संकटनाशन श्री गणेश स्तोत्र PDF
संकटनाशन गणेश स्तोत्र: विघ्नों को हरने वाला श्री गणेश का स्तोत्र
परिचय:

संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करने की विधि:
संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करने के लिए बुधवार का दिन सबसे शुभ माना जाता है। इस पाठ को विधिपूर्वक करने से भगवान गणेश कृपा करते हैं और सभी संकटों का नाश होता है। पाठ की विधि निम्नलिखित है:
पवित्रता का ध्यान रखें: पाठ करने से पहले अपने शरीर और स्थान की शुद्धि करें। बुधवार को सुबह जल्दी उठें, स्नान आदि कर पवित्र हो जाएं।
पूजा स्थान की स्थापना: घर के पूजा स्थल में गणेश जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। अगर संभव हो, तो पूजा के लिए सफेद या पीले वस्त्र पहनें।
गणेश जी की पूजा करें: पूजा की शुरुआत में गणेश जी के समक्ष एक दीपक जलाएं। फूल, अक्षत, चंदन, और विशेष रूप से दूर्वा अर्पित करें, क्योंकि गणेश जी को दूर्वा अत्यंत प्रिय है।
गणेश मंत्र का जाप: पाठ की शुरुआत करने से पहले "ॐ गण गणपतये नमः" मंत्र का 11 बार जाप करें। यह मंत्र आपकी पूजा को शक्ति और पवित्रता प्रदान करता है।
संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करें: ध्यानपूर्वक और श्रद्धा से संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करें। पाठ के समय मन में भगवान गणेश का ध्यान करें और अपने संकटों के निवारण की कामना करें।
पाठ समाप्ति पर पुनः गणेश मंत्र का जाप: पाठ समाप्ति के बाद फिर से "ॐ गण गणपतये नमः" का 11 बार जाप करें और गणेश जी से प्रार्थना करें कि वे आपकी मनोकामनाएं पूरी करें।
प्रसाद वितरण: अंत में, गणेश जी को अर्पित प्रसाद जैसे लड्डू या गुड़-मोड़ का वितरण करें। प्रसाद सभी परिवार के सदस्यों को बांटें और स्वयं भी ग्रहण करें।
नियमितता का पालन करें: संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ अगर नियमित रूप से किया जाए, तो यह अत्यधिक शुभ होता है। सप्ताह में कम से कम एक बार, विशेषकर बुधवार को इसका पाठ अवश्य करें।
इस विधि से संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करने पर भगवान गणेश आपके जीवन से सभी प्रकार के विघ्न और बाधाओं को दूर करेंगे और सुख, समृद्धि, और शांति प्रदान करेंगे।
संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करने के नियम
संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करने के कुछ विशेष नियम हैं, जिनका पालन करने से इस पाठ का अधिक लाभ मिलता है। निम्नलिखित नियमों का ध्यान रखें:
शुद्धता और पवित्रता: पाठ करते समय तन, मन, और वातावरण की शुद्धता का ध्यान रखें। पाठ से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। पाठ के स्थान को भी साफ और पवित्र रखें।
सही समय का चुनाव: संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करने का सबसे शुभ समय बुधवार को सुबह का होता है। शुक्ल पक्ष के पहले बुधवार से इस पाठ की शुरुआत करना विशेष लाभकारी माना जाता है। यदि बुधवार संभव न हो तो किसी भी सुबह के समय पाठ किया जा सकता है।
पूजा स्थान: पाठ हमेशा पूजा स्थल या घर के ऐसे स्थान पर करें जहाँ ध्यान में बाधा न हो। गणेश जी की मूर्ति या चित्र के सामने बैठकर पाठ करें।
दूर्वा और अन्य सामग्री अर्पित करना: पाठ से पहले गणेश जी को दूर्वा घास अर्पित करें, क्योंकि यह उन्हें अत्यंत प्रिय है। इसके साथ ही फूल, अक्षत, चंदन, और मोदक का भी अर्पण करें।
मंत्र जाप: पाठ के आरंभ और समाप्ति पर "ॐ गण गणपतये नमः" का 11 बार जाप करें। यह मंत्र पाठ को शुभता और शक्ति प्रदान करता है।
पवित्र स्थान पर बैठें: पाठ करते समय शांत और ध्यानयुक्त मन से बैठें। आप कुशा के आसन या रेशमी कपड़े के आसन पर बैठ सकते हैं। इसे धार्मिक दृष्टि से शुभ माना जाता है।
श्रद्धा और एकाग्रता: पाठ करते समय पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ भगवान गणेश का ध्यान करें। किसी प्रकार की चिंता या अन्य विचार मन में न लाएं।
नियमितता: यदि आप नियमित रूप से पाठ कर सकते हैं, तो इसे प्रत्येक बुधवार को करना विशेष लाभकारी होता है। साथ ही छह महीने या एक वर्ष तक इसे जारी रखना श्रेष्ठ माना जाता है।
व्रत का पालन (यदि संभव हो): संकटनाशन गणेश स्तोत्र के पाठ के दिन उपवास रखने का भी महत्व है। आप फलाहार कर सकते हैं या केवल एक समय का भोजन ले सकते हैं।
