श्री गणेश अष्टकम (पीडीएफ) | Shri Ganesh Ashtakam (PDF)

श्री गणेश अष्टकम | Shri Ganesh Ashtakam

श्री गणेश अष्टकम भगवान गणेश को समर्पित एक दिव्य स्तोत्र है। यह स्तोत्र भगवान गणेश की अनंत शक्तियों, उनकी महिमा, और भक्तों को प्रदान किए जाने वाले आशीर्वादों का वर्णन करता है। श्री गणेश अष्टकम का पाठ भक्तों को विघ्नों से मुक्ति, कार्यसिद्धि, समृद्धि और आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है।

श्री गणेश अष्टकम का महत्व

भगवान गणेश की पूजा में विशेष रूप से मोदक और दूर्वा का भोग चढ़ाया जाता है। दूर्वा चढ़ाने से भक्तों के जीवन में सुख-समृद्धि और शांति आती है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान गणेश की पूजा से व्यक्ति को सभी प्रकार के दुख, संकट, और विघ्नों से मुक्ति मिलती है।

भगवान गणेश को "विघ्नहर्ता" कहा जाता है, क्योंकि वे अपने भक्तों के जीवन की सभी बाधाओं को दूर कर उन्हें सही मार्ग पर ले जाते हैं। श्री गणेश अष्टकम का पाठ उनकी कृपा पाने का एक सशक्त माध्यम है।

श्री गणेश अष्टकम का पाठ विधि

श्री गणेश अष्टकम का पाठ भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने और विघ्नों से मुक्ति पाने के लिए अत्यंत फलदायी है। इसे सही विधि से करना शुभ फल प्रदान करता है।

1. पाठ का उपयुक्त समय

  • श्री गणेश अष्टकम का पाठ प्रातःकाल या सायंकाल त्रिसंध्या के समय करें।
  • गणेश चतुर्थी, बुधवार, और विशेष रूप से शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर इसका पाठ विशेष फलदायी होता है।

2. पूजन सामग्री

  • दीपक: घी या तेल का दीपक।
  • अगरबत्ती या धूप।
  • माला: लाल चंदन की माला से पाठ करें।
  • पुष्प: लाल या पीले फूल।
  • दूर्वा: दूर्वा के बिना गणेश पूजन अधूरी मानी जाती है।
  • मोदक या लड्डू: भोग के लिए।
  • जल और चावल: अर्घ्य अर्पण के लिए।

3. पाठ की विधि

  1. शुद्धता: स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल को साफ करें।
  2. स्थान: पूजन गणेश प्रतिमा या चित्र के सामने पूर्व दिशा की ओर मुख करके करें।
  3. आसन: कुश या लाल वस्त्र का आसन बिछाकर बैठें।
  4. गणपति ध्यान: पाठ से पहले भगवान गणेश का ध्यान करें।
    • मंत्र:
    • वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ।
  5. आवाहन और पूजन:
    • भगवान गणेश का आवाहन करें और जल, अक्षत, पुष्प, दूर्वा, और भोग अर्पित करें।
  6. श्री गणेश अष्टकम का पाठ:
    • पूरे श्रद्धा और भक्ति के साथ श्री गणेश अष्टकम का पाठ करें।
    • पाठ के दौरान गणपति को दूर्वा, पुष्प, और मोदक अर्पित करें।
  7. आरती: पाठ के बाद गणेश जी की आरती करें।
    • आरती मंत्र:
    • वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ।
  8. प्रसाद वितरण: पाठ और आरती के बाद मोदक या लड्डू का प्रसाद परिवारजनों और भक्तों में बांटें।

विशेष निर्देश

  • पाठ के दौरान ध्यान एकाग्र और मन शांत रखें।
  • यदि संभव हो, गणपति के बीज मंत्र "ॐ गं गणपतये नमः" का 108 बार जाप करें।
  • नियमित पाठ से अधिक लाभ मिलता है।

श्री गणेश अष्टकम का पाठ विधिपूर्वक करने से भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है और जीवन के सभी विघ्न दूर हो जाते हैं। श्री गणेशाय नमः।

श्री गणेश अष्टकम के पाठ के नियम

श्री गणेश अष्टकम का पाठ भगवान गणेश की कृपा पाने के लिए किया जाता है। इसे नियमपूर्वक और श्रद्धा के साथ करने से पाठ का अधिकतम लाभ मिलता है। पाठ के लिए निम्नलिखित नियमों का पालन करना चाहिए:


1. शुद्धता और स्वच्छता
  • पाठ से पहले शारीरिक और मानसिक शुद्धता बनाए रखें।
  • स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थल को साफ करें और भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र को सजाएं।

