श्री शनि व शनिभार्या स्तोत्र (PDF) | Shri Shani and Shanibharya Stotra (PDF)

श्री शनि - शनि भार्या स्तोत्र

यह स्तोत्र भगवान शनि देव और उनकी पत्नी की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत प्रभावी माना गया है। इसे श्रद्धा और विश्वास के साथ पाठ करने से जीवन में आने वाले कष्ट दूर होते हैं और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।

श्री शनि व शनिभार्या स्तोत्र का पाठ विधि-विधान

श्री शनि व शनिभार्या स्तोत्र का पाठ शनि देव और उनकी पत्नी की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत प्रभावी माना गया है। इस स्तोत्र का पाठ विधि-विधान से करने से व्यक्ति शनि दोष, साढ़े साती और ढैया जैसे कष्टों से मुक्ति पाता है। नीचे पाठ की विधि दी गई है:


पाठ से पूर्व तैयारी

  1. स्नान व स्वच्छ वस्त्र:
    पाठ से पहले सुबह स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

  2. पूजा स्थान की सफाई:
    पूजा स्थान को स्वच्छ करें और शनि देव की मूर्ति या तस्वीर के सामने पाठ करें।

  3. पूजा सामग्री:

    • सरसों का तेल
    • नीले या काले वस्त्र (दान या पूजा के लिए)
    • नीले फूल (यदि उपलब्ध हों)
    • काले तिल
    • दीपक और धूपबत्ती
    • तांबे का पात्र और जल

विधि

1. दीप प्रज्वलित करें

  • सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
  • धूपबत्ती लगाएं और शनि देव का ध्यान करें।

2. शनि देव का ध्यान

  • अपनी आंखें बंद करें और शनि देव की कृपा का स्मरण करें।
  • ध्यान में प्रार्थना करें:
    "हे शनि देव! मेरे जीवन के कष्टों को हरें और मुझे सुख-शांति प्रदान करें।"
3. श्री शनि स्तोत्र का पाठ
  • पूरे मनोयोग और श्रद्धा से "श्री शनि स्तोत्र" का पाठ करें।
  • पाठ करते समय शनि देव के 10 नामों और उनकी महिमा का स्मरण करें।
4. शनि पत्नी का स्मरण
  • "शनि भार्या स्तोत्र" का पाठ करें और उनकी पत्नियों के 10 नामों का जप करें।
  • उनसे प्रार्थना करें कि वे शनि देव को प्रसन्न करें और आपकी समस्याओं का समाधान करें।

5. अर्पण करें

  • सरसों का तेल, काले तिल और नीले फूल शनि देव को अर्पित करें।
  • दीपक के चारों ओर सात बार घी या तेल का दीप घुमाकर आरती करें।
6. दान का महत्व
  • पाठ के बाद किसी गरीब या जरूरतमंद व्यक्ति को काले तिल, काले वस्त्र या भोजन दान करें।
  • शनिवार को शनि देव के नाम पर दान करना विशेष फलदायी माना जाता है।

विशेष दिन और समय
  • शनि अमावस्या, शनिवार, या संध्या काल (सूर्यास्त के समय) पर यह पाठ करना अत्यंत शुभ होता है।
  • यदि शनिवार को यह पाठ किया जाए, तो कष्टों का शीघ्र निवारण होता है।

सावधानियां

  1. पाठ करते समय मन को शुद्ध और शांत रखें।
  2. क्रोध, अहंकार और असत्य से बचें।
  3. शनि देव का पूजन करने के बाद उनके प्रिय जीवों (कौवे, कुत्ते) को अन्न दें।

नियमित रूप से इस स्तोत्र का पाठ करने से शनि देव और उनकी पत्नी प्रसन्न होकर जीवन में सुख, समृद्धि और शांति प्रदान करते हैं।
॥ जय शनिदेव! ॥

श्री शनि व शनिभार्या स्तोत्र का पाठ करते समय कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक है, ताकि शनि देव और उनकी पत्नी की कृपा शीघ्र प्राप्त हो। इन नियमों का पालन करने से पाठ का प्रभाव बढ़ता है और जीवन में सकारात्मक परिणाम देखने को मिलते हैं।


