श्री विष्णु नारायण हृदय स्तोत्र (PDF)
श्री विष्णु नारायण हृदय स्तोत्र: एक शक्तिशाली स्तोत्र
नारायण हृदय स्तोत्र को बहुत गुप्त और दुर्लभ माना जाता है, जिसे विधिपूर्वक और गुरु से प्राप्त करके पढ़ना चाहिए। यह स्तोत्र भगवान नारायण और देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए अत्यंत प्रभावी माना जाता है। यह स्तोत्र न केवल आत्मिक शांति और समृद्धि की प्राप्ति में मदद करता है, बल्कि जीवन के विभिन्न संकटों से मुक्ति भी दिलाता है।
नारायण हृदय स्तोत्र का पाठ विधि
नारायण हृदय स्तोत्र का पाठ कुछ विशेष विधि के साथ किया जाता है। यह एक गुप्त और शक्तिशाली मंत्र है, जिसे सही तरीके से पढ़ने के लिए गुरु की आशीर्वाद की आवश्यकता होती है। इस स्तोत्र के पाठ की विधि निम्नलिखित है:
शुद्धता और पूजन की तैयारी:
- सबसे पहले स्नान करके स्वच्छ हो जाएं और पवित्र स्थान पर बैठें।
- अपने आस-पास को स्वच्छ करें और दीपक या अगरबत्ती जलाएं।
- पूजा के दौरान भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के चित्र या मूर्तियों का ध्यान करें।
गणेश पूजा:
- पाठ प्रारंभ करने से पहले भगवान गणेश की पूजा करें और उन्हें प्रणाम करें। इस से आपके सभी विघ्न समाप्त हो जाएंगे।
- गणेश मंत्र का उच्चारण करें:"ॐ श्री गणेशाय नमः"
नारायण हृदय स्तोत्र का पाठ:
- करन्यास: पाठ से पहले हाथों में इस मंत्र का उच्चारण करना होता है।"ॐ नारायणः परम् ज्योतिरित्यन्गुष्ठाभ्यनमः"
- ध्यान मंत्र: इस स्तोत्र का ध्यान करते हुए, भगवान नारायण का ध्यान करें और निम्नलिखित ध्यान मंत्र का जाप करें:"उद्ददादित्यसङ्गाक्षं पीतवाससमुच्यतंशङ्ख चक्र गदापाणिं ध्यायेलक्ष्मीपतिं हरिम्"
नारायण हृदय स्तोत्र का पाठ:
- इस मंत्र का सही उच्चारण करें:"ॐ नारायणः परम् ज्योतिरित्यन्गुष्ठाभ्यनमः,नारायणः परम् ब्रह्मेति तर्जनीभ्यानमः,नारायणः परो देव इति मध्य्माभ्यान्मः"
अंतिम जप:
- पाठ को पूरा करने के बाद, "ॐ नमो भगवते नारायणाय" का मंत्र 108 बार जाप करें।
सिद्धि और आशीर्वाद:
- अंत में, भगवान नारायण और देवी लक्ष्मी की प्रार्थना करें और उन्हें धन्यवाद दें।
- "श्री नारायणाय नमः" का जाप करके ध्यान एकाग्र करें और शुभ आशीर्वाद प्राप्त करें।
नारायण हृदय स्तोत्र पाठ के नियम
नारायण हृदय स्तोत्र का पाठ करने के लिए कुछ विशेष नियमों का पालन करना चाहिए ताकि इस स्तोत्र का अधिकतम लाभ प्राप्त हो सके। इन नियमों का पालन करने से पाठ अधिक प्रभावी और सशक्त होता है। नीचे नारायण हृदय स्तोत्र के पाठ के नियम दिए गए हैं:
1. शुद्धता का ध्यान रखें
- पाठ प्रारंभ करने से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- पूजा स्थान को साफ और पवित्र रखें। वातावरण को भी स्वच्छ बनाएं, जैसे दीपक या अगरबत्ती जलाना।
2. मानसिक शुद्धता
- पाठ करने से पहले, अपने मन को शांत और स्थिर करें। मानसिक रूप से भगवान नारायण की पूजा के लिए तैयार रहें।
- अपने मन और हृदय को पवित्र करने के लिए कुछ समय ध्यान करें और नकारात्मक विचारों को छोड़ दें।
3. सही समय पर पाठ करें