पाठ के बाद प्रसाद: पाठ समाप्ति के बाद गणेश जी को अर्पित प्रसाद, जैसे मोदक या लड्डू, सभी परिवार जनों में बांटें और स्वयं भी ग्रहण करें।
इन नियमों का पालन करते हुए संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करने से भगवान गणेश की विशेष कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन के समस्त विघ्न दूर होते हैं, सुख और समृद्धि आती है, और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करने के लाभ
संकटनाशन गणेश स्तोत्र का नियमित पाठ करने से भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है और जीवन के विभिन्न संकटों का निवारण होता है। इसके प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं:
विघ्न और बाधाओं का नाश: यह स्तोत्र भगवान गणेश को प्रसन्न करता है, जो विघ्नहर्ता कहलाते हैं। इसका पाठ करने से जीवन में आने वाली सभी प्रकार की विघ्न-बाधाएं दूर हो जाती हैं।
धन और समृद्धि में वृद्धि: संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ आर्थिक समस्याओं को दूर करता है और धन-संपत्ति में वृद्धि के लिए शुभ माना जाता है।
स्वास्थ्य लाभ: इसके नियमित पाठ से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। यह मन को शांति और सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है, जिससे तनाव और चिंताओं से मुक्ति मिलती है।
विद्या और बुद्धि की प्राप्ति: विद्यार्थियों के लिए यह स्तोत्र विशेष लाभकारी है। यह स्मरण शक्ति बढ़ाता है और अध्ययन में एकाग्रता लाने में सहायक होता है।
मनोकामना पूर्ति: इस स्तोत्र का पाठ इच्छित फलों की प्राप्ति के लिए अत्यंत प्रभावकारी है। जिनकी कोई विशेष मनोकामना हो, उनके लिए यह पाठ सिद्धि और सफलता का मार्ग खोलता है।
सकारात्मक ऊर्जा का संचार: संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करने से नकारात्मकता दूर होती है और घर-परिवार में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
भय का नाश और आत्मबल में वृद्धि: यह स्तोत्र भय और नकारात्मकता को दूर करता है। इससे आत्मबल और साहस में वृद्धि होती है, जिससे कठिन परिस्थितियों में भी साहस बना रहता है।
मोक्ष की प्राप्ति: मोक्ष की कामना करने वाले भक्तों के लिए भी यह स्तोत्र अत्यंत लाभकारी है। यह उनके आध्यात्मिक विकास में सहायक होता है।
संकष्टनाशनं गणेशस्तोत्रं ! Sankatnashan Ganesh Stotra
श्री गणेशायनमः ॥
नारद उवाच -
प्रणम्यं शिरसा देव गौरीपुत्रं विनायकम ।
भक्तावासं: स्मरैनित्यंमायु:कामार्थसिद्धये ॥1॥
प्रथमं वक्रतुंडंच एकदंतं द्वितीयकम ।
तृतीयं कृष्णं पिङा्क्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम ॥2॥
लम्बोदरं पंचमं च षष्ठं विकटमेव च ।
सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्ण तथाष्टकम् ॥3॥
नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम ।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम ॥4॥
द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्य य: पठेन्नर: ।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वासिद्धिकरं प्रभो ॥5॥
विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम् ॥6॥
जपेद्वगणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासै: फलं लभेत् ।
संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशय: ॥7॥
अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वां य: समर्पयेत ।
तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादत: ॥8॥
॥ इति श्रीनारदपुराणे संकष्टनाशनं गणेशस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
निष्कर्ष
संकटनाशन गणेश स्तोत्र भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने का एक अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है। इसके नियमित पाठ से जीवन के सभी कष्ट, विघ्न-बाधाएं, आर्थिक समस्याएं, स्वास्थ्य और मानसिक परेशानियां दूर होती हैं। इसके अलावा, यह विद्यार्थियों, धन-प्राप्ति, संतान प्राप्ति और मोक्ष की कामना रखने वाले सभी भक्तों के लिए अत्यंत फलदायक है। यह स्तोत्र न केवल संकटों का निवारण करता है, बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शांति का संचार भी करता है। संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ श्रद्धा और नियमपूर्वक करने से भगवान गणेश की कृपा से जीवन सुख, समृद्धि, सफलता, और शांति से भर जाता है।
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