संकटनाशन श्री विष्णु स्तोत्र (PDF) | Sankatnashan Shri Vishnu Stotra (PDF)

संकटनाशन श्री विष्णु स्तोत्र (PDF)

पद्मपुराणे नारदसंवादे सङ्कष्टनाशनं नाम विष्णुस्तोत्रं

श्री गणेशाय नमः

संकटनाशन विष्णु स्तोत्र का पाठ करने से जीवन में आई समस्याओं का समाधान होता है, मानसिक शांति मिलती है और दुखों से मुक्ति मिलती है। यह स्तोत्र भगवान विष्णु की शक्ति और कृपा का आह्वान करता है। पद्मपुराण में नारदजी के माध्यम से यह स्तोत्र वर्णित है, जो सभी कष्टों और संकटों से उबरने के लिए अत्यंत प्रभावी माना जाता है।

संकटनाशन श्री विष्णु स्तोत्र पाठ की विधि:

संकटनाशन श्री विष्णु स्तोत्र का पाठ विधि से करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है और विभिन्न कष्टों से मुक्ति मिलती है। इस स्तोत्र का पाठ विशेष रूप से संकटों से मुक्ति, कष्टों के निवारण और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए किया जाता है। नीचे संकटनाशन श्री विष्णु स्तोत्र का पाठ विधि दी जा रही है:

  1. शुद्धता:

    • सबसे पहले, पाठ करने से पहले स्नान करके शुद्ध हो जाएं और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
    • अगर संभव हो तो पूजा स्थल को स्वच्छ करें और वहां दीपक या अगरबत्ती लगाएं।
  2. गणेश पूजा:

    • श्री गणेश का वाचन करें और उन्हें श्रद्धा से प्रणाम करें। गणेश भगवान को नमस्कार करने से सभी विघ्न समाप्त हो जाते हैं और पूजा में सफलता मिलती है।

    • गणेश मंत्र:
      "ॐ श्री गणेशाय नमः"

  3. श्री विष्णु का ध्यान:

    • फिर श्री विष्णु भगवान का ध्यान करें। ध्यान में भगवान विष्णु के सुंदर रूप, उनका शंख, चक्र और गदा धारण करने का ध्यान करें।

    • ध्यान मंत्र:
      "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय"

  4. संकटनाशन विष्णु स्तोत्र का पाठ:

    • अब संकटनाशन श्री विष्णु स्तोत्र का पाठ आरंभ करें। इस स्तोत्र का पाठ 3, 7, 11 या 21 बार करना उत्तम होता है।
    • प्रत्येक श्लोक का उच्चारण सही तरीके से और धैर्यपूर्वक करें। अगर संभव हो तो शंख, घंटी या मृदंग का भी प्रयोग करें, जिससे वातावरण में सकारात्मकता बढ़े।
  5. स्मरण:

    • स्तोत्र का पाठ करते समय भगवान विष्णु का ध्यान करते रहें और उनके गुणों का स्मरण करें। विश्वास और श्रद्धा के साथ पाठ करना चाहिए, ताकि भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त हो।
  6. अर्चना और आरती:

    • पाठ समाप्त होने के बाद भगवान विष्णु की अर्चना करें। उनके चरणों में पुष्प अर्पित करें और अंत में "श्री विष्णु आरती" का पाठ करें।
  7. फलश्रुति का वाचन:

    • स्तोत्र के अंत में फलश्रुति का वाचन करें, जिसमें बताया गया है कि इस स्तोत्र का पाठ करने से क्या लाभ मिलते हैं। फलश्रुति में भगवान विष्णु के अनंत आशीर्वाद का वर्णन किया गया है।

    • फलश्रुति: "इति संकटनाशनं स्तोत्रं पठित्वा सुखी भवेत्।"

  8. प्रसाद वितरण:

    • अंत में भगवान विष्णु का प्रसाद बांटें और यह आशीर्वाद प्राप्त करें कि आपके जीवन से सभी संकट दूर हो जाएं।

समाप्ति:

  • स्तोत्र का पाठ पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ करें। भगवान विष्णु की कृपा से आपके सभी संकट समाप्त हो जाएंगे और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आएगी।

संकटनाशन श्री विष्णु स्तोत्र का पाठ करते समय कुछ महत्वपूर्ण बातें:

  • एकाग्रता: जब आप स्तोत्र का पाठ करें, तो आपकी एकाग्रता पूरी तरह से भगवान विष्णु पर होनी चाहिए।
  • सादगी: पूजा की विधि में सादगी रखें। अगर कोई विशेष सामग्री नहीं है, तो भी श्रद्धा और विश्वास से पूजा पूरी हो जाती है।
  • सच्ची श्रद्धा: बिना किसी अन्य उद्देश्य के, केवल भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए पाठ करें।