- प्रात: काल (सूर्योदय से पूर्व) या संध्या समय (सूर्यास्त के बाद) नारायण हृदय स्तोत्र का पाठ सर्वोत्तम होता है।
- ये समय भगवान की पूजा और मंत्र जाप के लिए विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं।
4. शांति और एकाग्रता
- पाठ करते समय, आपके आसपास कोई विघ्न या बाधा नहीं होनी चाहिए। इस दौरान फोन, टीवी या अन्य कोई बाहरी तत्व आपको विचलित न करें।
- शांतिपूर्ण और एकाग्र मन से ही पाठ करें।
5. गुरु की उपस्थिति या आशीर्वाद
- नारायण हृदय स्तोत्र को प्राप्त करने के लिए एक योग्य गुरु से मार्गदर्शन प्राप्त करना सबसे अच्छा होता है। गुरु के आशीर्वाद से यह स्तोत्र अधिक प्रभावी हो जाता है।
- यदि गुरु से प्राप्त नहीं कर सकते हैं तो श्रद्धा और विश्वास के साथ इसे स्वयं भी पढ़ सकते हैं, लेकिन गुरु की कृपा का महत्व सर्वोपरि है।
6. पाठ की विधि
करन्यास और अंगन्यास: नारायण हृदय स्तोत्र का पाठ करने से पहले इन दोनों का सही तरीके से उच्चारण करें।
- ध्यान मंत्र: पाठ करने से पहले भगवान नारायण का ध्यान करें, जैसे कि"उद्ददादित्यसङ्गाक्षं पीतवाससमुच्यतंशङ्ख चक्र गदापाणिं ध्यायेलक्ष्मीपतिं हरिम्"
इसके बाद, पूरे स्तोत्र का पाठ करें। इसे एक बार पूरी श्रद्धा और एकाग्रता से उच्चारण करें।
7. जाप संख्या
- नारायण हृदय स्तोत्र का जाप कम से कम 108 बार करें। यह संख्या शास्त्रों में सिद्ध मानी जाती है। यदि संभव हो तो इसे 1,008 या 10,800 बार भी किया जा सकता है।
8. मानसिक भक्ति और विश्वास
- पाठ करते समय भगवान नारायण के प्रति पूर्ण श्रद्धा और विश्वास रखें। मंत्र जाप को न केवल श्रवण और उच्चारण, बल्कि पूरे मन से भक्ति भाव के साथ करें।
- हर मंत्र के साथ भगवान नारायण की दिव्यता का अनुभव करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए तत्पर रहें।
9. पाठ के बाद प्रार्थना
- पाठ के बाद, भगवान नारायण की स्तुति करें और उनके आशीर्वाद के लिए धन्यवाद करें।
- "ॐ नमो भगवते नारायणाय" मंत्र का जाप करें और प्रार्थना करें कि भगवान नारायण और देवी लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहे।
10. नियमितता का पालन करें
- नारायण हृदय स्तोत्र का पाठ नियमित रूप से करना चाहिए। इससे मन की शांति और भगवान का आशीर्वाद मिलता है।
- यदि आप इसे एक दिन छोड़ देते हैं, तो अगले दिन पुनः उसी दिन से शुरू करें और पाठ में बाधा न डालें।
इन नियमों का पालन करके नारायण हृदय स्तोत्र का पाठ करने से न केवल आध्यात्मिक लाभ होता है, बल्कि जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता भी मिलती है।
नारायण हृदय स्तोत्र पाठ के लाभ
नारायण हृदय स्तोत्र का पाठ कई प्रकार के आध्यात्मिक और भौतिक लाभ प्रदान करता है। यह स्तोत्र विशेष रूप से भगवान नारायण (विष्णु) की उपासना और आशीर्वाद प्राप्ति के लिए अत्यंत प्रभावी माना जाता है। इस स्तोत्र के पाठ से व्यक्ति के जीवन में अनेक शुभ परिवर्तन आते हैं। नीचे इसके लाभ और निष्कर्ष दिए गए हैं:
धन-धान्य की प्राप्ति:
- इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से व्यक्ति के घर में धन-धान्य और समृद्धि बनी रहती है। भगवान नारायण और देवी लक्ष्मी की कृपा से जीवन में आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
मनोकामनाओं की पूर्ति:
- नारायण हृदय स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यह स्तोत्र इच्छाओं की पूर्ति में सहायक होता है, जैसे कि नौकरी में सफलता, व्यापार में वृद्धि या पारिवारिक समृद्धि।
दुखों और दरिद्रता का नाश:
- इस स्तोत्र का पाठ करने से मानसिक और भौतिक कष्ट दूर होते हैं। दरिद्रता, कष्ट, और मानसिक तनाव दूर हो जाते हैं। भगवान नारायण की कृपा से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
उत्तम संतान की प्राप्ति:
- जो लोग संतान सुख प्राप्त करने के इच्छुक हैं, वे इस स्तोत्र का नियमित रूप से पाठ करें। यह स्तोत्र संतान सुख की प्राप्ति में सहायक माना जाता है।
वंश की वृद्धि:
- यह स्तोत्र वंश की वृद्धि के लिए भी शुभ माना जाता है। परिवार में संतान और वंशवृद्धि के लिए यह स्तोत्र अति प्रभावी है।
यश और बल में वृद्धि:
- नारायण हृदय स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति का यश और बल बढ़ता है। इसे पढ़ने से मान-सम्मान में वृद्धि होती है और लोग उसे आदर देते हैं।
वाणी की सत्यता:
- यह स्तोत्र व्यक्ति की वाणी को सत्य, शुद्ध और प्रभावी बनाता है। इसका पाठ करने से व्यक्ति की वाणी में बल और प्रभाव बढ़ता है।
पापों का नाश:
- नारायण हृदय स्तोत्र का पाठ करने से पापों का नाश होता है। व्यक्ति के जीवन से दोष और कष्ट समाप्त होते हैं और भगवान की कृपा से जीवन में सुख-शांति रहती है।
आध्यात्मिक उन्नति:
- यह स्तोत्र व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति और परमात्मा के साथ एकता की अनुभूति कराता है। यह व्यक्ति की आत्मा को शुद्ध करता है और उसे सत्य के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।
श्री विष्णु नारायण हृदय स्तोत्र
करन्यास:-
ॐ नारायणःपरम् ब्रह्मेति तर्जनीभ्यानमः
ॐ नारायणः परो देव इति मध्य्माभ्यान्मः
ॐ नारायणःपरम् धामेति अनामिकाभ्यान्मः
ॐ नारायणः परो धर्म इति कनिष्टिकाभ्यान्मः
ॐ विश्वं नारायणःइति करतल पृष्ठाभ्यानमः
नारायणहृदयस्तोत्रं
हरिः ॐ ।
॥ अंगन्यासः ॥
ध्यानं
॥ इत्यथर्वणरहस्योत्तरभागे नारायणहृदयस्तोत्रं संपूर्णं ॥
निष्कर्ष:
नारायण हृदय स्तोत्र का नियमित पाठ व्यक्ति के जीवन में अत्यधिक लाभकारी होता है। इससे न केवल भौतिक समृद्धि और सुख-शांति प्राप्त होती है, बल्कि आत्मिक उन्नति और भगवान नारायण की कृपा भी प्राप्त होती है। यदि यह स्तोत्र सही विधि से और पूर्ण श्रद्धा से पढ़ा जाए तो यह जीवन में अपार सुख और समृद्धि का कारण बन सकता है।
इसका पाठ करते समय व्यक्ति को पूरी श्रद्धा, विश्वास और शुद्धता से जुड़ना चाहिए, ताकि इसे प्रभावी तरीके से किया जा सके। इसे पूरी श्रद्धा के साथ पढ़ने से मनोकामनाओं की पूर्ति, कष्टों से मुक्ति, और जीवन में सुख-संपत्ति का आगमन होता है।
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