श्री शनि व शनिभार्या स्तोत्र के नियम

1. पवित्रता और स्वच्छता
  • पाठ से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • पूजा स्थान को साफ-सुथरा रखें।
  • मन और शरीर को शांत व स्थिर रखें।
2. समय और दिन का चयन
  • शनिवार का दिन और संध्या काल (सूर्यास्त के समय) सबसे उत्तम माने जाते हैं।
  • शनि अमावस्या पर यह पाठ करना विशेष फलदायी होता है।
  • प्रतिदिन पाठ करने वाले सुबह के समय शनि देव का ध्यान करके पाठ शुरू करें।
3. पूजा सामग्री का उपयोग
  • सरसों का तेल, काले तिल, नीले या काले फूल, और सरसों के तेल का दीपक शनि देव की पूजा में प्रयोग करें।
  • नीले या काले रंग के वस्त्र पहनना शुभ होता है।
4. नियमबद्ध आचरण
  • पाठ के दौरान और उसके बाद संयमित जीवन जीएं।
  • क्रोध, अहंकार, हिंसा, और असत्य से बचें।
  • सात्विक आहार और विचार रखें।
5. शनि देव की सेवा
  • कौवे, काले कुत्ते या गरीबों को भोजन देना शनि देव की कृपा पाने का महत्वपूर्ण उपाय है।
  • पीपल के वृक्ष की पूजा करें और उसके नीचे दीपक जलाएं।
6. एकाग्रता और श्रद्धा
  • पाठ करते समय मन को भटकने न दें।
  • पूरे ध्यान और श्रद्धा के साथ शनि देव और उनकी पत्नी का स्मरण करें।
  • "श्री शनि व शनिभार्या स्तोत्र" को सही उच्चारण के साथ पढ़ें।

7. दान का महत्व

  • पाठ के बाद सरसों का तेल, काले तिल, लोहे के पात्र, काले कपड़े, या अन्न का दान करें।
  • गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता करें।
8. जप संख्या
  • स्तोत्र का पाठ कम से कम 7 बार करें। यदि संभव हो तो इसे 11 या 21 बार पढ़ें।
  • नियमित रूप से पाठ करना शुभ माना गया है।
9. अनुष्ठान के दौरान वर्जित कार्य
  • अपवित्र स्थान पर पाठ न करें।
  • तामसिक आहार, नशा, और बुरी संगति से बचें।
  • दूसरों का अपमान और छल-कपट न करें।
10. विशेष ध्यान
  • यदि आप "शनि साढ़े साती" या "ढैया" के प्रभाव में हैं, तो इस स्तोत्र का पाठ विशेष लाभकारी होगा।
  • पाठ के दौरान भगवान शनि और उनकी पत्नी के नामों का ध्यान करते हुए अपने कष्टों के निवारण की प्रार्थना करें।

नियमों का पालन करने से लाभ

  1. शनि दोष, साढ़े साती और ढैया का प्रभाव कम होता है।
  2. जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि का आगमन होता है।
  3. शनि देव की कृपा से धन, स्वास्थ्य, और मानसिक संतुलन मिलता है।
  4. सभी प्रकार के भय और कष्ट समाप्त हो जाते हैं।

श्रद्धा और नियमबद्धता के साथ पाठ करें, और शनिदेव व उनकी पत्नी की कृपा प्राप्त करें।
॥ जय शनिदेव ॥

श्री शनि व शनिभार्या स्तोत्र के लाभ (Benefits)

श्री शनि व शनिभार्या स्तोत्र का पाठ नियमित रूप से श्रद्धा और नियमपूर्वक करने से व्यक्ति को अनेक आध्यात्मिक और सांसारिक लाभ प्राप्त होते हैं। शनि देव और उनकी पत्नी की कृपा से जीवन में आने वाले कष्टों का निवारण होता है।

1. शनि दोष का निवारण

  • शनि की साढ़े साती, ढैया, और कुंडली में शनि के अशुभ प्रभाव से राहत मिलती है।
  • पाठ करने से शनि की टेढ़ी दृष्टि सकारात्मक ऊर्जा में बदल जाती है।

2. कष्टों का समाधान

  • जीवन में आ रहे आर्थिक, मानसिक, और शारीरिक कष्टों का निवारण होता है।
  • व्यवसाय, नौकरी, और परिवार से जुड़े विवाद समाप्त होते हैं।

3. भय और बाधाओं का अंत

  • अज्ञात भय, कोर्ट-कचहरी, शत्रु और दुर्घटनाओं से सुरक्षा मिलती है।
  • बुरे सपनों और मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है।

4. सुख-समृद्धि में वृद्धि

  • शनि देव की कृपा से धन, स्वास्थ्य, और सौभाग्य में वृद्धि होती है।
  • जीवन में स्थिरता और शांति का आगमन होता है।

