरा स्कंदा वल्लीईकल्याणा सुंदरा
देवसेना मनः काँता कार्तिकेया नामोस्तुते
ऊं सुब्रहमणयाया नमः

सफलता हेतु मंत्र

आरमुखा ओम मुरूगा
वेल वेल मुरूगा मुरूगा
वा वा मुरूगा मुरूगा
वादी वेल अज़्गा मुरूगा
अदियार एलाया मुरूगा
अज़्गा मुरूगा वरूवाई
वादी वेलुधने वरूवाई

कार्तिकेय गायत्री मंत्र

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महा सैन्या धीमहि तन्नो स्कंदा प्रचोदयात।

यह मंत्र भगवान कार्तिकेय की महानता को समर्पित है और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए इसका जाप किया जाता है।

स्कंद षष्ठी पूजा विधि

स्कंद षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा करने के लिए निम्नलिखित विधि अपनाई जा सकती है:
  • स्थापना: पूजा से पहले भगवान कार्तिकेय के साथ भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति या तस्वीर भी स्थापित करें।
  • अर्घ्य: भगवान को घी, दही, जल, और फूलों से अर्घ्य दें।
  • पूजा सामग्री: भगवान कार्तिकेय को कलावा, अक्षत, हल्दी, चंदन, और इत्र चढ़ाएं।
  • कमल का फूल: भगवान कार्तिकेय को कमल का फूल चढ़ाना अत्यंत शुभ माना जाता है।
  • तिलक: भगवान कार्तिकेय की मूर्ति पर रोली का तिलक लगाएं।
  • प्रसाद: भगवान कार्तिकेय को मोदक, फल, और दूध जैसे प्रसाद अर्पित करें।
  • कथा: पूजा के बाद भगवान कार्तिकेय की कथा सुनें या पढ़ें।
  • आरती: पूजा के अंत में भगवान कार्तिकेय की आरती करें और प्रसाद ग्रहण करें।

स्कंद षष्ठी पूजा नियम

  • साधक को सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करना चाहिए।
  • घर के मंदिर की साफ-सफाई करें।
  • भगवान मुरुगन (कार्तिकेय) जी के व्रत का संकल्प लें।
  • एक वेदी पर भगवान स्कंद की प्रतिमा स्थापित करें।
  • पंचामृत से भगवान को स्नान कराएं।
  • चंदन और हल्दी का तिलक करें।
  • घी का दीपक जलाएं और फूलों की माला अर्पित करें।

स्कंद षष्ठी का महत्व

स्कंद षष्ठी का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को किया जाता है। यह व्रत हर माह की षष्ठी तिथि को रखा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान कार्तिकेय की पूजा से सुख-समृद्धि, सौभाग्य, और सफलता की प्राप्ति होती है। पति-पत्नी मिलकर इस व्रत का पालन करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है।

स्कंद और कार्तिकेय

स्कंद और कार्तिकेय एक ही हैं। उन्हें मुरुगन के नाम से भी पुकारा जाता है। दक्षिण भारत में भगवान कार्तिकेय की पूजा बड़े पैमाने पर होती है, और उन्हें शिव-पार्वती के पुत्र के रूप में माना जाता है।

व्रत का भोजन

स्कंद षष्ठी व्रत के दौरान केवल फलाहार किया जाता है। किसी भी तरह का अन्न ग्रहण नहीं किया जाता है, और व्रत को पूर्ण रखने के लिए विशेष अनुशासन का पालन किया जाता है।

Skanda Shashthi: कार्तिकेय स्तोत्र

योगीश्वरो महासेनः कार्तिकेयोऽग्निनन्दनः।
स्कंदः कुमारः सेनानी स्वामी शंकरसंभवः॥

गांगेयस्ताम्रचूडश्च ब्रह्मचारी शिखिध्वजः।
तारकारिरुमापुत्रः क्रोधारिश्च षडाननः॥

शब्दब्रह्मसमुद्रश्च सिद्धः सारस्वतो गुहः।
सनत्कुमारो भगवान् भोगमोक्षफलप्रदः॥

शरजन्मा गणाधीशः पूर्वजो मुक्तिमार्गकृत्।
सर्वागमप्रणेता च वांछितार्थप्रदर्शनः ॥

अष्टाविंशतिनामानि मदीयानीति यः पठेत्।
प्रत्यूषं श्रद्धया युक्तो मूको वाचस्पतिर्भवेत् ॥

महामंत्रमयानीति मम नामानुकीर्तनात्।
महाप्रज्ञामवाप्नोति नात्र कार्या विचारणा ॥

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