भगवान विष्णु जी की सम्पूर्ण आरती (हिंदी अर्थ सहित)
श्री विष्णु आरती हिंदू भक्ति परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह आरती भगवान विष्णु की महिमा का वर्णन करती है और उनकी कृपा पाने के लिए भक्तों द्वारा गाई जाती है। "ॐ जय जगदीश हरे" आरती, विष्णु जी के प्रति श्रद्धा और भक्ति प्रकट करने का एक प्रभावशाली माध्यम है।
भगवान विष्णु जी की आरती करने की विधि
भगवान विष्णु जी की आरती विधिपूर्वक और श्रद्धापूर्वक करने से भक्त को सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है। यहां आरती करने की सरल और प्रभावशाली विधि दी गई है:
1. आरती से पहले तैयारी
- स्थान की शुद्धि: पूजा स्थल को स्वच्छ करें।
- स्वयं की शुद्धि: स्नान कर पवित्र वस्त्र पहनें।
- आरती सामग्री तैयार करें:
- दीपक (गाय के घी या तिल के तेल का)
- अगरबत्ती या धूप
- पीले फूल (कमल, गेंदे का फूल शुभ माने जाते हैं)
- तुलसी के पत्ते
- नारियल, केला, और मिठाई (भोग के लिए)
- घंटी और चंवर
2. पूजा स्थल पर व्यवस्था
- भगवान विष्णु जी की प्रतिमा या तस्वीर को एक चौकी पर स्थापित करें।
- चौकी पर पीला या सफेद कपड़ा बिछाएं।
- एक छोटा कलश रखें, उसमें जल भरें और उसमें तुलसी के पत्ते डालें।
3. पूजा और आरती की प्रक्रिया
(क) दीप प्रज्वलित करें:
- भगवान विष्णु जी के समक्ष घी का दीपक जलाएं।
- दीपक के साथ अगरबत्ती जलाकर भगवान का ध्यान करें।
(ख) पुष्प और भोग अर्पित करें:
- विष्णु जी को पीले फूल और तुलसी के पत्ते चढ़ाएं।
- भगवान को केले और पीली मिठाई का भोग लगाएं।
(ग) आरती करें:
आरती का दीपक घुमाने का क्रम:
- पहले भगवान विष्णु की प्रतिमा के चरणों, फिर मध्यभाग, और फिर सिर के पास दीपक घुमाएं।
- घड़ी की दिशा में तीन बार दीपक घुमाएं।
आरती का गायन:
- "ॐ जय जगदीश हरे" आरती का उच्चारण करें।
- आरती के दौरान घंटी बजाएं और चंवर झलाएं।
(घ) प्रसाद वितरण:
- आरती के बाद भगवान को अर्पित भोग को प्रसाद रूप में सभी भक्तों में वितरित करें।
4. आरती के बाद ध्यान करें
- भगवान विष्णु की कृपा और आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करें।
- "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का 11 या 21 बार जाप करें।
5. विशेष सुझाव
- आरती गुरुवार या एकादशी जैसे पवित्र दिनों पर करना विशेष फलदायी होता है।
- आरती के दौरान मन को शांत और भक्तिपूर्ण रखें।
- आरती समाप्त होने के बाद तुलसी जल को ग्रहण करें और उसे परिवार में बांटें।
भगवान विष्णु जी की आरती सच्चे मन और श्रद्धा से करने से भगवान की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है और जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं।
भगवान विष्णु जी की आरती के नियम
भगवान विष्णु जी की आरती को सही विधि और नियमों के अनुसार करना अत्यंत शुभ और कल्याणकारी माना गया है। ये नियम आरती के दौरान अनुशासन और श्रद्धा को बनाए रखने में सहायक होते हैं।
1. समय का पालन
- आरती हमेशा सुबह और शाम के समय करें।
- विशेष दिनों जैसे गुरुवार, एकादशी, पूर्णिमा, या किसी विष्णु पर्व पर आरती का विशेष महत्व है।
- आरती का समय नियमित रखें।
2. स्वच्छता का नियम
- आरती करने से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- पूजा स्थल को साफ-सुथरा और पवित्र रखें।
- आरती से पहले हाथ-पैर धो लें और आसन का प्रयोग करें।
3. सामग्री का नियम
- दीपक: गाय के घी का दीपक सबसे उत्तम माना जाता है। यदि संभव न हो, तो तिल या सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
- फूल: पीले फूल भगवान विष्णु को अर्पित करें।
- तुलसी: भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी के पत्ते अनिवार्य हैं।
- भोग: भोग में पीली मिठाई, केले या अन्य फल अर्पित करें।
- धूप-अगरबत्ती: शुद्ध सुगंधित धूप का प्रयोग करें।
4. आरती का सही क्रम
- दीपक को भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र के चरणों, मध्य भाग और सिर पर तीन बार घुमाएं।
- आरती के दौरान घड़ी की दिशा (दक्षिणावर्त) में दीपक घुमाएं।
- घंटी बजाते हुए "ॐ जय जगदीश हरे" आरती गाएं।
5. श्रद्धा और ध्यान का नियम
- आरती करते समय मन शांत रखें और भगवान विष्णु का ध्यान करें।
- भगवान को पूरी श्रद्धा और भक्ति से स्मरण करें।
- आरती के दौरान कोई बात न करें और वातावरण को पवित्र बनाए रखें।
6. प्रसाद और तुलसी जल
- आरती के बाद भगवान को अर्पित भोग को प्रसाद रूप में सभी को वितरित करें।