2. समय का पालन
  • पाठ प्रातःकाल सूर्योदय के बाद या सायंकाल सूर्यास्त से पहले करें।
  • त्रिसंध्या (सुबह, दोपहर, शाम) के समय पाठ करना विशेष शुभ होता है।
  • बुधवार और चतुर्थी तिथि पर पाठ का विशेष महत्व है।

3. पूजा का आसन
  • कुश, ऊन, या लाल वस्त्र का आसन उपयोग करें।
  • पाठ के दौरान पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।

4. सामग्री का उपयोग
  • भगवान गणेश को दूर्वा, मोदक, और लाल या पीले पुष्प अर्पित करें।
  • घी का दीपक और अगरबत्ती जलाएं।
  • प्रसाद के लिए मोदक, लड्डू, या गुड़ का उपयोग करें।

5. मानसिक एकाग्रता
  • पाठ के दौरान ध्यान पूरी तरह से भगवान गणेश पर केंद्रित रखें।
  • मन शांत और विचार सकारात्मक रखें।
  • पाठ के समय किसी भी प्रकार की जल्दबाजी या अधीरता से बचें।

6. उच्चारण शुद्धता
  • श्लोकों का उच्चारण स्पष्ट और सही ढंग से करें।
  • पाठ के दौरान पूरे श्लोक को श्रद्धा और भक्ति के साथ पढ़ें।

7. नियमितता
  • पाठ को नियमित रूप से करें, विशेषकर बुधवार या चतुर्थी तिथि पर।
  • पाठ को एक निश्चित समय पर करने से इसका प्रभाव और भी अधिक बढ़ जाता है।

8. फलश्रुति का ध्यान
  • पाठ के बाद श्री गणेश अष्टकम में वर्णित फलश्रुति को अवश्य पढ़ें।
  • इसमें बताया गया है कि कितने समय तक पाठ करने से क्या फल प्राप्त होते हैं।

9. भोग और प्रसाद वितरण
  • पाठ के बाद भगवान गणेश को अर्पित प्रसाद भक्तों में बांटें।
  • इसे सभी के लिए शुभ और मंगलकारी माना जाता है।

10. विशेष मंत्र और आरती
  • पाठ के बाद "ॐ गं गणपतये नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें।
  • गणेश जी की आरती करें और उनकी स्तुति गाएं।

इन नियमों का पालन करने से श्री गणेश अष्टकम का पाठ अत्यंत प्रभावकारी होता है। भगवान गणेश की कृपा से विघ्नों का नाश होता है, सुख-शांति और समृद्धि प्राप्त होती है। श्री गणेशाय नमः।

श्री गणेश अष्टकम के पाठ के लाभ

श्री गणेश अष्टकम का पाठ भगवान गणेश की कृपा पाने और जीवन की सभी बाधाओं को दूर करने का एक अत्यंत प्रभावशाली साधन है। यह पाठ भक्तों को भौतिक और आध्यात्मिक दोनों प्रकार के लाभ प्रदान करता है। इसके कुछ मुख्य लाभ निम्नलिखित हैं:


1. विघ्नों का नाश

  • भगवान गणेश को "विघ्नहर्ता" कहा जाता है। श्री गणेश अष्टकम का नियमित पाठ करने से जीवन के सभी प्रकार के विघ्न और बाधाएं दूर होती हैं।


2. कार्यसिद्धि

  • इस स्तोत्र के पाठ से सभी कार्यों में सफलता मिलती है।
  • नए कार्यों की शुरुआत से पहले इसका पाठ करना शुभ माना जाता है।

3. मानसिक शांति

  • यह पाठ मन को शांति और एकाग्रता प्रदान करता है।
  • मानसिक तनाव, चिंता, और भ्रम को दूर करने में सहायक है।

4. बुद्धि और ज्ञान का विकास

  • पाठ के दौरान भगवान गणेश से बुद्धि और विवेक का आशीर्वाद मिलता है।
  • यह विद्यार्थियों और विद्वानों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है।

5. आध्यात्मिक उन्नति

  • यह स्तोत्र भक्त के आध्यात्मिक विकास में सहायक होता है।
  • भगवान गणेश के परब्रह्म रूप की आराधना से साधक की आत्मा को शुद्धता और चेतना प्राप्त होती है।

6. समृद्धि और सुख-शांति

  • पाठ करने से घर में सुख-शांति, समृद्धि और सौभाग्य आता है।
  • परिवार में सुखद वातावरण बनता है।

7. मनोकामनाओं की पूर्ति

  • श्री गणेश अष्टकम का श्रद्धा से पाठ करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
  • शास्त्रों में बताया गया है कि भगवान गणेश की आराधना से भक्त को वांछित फल प्राप्त होता है।