5. शनि पत्नी का आशीर्वाद

  • शनि पत्नी के नामों का पाठ करने से वैवाहिक जीवन में सुख, सामंजस्य, और प्रेम बढ़ता है।
  • महिलाएं यह पाठ करके परिवार की खुशहाली और शनि दोष से मुक्ति पा सकती हैं।

6. आध्यात्मिक उन्नति

  • पाठ के माध्यम से आत्मा शुद्ध होती है और व्यक्ति का आध्यात्मिक विकास होता है।
  • व्यक्ति का धैर्य, संयम, और सहनशीलता बढ़ती है।

7. रोगों से मुक्ति

  • शनि देव की कृपा से त्वचा रोग, हड्डी से जुड़े विकार, और लंबी बीमारी में राहत मिलती है।
  • मानसिक तनाव और अवसाद से छुटकारा मिलता है।

श्री शनि व शनिभार्या स्तोत्र के निष्कर्ष (Conclusions)

  1. शक्ति का स्रोत:
    यह स्तोत्र शनि देव की शक्तियों का केंद्र है। इसे पढ़ने से शनि देव और उनकी पत्नी की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।

  2. शांति का मार्ग:
    पाठ व्यक्ति के मन को शांत करता है और उसे जीवन की परेशानियों से लड़ने की ताकत प्रदान करता है।

  3. श्रद्धा और विश्वास का महत्व:
    इस स्तोत्र का प्रभाव तभी होता है जब इसे श्रद्धा, नियम, और विश्वास के साथ पढ़ा जाए।

  4. सावधानी और संयम:
    स्तोत्र पढ़ते समय और उसके बाद संयमित जीवनशैली अपनानी चाहिए। बुरे कर्म, क्रोध, और अहंकार से बचना चाहिए।

  5. दान का महत्व:
    शनि देव के नाम पर दान करने से स्तोत्र का प्रभाव बढ़ता है। काले तिल, सरसों का तेल, और काले कपड़े का दान विशेष फलदायी होता है।

श्री शनि शनि भार्या स्तोत्र ! Shree Shani Shani bhaarya stotr

य: पुरा राज्यभ्रष्टाय नलाय प्रददो किल ।
स्वप्ने सौरि: स्वयं मन्त्रं सर्वकामफलप्रदम्।।1।।

क्रोडं नीलांजनप्रख्यं नीलजीमूत सन्निभम्।
छायामार्तण्ड-संभूतं नमस्यामि शनैश्चरम्।।2।।

ऊँ नमोSर्कपुत्रायशनैश्चराय नीहार वर्णांजननीलकाय ।
स्मृत्वा रहस्यं भुवि मानुषत्वे फलप्रदो मे भव सूर्यपुत्र ।।3।।

नमोSस्तु प्रेतराजाय कृष्ण वर्णाय ते नम: ।
शनैश्चराय क्रूराय सिद्धि बुद्धि प्रदायिने ।।4।।

य एभिर्नामभि: स्तौति तस्य तुष्टो भवाम्यहम् |
मामकानां भयं तस्य स्वप्नेष्वपि न जायते ।।5।।

गार्गेय कौशिकस्यापि पिप्पलादो महामुनि: ।
शनैश्चर कृता पीड़ा न भवति कदाचन:।।6।।

क्रोडस्तु पिंगलो बभ्रु: कृष्णो रौद्रोSन्तको यम: ।
शौरि: शनैश्चरो मन्द: पिप्पलादेन संयुत:।।7।।

एतानि शनि नामानि प्रातरुत्थाय य: पठेत्।
तस्य शौरे: कृता पीड़ा न भवति कदाचन ।।8।।

।।शनिभार्या नमामि।।

(शनि पत्नी के दस नाम)

ध्वजनी धामनी चैव कंकाली कलहप्रिया ।
क्लही कण्टकी चापि अजा महिषी तुरंगमा ।।9।।

नामानि शनि-भार्याया: नित्यं जपति य: पुमान्।
तस्य दु:खा: विनश्यन्ति सुखसौभाग्यं वर्द्धते ।।10।।


विशेष ध्यान देने योग्य बातें

  • यदि शनि दोष या अन्य कष्ट बहुत ज्यादा हैं, तो इस स्तोत्र का पाठ किसी विद्वान पंडित की सहायता से कराएं।
  • जीवन में आने वाली हर कठिनाई को शनि देव की कृपा से एक नई सीख मानें।
  • शनिवार के दिन इस स्तोत्र का पाठ करना विशेष शुभ होता है।

श्री शनि व शनिभार्या स्तोत्र का नियमित पाठ आपको शक्ति, शांति, और समृद्धि प्रदान करेगा।
॥ जय शनिदेव ॥

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