- तुलसी जल का पान करें और दूसरों को भी बांटें।
7. अन्य नियम
- आरती के दौरान जूते-चप्पल उतारकर रहें।
- आरती को हमेशा एक पवित्र स्थान पर ही करें।
- यदि संभव हो, तो आरती के बाद विष्णु मंत्रों का जाप करें, जैसे:
- "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।"
- आरती के अंत में भगवान से सभी के कल्याण की प्रार्थना करें।
इन नियमों का पालन करने से आरती का आध्यात्मिक प्रभाव बढ़ता है, और भगवान विष्णु की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
भगवान विष्णु जी की आरती के लाभ
भगवान विष्णु जी की आरती करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, भौतिक सुख-संपत्ति, और आध्यात्मिक समृद्धि प्राप्त होती है। यह आरती भक्त और भगवान के बीच एक सेतु का कार्य करती है, जिससे उनके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक बल का संचार होता है।
सुख-शांति की प्राप्ति:
- विष्णु जी की आरती से मन और घर में शांति का वातावरण बनता है।
- मानसिक तनाव और नकारात्मकता का नाश होता है।
कष्टों का निवारण:
- आरती करने से जीवन के कष्ट, आर्थिक समस्याएं और विपत्तियां दूर होती हैं।
- आरती के दीपक की ज्योति भक्त के जीवन में उजाला लाती है।
आध्यात्मिक उन्नति:
- आरती करने से आत्मिक शुद्धि होती है और भगवान से जुड़ाव बढ़ता है।
- भगवान विष्णु का स्मरण करने से भक्ति और श्रद्धा में वृद्धि होती है।
पारिवारिक समृद्धि:
- आरती से परिवार में सुख, समृद्धि, और सौहार्द बढ़ता है।
- घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
भय और रोगों से रक्षा:
- विष्णु जी की आरती नियमित करने से नकारात्मक शक्तियां और भय दूर होते हैं।
- रोग और शारीरिक कष्टों का निवारण होता है।
संतोष और आत्मविश्वास:
- आरती करने से मन में संतोष और आत्मविश्वास का विकास होता है।
- विष्णु जी की कृपा से जीवन में स्थिरता आती है।
श्री विष्णु आरती Om Jai Jagdish Hare Lyrics
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे ।
भक्तजनों के संकट, क्षण में दूर करे ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे ॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी,
स्वामी शरण गहूं किसकी ।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी ।२।
॥ ॐ जय जगदीश हरे ॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी,
स्वामी तुम अंतरयामी ।
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी ।३।
॥ ॐ जय जगदीश हरे ॥
तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता,
प्रभु तुम पालनकर्ता ।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता ।४।
॥ ॐ जय जगदीश हरे ॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति,
स्वामी सबके प्राणपति ।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति ।५।
॥ ॐ जय जगदीश हरे ॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे,
प्रभु तुम ठाकुर मेरे ।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे ।६।
॥ ॐ जय जगदीश हरे ॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा,
स्वामी पाप हरो देवा ।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा ।७।
॥ ॐ जय जगदीश हरे ॥
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा,
स्वामी सब कुछ है तेरा ।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा ।८।
॥ ॐ जय जगदीश हरे ॥
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे ।९।
॥ ॐ जय जगदीश हरे ॥
निष्कर्ष
भगवान विष्णु जी की आरती न केवल एक धार्मिक कृत्य है, बल्कि यह भक्त के जीवन को शांति, समृद्धि, और सुख से भर देती है। यह भगवान के प्रति भक्ति और आस्था का प्रतीक है। आरती के माध्यम से भक्त भगवान को धन्यवाद देता है और अपनी प्रार्थनाएं उन तक पहुंचाता है।
निष्कर्ष रूप में:
- भगवान विष्णु की आरती से भक्त को उनके आशीर्वाद की अनुभूति होती है।
- यह साधना और भक्ति का सरल मार्ग है, जो हर भक्त के लिए सुलभ है।
- जो भक्त नियमित रूप से श्रद्धा और नियमपूर्वक विष्णु जी की आरती करता है, उसे जीवन में सफलता, शांति, और भगवान की कृपा अवश्य प्राप्त होती है।
"ॐ जय जगदीश हरे" आरती गाने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद सभी बाधाओं को हर लेता है और जीवन को सुखमय बनाता है।
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