छठ पूजा: क्यों मनाया जाता है छठ पर्व और क्या है इसका इतिहास

छठ पूजा: क्यों मनाया जाता है छठ पर्व और क्या है इसका इतिहास?

छठ पूजा, जिसे सूर्य षष्ठी व्रत के नाम से भी जाना जाता है, हिन्दू धर्म में विशेष स्थान रखता है। यह पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है और मुख्य रूप से सूर्य देव और छठी मैया की उपासना के लिए जाना जाता है। छठ पर्व का उद्देश्य पारिवारिक सुख-समृद्धि, संतान प्राप्ति और मनोकामना पूर्ति होता है। इसे बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल में विशेष उत्साह से मनाया जाता है।

छठ पूजा का इतिहास और पौराणिक मान्यताएं

सूर्य देवता और छठी मैया की पूजा

छठ पूजा में सूर्य देव की आराधना की जाती है, जो जीवन के आधार और ऊर्जा के स्रोत माने जाते हैं। इस अवसर पर सूर्यदेव की पत्नी उषा और प्रत्युषा को अर्घ्य देकर उन्हें प्रसन्न किया जाता है। इसके साथ ही छठी मैया, जिन्हें षष्ठी देवी भी कहा जाता है, की पूजा की जाती है। पौराणिक मान्यता है कि छठी देवी संतान की रक्षा करती हैं और उन्हें दीर्घायु का आशीर्वाद देती हैं।

राजा प्रियव्रत और छठी देवी की कथा

कहा जाता है कि राजा प्रियव्रत को संतान की प्राप्ति नहीं हो रही थी, जिसके कारण वे दुखी थे। महर्षि कश्यप के कहने पर उन्होंने पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया, लेकिन दुर्भाग्यवश उनका पुत्र मृत पैदा हुआ। तभी एक दिव्य देवी प्रकट हुईं और उन्होंने मृत बालक को जीवित कर दिया। राजा प्रियव्रत ने देवी की कृपा से प्रसन्न होकर उनकी स्तुति की और तभी से छठ पूजा की परंपरा आरंभ हुई।

सीता माता द्वारा सूर्य उपासना

एक मान्यता के अनुसार, जब भगवान राम और सीता अयोध्या लौटे थे, तब उन्होंने ऋषियों के आदेश पर कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को सूर्यदेव की उपासना की थी। सीता माता ने मुग्दल ऋषि के आश्रम में रहकर छठ दिनों तक सूर्य उपासना की थी, जिससे सूर्यदेव ने उन्हें आशीर्वाद दिया।

द्रौपदी और पांडवों की कथा

महाभारत काल में भी छठ पूजा का उल्लेख मिलता है। कहा जाता है कि द्रौपदी ने अपने पांचों पांडवों के लिए सुख-समृद्धि और राज्य पुनः प्राप्ति की कामना से सूर्य की उपासना की थी। इसके फलस्वरूप, पांडवों को उनका खोया हुआ राज्य वापस मिल गया था।

छठ पूजा का महात्म्य

छठ पूजा का पर्व भारतीय संस्कृति में आत्म-शुद्धि, स्वास्थ्य, धन, संतान और समृद्धि का प्रतीक है। इस पर्व में व्रत करने वाली महिलाएं और पुरुष कठिन तपस्या कर सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करते हैं। यह पर्व बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश का सबसे प्रमुख महापर्व है, जिसका लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं।

छठ पूजा की इन पौराणिक कथाओं और मान्यताओं के कारण यह पर्व न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। इस महापर्व में सच्ची श्रद्धा और आस्था से की गई पूजा लोगों की मनोकामनाएं पूर्ण करती है।

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