संकटनाशन श्री विष्णु स्तोत्र का पाठ के नियम:

संकटनाशन श्री विष्णु स्तोत्र का पाठ विशेष रूप से संकटों, कष्टों और कठिनाइयों से मुक्ति पाने के लिए किया जाता है। इस स्तोत्र का पाठ करते समय कुछ विशेष नियमों का पालन करना चाहिए ताकि उसका अधिकतम लाभ प्राप्त हो सके। यहां कुछ महत्वपूर्ण नियम दिए गए हैं:

1. शुद्धता और स्वच्छता:

  • शरीर और मन की शुद्धि बहुत महत्वपूर्ण है। पाठ से पहले स्नान करके शुद्ध और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • स्वच्छ स्थान पर ही पूजा करें, जहां पर शांति और ध्यान लगाने के लिए उपयुक्त वातावरण हो।

2. समय का चयन:

  • संकटनाशन विष्णु स्तोत्र का पाठ विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को अत्यधिक प्रभावशाली माना जाता है।
  • आप इसे हर दिन भी कर सकते हैं, लेकिन यदि विशेष रूप से संकट या कष्ट का सामना कर रहे हैं तो इन दो दिनों में विशेष ध्यान देने से लाभ होता है।

3. एकाग्रता और श्रद्धा:

  • पाठ के दौरान मन को पूरी तरह से एकाग्र और शांत रखें। भगवान विष्णु की दिव्य छवि का ध्यान करें और श्रद्धा के साथ स्तोत्र का उच्चारण करें।
  • पाठ करते समय किसी भी प्रकार के विचारों से ध्यान भटकने से बचें।

4. उच्चारण और जाप:

  • संकटनाशन विष्णु स्तोत्र का उच्चारण स्पष्ट और सही तरीके से करें। अगर आप इसे मौन जप करना चाहते हैं तो भी परिणाम प्राप्त होंगे, लेकिन सामान्य या उच्च स्वर में इसे पढ़ने से अधिक ऊर्जा मिलती है।
  • यदि संभव हो तो इसे 108 बार जपने का प्रयास करें। इससे विशेष लाभ मिलता है।

5. भगवान विष्णु का ध्यान:

  • स्तोत्र का पाठ करते समय अपने मन में भगवान विष्णु की छवि को बनाए रखें। भगवान विष्णु के मूल मंत्र या ध्यान मंत्र का भी उच्चारण कर सकते हैं:
    • ॐ नमो भगवते वासुदेवाय – यह मंत्र भगवान विष्णु की पूजा और ध्यान के लिए है।

6. पूर्ण आस्था और विश्वास:

  • संकटनाशन विष्णु स्तोत्र का पाठ केवल आस्था और विश्वास के साथ करें। यह स्तोत्र जीवन के संकटों से मुक्ति पाने में बहुत प्रभावशाली है, लेकिन इसका प्रभाव तभी होता है जब आप इसे पूरी निष्ठा और विश्वास के साथ करें।

7. प्रतिदिन पाठ करना:

  • यदि आपको नियमित रूप से समस्याएं या कष्ट आ रहे हैं, तो प्रतिदिन इसका पाठ करें। यह संकटों से जल्दी मुक्ति दिलाता है और मानसिक शांति भी प्रदान करता है।

8. भोजन और व्रत:

  • अगर आप व्रत रखते हैं, तो संकटनाशन विष्णु स्तोत्र का पाठ व्रत के दौरान करें। इससे व्रत का लाभ भी बढ़ जाता है।

9. शांति और समर्पण:

  • पाठ के बाद भगवान विष्णु का धन्यवाद करें और अपने सारे कष्टों के निवारण के लिए उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
  • प्रसाद को परिवार के सभी सदस्यों में बांटें और शांति बनाए रखें।

10. निष्कलंक आस्था:

  • पाठ करते समय किसी भी प्रकार के दुराग्रह, अहंकार, या लालच से बचें। पूरी निष्कलंक आस्था और शुद्ध भाव से ही इसका पाठ करें।

संकटनाशन श्री विष्णु स्तोत्र का पाठ के लाभ और निष्कर्ष:

लाभ (Benefits):

  1. संकटों से मुक्ति:

    • संकटनाशन श्री विष्णु स्तोत्र का पाठ व्यक्ति को जीवन में आने वाले विभिन्न प्रकार के संकटों और परेशानियों से मुक्ति दिलाने में मदद करता है। यह संकटों को दूर करके व्यक्ति को शांति और संतुलन प्रदान करता है।
  2. मानसिक शांति:

    • इस स्तोत्र का नियमित पाठ मानसिक तनाव और मानसिक विकारों को समाप्त करने में सहायक होता है। यह मन को शांत करता है और व्यक्ति को मानसिक संतुलन प्रदान करता है।
  3. कष्टों और दुखों का निवारण:

    • इस स्तोत्र का पाठ करने से शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कष्टों का निवारण होता है। जो लोग शारीरिक पीड़ा या दुखों से जूझ रहे हैं, वे इस स्तोत्र का पाठ करके राहत पा सकते हैं।
  4. मनोकामनाओं की पूर्ति:

    • संकटनाशन श्री विष्णु स्तोत्र का पाठ करने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है और इच्छाओं की सिद्धि होती है। व्यक्ति की जीवन में सफलताओं के द्वार खुलते हैं।
  5. भाग्य में सुधार:

    • इस स्तोत्र का पाठ व्यक्ति के भाग्य को सुधारने में सहायक होता है। यह व्यक्ति के जीवन में भाग्य के द्वार को खोलता है और सभी प्रकार की नकारात्मकता को समाप्त करता है।
  6. धन-संपत्ति का संचार:

    • यह स्तोत्र घर में धन, सुख और समृद्धि लाने के लिए जाना जाता है। घर में सुख-शांति बनी रहती है और आर्थिक संकट दूर होते हैं।
  7. पारिवारिक सुख:

    • संकटनाशन श्री विष्णु स्तोत्र का पाठ पारिवारिक सुख और समृद्धि में वृद्धि करता है। घर में सभी सदस्य शांतिपूर्वक रहते हैं और पारिवारिक संबंध मजबूत होते हैं।
  8. संसारिक बंधनों से मुक्ति:

    • यह स्तोत्र व्यक्ति को जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति दिलाने में सहायक है। इसके द्वारा आत्मा को आध्यात्मिक उन्नति मिलती है।
  9. स्वास्थ्य में सुधार:

    • जो लोग शारीरिक रोगों से जूझ रहे हैं, उनके लिए यह स्तोत्र बहुत लाभकारी है। यह शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार करता है और रोगों से मुक्त करता है।

॥ संकष्टनाशन विष्णुस्तोत्रम् ॥

श्री गणेशाय नमः ॥

नारद उवाच।

पुनर्दैत्यं समायान्तं दृष्ट्वा देवाः सवासवाः ।
भयप्रकंपिताः सर्वे विष्णुं स्तोतुं प्रचक्रमुः ॥ १॥

देवा उवाच।

नमो मत्स्यकूर्मादिनानास्वरूपैः सदा भक्तकार्योद्यतायार्तिहन्त्रे ।
विधात्रादि सर्गस्थितिध्वंसकर्त्रे गदाशंखपद्मारिहस्ताय तेऽस्तु ॥ २॥

रमावल्लभायाऽसुराणां निहन्त्रे भुजंगारियानाय पीताम्बराय ।
मखादिक्रियापाककर्त्रे विकर्त्रे शरण्याय तस्मै नताः स्मो नताः स्मः ॥ ३॥

नमो दैत्यसन्तापितामर्त्यदुःखाचलध्वंसदंभोलये विष्णवे ते ।
भुजंगेशतल्पेशयानायाऽर्कचन्द्रद्विनेत्राय तस्मै नताः स्मो नताः स्मः ॥ ४॥

संकष्टनाशनं नाम स्तोत्रमेतत्पठेन्नरः ।
स कदाचिन्न संकष्टैः पीड्यते कृपया हरेः ॥ ५॥

॥ इति पद्मपुराणे नारदसंवादे सङ्कष्टनाशनं नाम विष्णुस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥


निष्कर्ष (Conclusion):

संकटनाशन श्री विष्णु स्तोत्र का पाठ व्यक्ति के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है। यह स्तोत्र न केवल संकटों और दुखों से मुक्ति प्रदान करता है, बल्कि यह जीवन के हर क्षेत्र में समृद्धि और सफलता की ओर मार्गदर्शन करता है। इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से व्यक्ति की मानसिक स्थिति शांतिपूर्ण बनती है, भाग्य में सुधार होता है, और सभी प्रकार की कठिनाइयाँ दूर हो जाती हैं। जो लोग इसे पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ करते हैं, वे जीवन में हर प्रकार के कष्ट से मुक्त हो जाते हैं और भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति प्राप्त करते हैं।

टिप्पणियाँ