8. रोगों और शोक से मुक्ति

  • यह पाठ रोगों से मुक्ति और दीर्घायु प्रदान करता है।
  • जीवन में आने वाले शोक और कष्टों को समाप्त करता है।

9. अष्ट सिद्धियों की प्राप्ति

  • श्री गणेश अष्टकम का पाठ करने से भगवान गणेश द्वारा प्रदान की जाने वाली आठ सिद्धियां प्राप्त होती हैं, जैसे—अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा आदि।

10. भक्तों की रक्षा

  • यह पाठ नकारात्मक ऊर्जाओं और बुरी शक्तियों से बचाता है।
  • जीवन में सुरक्षा और आत्मविश्वास प्रदान करता है।

फलश्रुति अनुसार लाभ

श्री गणेश अष्टकम के अंत में वर्णित फलश्रुति के अनुसार:

  1. तीन दिनों तक त्रिसंध्या पाठ से सभी कार्य सफल होते हैं।
  2. अष्टमी या चतुर्थी पर इसका आठ बार पाठ करने से अष्ट सिद्धियां प्राप्त होती हैं।
  3. मास भर इसका पाठ करने से व्यक्ति बंधनों और संकटों से मुक्त हो जाता है।

श्री गणेश अष्टकम ! Shri Ganesh Ashtakam !

सर्वे उचुः।

यतोऽनन्तशक्तेरनन्ताश्च जीवायतो निर्गुणादप्रमेया गुणास्ते।
यतो भाति सर्वं त्रिधा भेदभिन्नंसदा तं गणेशं नमामो भजामः॥1॥

यतश्चाविरासीज्जगत्सर्वमेतत्तथाऽब्जासनोविश्वगो विश्वगोप्ता।
तथेन्द्रादयो देवसङ्घा मनुष्याःसदा तं गणेशं नमामो भजामः॥2॥

यतो वह्निभानू भवो भूर्जलं चयतः सागराश्चन्द्रमा व्योम वायुः।
यतः स्थावरा जङ्गमा वृक्षसङ्घासदा तं गणेशं नमामो भजामः॥3॥

यतो दानवाः किन्नरा यक्षसङ्घायतश्चारणा वारणाः श्वापदाश्च।
यतः पक्षिकीटा यतो वीरूधश्चसदा तं गणेशं नमामो भजामः॥4॥

यतो बुद्धिरज्ञाननाशो मुमुक्षोर्यतःसम्पदो भक्तसन्तोषिकाः स्युः।
यतो विघ्ननाशो यतः कार्यसिद्धिःसदा तं गणेशं नमामो भजामः॥5॥

यतः पुत्रसम्पद्यतो वाञ्छितार्थोयतोऽभक्तविघ्नास्तथाऽनेकरूपाः।
यतः शोकमोहौ यतः काम एवसदा तं गणेशं नमामो भजामः॥6॥

यतोऽनन्तशक्तिः स शेषो बभूवधराधारणेऽनेकरूपे च शक्तः।
यतोऽनेकधा स्वर्गलोका हि नानासदा तं गणेशं नमामो भजामः॥7॥

यतो वेदवाचो विकुण्ठा मनोभिःसदा नेति नेतीति यत्ता गृणन्ति।
परब्रह्मरूपं चिदानन्दभूतंसदा तं गणेशं नमामो भजामः॥8॥

॥ फल श्रुति ॥

श्रीगणेश उवाच

पुनरूचे गणाधीशः स्तोत्रमेतत् पठेन्नरः ।
त्रिसन्ध्यं त्रिदिनं तस्य सर्वं कार्यं भविष्यति ॥९॥

यो जपेदष्टदिवसं श्लोकाष्टकमिदं शुभम् ।
अष्टवारं चतुर्थ्यां तु सोऽष्टसिद्धीरवाप्नुयात् ॥१०॥

यः पठेन्मासमात्रं तु दशवारं दिने दिने ।
स मोचयेद् बन्धगतं राजवध्यं न संशयः ॥११॥

विद्याकामो लभेद् विद्यां पुत्रार्थी पुत्रमाप्नुयात् ।
वाञ्छिताँल्लभते सर्वमेकविंशतिवारतः ॥१२॥

यो जपेत् परया भक्त्तत्या गजाननपरो नरः ।
एवमुक्त्वा ततो देवश्चान्तर्धानं गतः प्रभुः ॥१३॥

इति श्रीगणेशपुराणे गणेशाष्टकं सम्पूर्णम् ॥


नियमितता और श्रद्धा के साथ श्री गणेश अष्टकम का पाठ करने से भगवान गणेश की कृपा से व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति, समृद्धि, और सफलता का आगमन होता है।

श्री गणेशाय नमः।

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