श्री गणेश पंचरत्न स्तोत्र (पीडीएफ) | Shri Ganesh Panchratna Stotra (PDF)

श्री गणेश पंचरत्न स्तोत्र (PDF) | Ganesh Pancharatna Stotra

श्री गणेश पंचरत्न स्तोत्र भगवान गणेश के गुणों और महिमा का बखान करने वाला एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है। यह स्तोत्र भगवान गणेश के रूप, शक्तियों और उनके कार्यों का गहराई से वर्णन करता है। यह स्तोत्र कुल 6 श्लोकों में संकलित है और इसे प्राचीनतम स्तोत्रों में से एक माना जाता है। गणेश पंचरत्न स्तोत्र का जाप खासकर उन कार्यों से पहले किया जाता है, जिन्हें मंगलमय रूप से करना होता है। इस स्तोत्र के जाप से जीवन में किसी भी प्रकार की बाधा का निवारण होता है और काम में सफलता मिलती है। नियमित रूप से इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में शांति, समृद्धि, स्वास्थ्य और धन की प्राप्ति होती है।

श्री गणेश पंचरत्न स्तोत्र की विधि

श्री गणेश पंचरत्न स्तोत्र का जाप करना बहुत ही फलदायक माना जाता है। इसे विशेष रूप से भगवान गणेश के आशीर्वाद को प्राप्त करने और जीवन में सुख-समृद्धि लाने के लिए किया जाता है। यहां श्री गणेश पंचरत्न स्तोत्र की विधि दी जा रही है:

श्री गणेश पंचरत्न स्तोत्र की विधि:

  1. स्नान और शुद्धता:

    • सबसे पहले आपको स्नान करके शुद्ध हो जाना चाहिए। यह मानसिक और शारीरिक शुद्धता का प्रतीक है।
    • घर में शांति और स्वच्छता का वातावरण बनाएं, ताकि पूजा का वातावरण पवित्र हो।
  2. गणेश प्रतिमा की स्थापना:

    • पूजा के स्थान पर भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। गणेश प्रतिमा का ध्यानपूर्वक चयन करें और उसे साफ-सुथरा रखें।
    • प्रतिमा के पास दीपक जलाएं और अगर संभव हो तो फूलों का दीप लगाएं।
  3. ध्यान और आशीर्वाद:

    • सबसे पहले भगवान गणेश का ध्यान करें। उनका रूप सोचें और उनकी कृपा की कामना करें।
    • निम्न मंत्र से भगवान गणेश का आह्वान करें: - ऊं गं गणपतये इहागच्छ इह सुप्रतिष्ठो भव।
  4. पंचरत्न स्तोत्र का पाठ:

    • अब गणेश पंचरत्न स्तोत्र के सभी 6 श्लोकों का उच्चारण करें। आप इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ सुबह या शाम के समय पढ़ सकते हैं।
    • प्रत्येक श्लोक का उच्चारण साफ और स्पष्ट रूप से करें, ताकि उसकी शक्ति पूरी तरह से प्रभावी हो।
  5. आरती और मंत्र जाप:

    • स्तोत्र के बाद गणेश जी की आरती करें।
      "जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा" मंत्र से गणेश जी की आरती गायें।
    • इसके साथ ही "ॐ गं गणपतये नमः" का जाप 108 बार करें।
  6. प्रसाद चढ़ाना:

    • भगवान गणेश को मोदक, फल, मिठाई, या उनका पसंदीदा प्रसाद अर्पित करें।
    • अंत में, भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए “ॐ गण गणपतये नमः” का उच्चारण करें और फिर हाथ जोड़कर प्रार्थना करें।
  7. ध्यान और समाप्ति:

    • स्तोत्र के जाप के बाद भगवान गणेश का धन्यवाद करें और उनके आशीर्वाद की कामना करें।
    • पूजा समाप्त करते समय प्रतिमा के पास दीपक या अगरबत्ती जलाएं और फिर प्रसाद का वितरण करें।

विशेष बातें:

  • समय: इस स्तोत्र का पाठ विशेष रूप से सुबह या शाम के समय करना उत्तम होता है।
  • ध्यान: जाप के दौरान एकाग्रचित्त होकर भगवान गणेश का ध्यान करें।
  • नियमितता: गणेश पंचरत्न स्तोत्र का नियमित पाठ करने से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन होते हैं।

श्री गणेश पंचरत्न स्तोत्र के नियम

श्री गणेश पंचरत्न स्तोत्र का पाठ और जाप करते समय कुछ महत्वपूर्ण नियमों का पालन करना चाहिए ताकि इसका लाभ अधिकतम रूप से प्राप्त हो सके। यहाँ उन नियमों का उल्लेख किया गया है:

श्री गणेश पंचरत्न स्तोत्र के नियम:

  1. साधना का समय:

    • सुबहे या संध्याकाल: गणेश पंचरत्न स्तोत्र का जाप सुबह के समय सूर्योदय से पहले या संध्याकाल में सूर्यास्त के बाद करना शुभ माना जाता है।
    • नियत समय: हर दिन नियत समय पर स्तोत्र का जाप करने से परिणाम जल्दी मिलते हैं। नियमिता और समर्पण के साथ जाप करना चाहिए।
  2. शुद्धता का ध्यान रखें:

    • स्वच्छता: पूजा स्थल और अपने शरीर की सफाई बहुत जरूरी है। शुद्ध वातावरण में ही स्तोत्र का जाप करें।
    • स्नान: स्तोत्र का पाठ करने से पहले स्नान करना चाहिए ताकि शारीरिक और मानसिक शुद्धता बनी रहे।
  3. स्नान और आसन पर ध्यान:

    • आसन: पूजा के समय पवित्र आसन पर बैठें, जैसे आसन, तख्त या कोई सफेद वस्त्र बिछाकर बैठ सकते हैं।
    • स्नान: जाप करने से पहले स्नान करें और शरीर को शुद्ध करें, ताकि मानसिक रूप से भी साफ महसूस करें।
  4. व्रत का पालन करें (यदि संभव हो):

    • यदि संभव हो, तो व्रत रखें और केवल सात्विक आहार का सेवन करें। इससे भगवान गणेश की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
  5. एकाग्रता और ध्यान:

    • स्तोत्र का जाप करते समय पूरी एकाग्रता के साथ भगवान गणेश के रूप, गुण और नाम का ध्यान करें। बिना किसी अन्य विचार के केवल गणेश जी के बारे में सोचें।
    • मानसिक शांति और ध्यान के साथ जाप करें।
  6. नियमितता का पालन करें:

    • नियमित जाप: गणेश पंचरत्न स्तोत्र का नियमित पाठ करने से जीवन में शांति, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है। इसे रोजाना 108 बार जाप करने की कोशिश करें।
    • मंत्र जाप: यदि समय कम हो तो कम से कम 1 माला (108 बार) का जाप करें।
  7. श्रद्धा और विश्वास:

    • श्रद्धा का होना: स्तोत्र का पाठ पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ करें। यदि आप पूरी श्रद्धा के साथ मंत्र जाप करते हैं, तो भगवान गणेश की कृपा जल्द ही प्राप्त होती है।
    • भक्ति भावना: पूजा में भक्ति भाव होना चाहिए। बिना किसी दिखावे के श्रद्धापूर्वक पूजा करें।
  8. अर्चन (प्रसाद अर्पण):

    • भगवान गणेश को मोदक, गुड़, फूल या उनका पसंदीदा प्रसाद अर्पित करें। प्रसाद अर्पित करने से पूजा का महत्व बढ़ता है और भगवान की कृपा शीघ्र मिलती है।
  9. समाप्ति के समय:

    • पूजा समाप्त करने से पहले भगवान गणेश से आशीर्वाद प्राप्त करें और उनका धन्यवाद करें। अंत में "ॐ गं गणपतये नमः" मंत्र का उच्चारण करें और फिर प्रसाद वितरण करें।

विशेष बातें:

  • सच्चे मन से करें जाप: मन, वचन और क्रिया से भगवान गणेश के प्रति पूरी श्रद्धा और विश्वास रखें।
  • अच्छे वचन बोलें: किसी भी समय स्तोत्र का जाप करते समय अपशब्दों का प्रयोग न करें और पवित्र वचनों का ही उपयोग करें।
  • जीवन में सकारात्मकता: गणेश पंचरत्न स्तोत्र के जाप के बाद, जीवन में किसी भी प्रकार की नकारात्मकता को त्यागें और सकारात्मक सोच को अपनाएं।

श्री गणेश पंचरत्न स्तोत्र के लाभ:

  1. विघ्नों का नाश:

    इस स्तोत्र का जाप करने से जीवन के सभी विघ्न, रुकावटें और परेशानियाँ समाप्त हो जाती हैं। विशेष रूप से गणेश जी को विघ्नहर्ता माना जाता है, और उनका पूजन हर प्रकार के संकटों से मुक्ति दिलाता है।

  2. धन और समृद्धि की प्राप्ति:

    यह स्तोत्र जीवन में धन, ऐश्वर्य और समृद्धि की वृद्धि करता है। नियमित जाप से आर्थिक समृद्धि के अवसर बढ़ते हैं और संतान सुख की प्राप्ति होती है।

  3. स्वास्थ्य में सुधार:

    गणेश पंचरत्न स्तोत्र के जाप से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। यह शरीर के रोगों को दूर करता है और मानसिक शांति प्रदान करता है।

  4. सुख-शांति और समृद्धि:

    इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का आगमन होता है। यह व्यक्ति को आंतरिक शांति और मानसिक स्थिरता प्रदान करता है।

  5. शुभ कार्यों में सफलता:

    कोई भी शुभ कार्य जैसे विवाह, घर प्रवेश, यात्रा या व्यवसाय आदि का आरंभ भगवान गणेश की पूजा से किया जाता है। इस स्तोत्र का जाप करने से उन कार्यों में किसी भी प्रकार की विघ्न-बाधा नहीं आती है और कार्य बिना किसी रुकावट के संपन्न होते हैं।

  6. विद्या और बुद्धि में वृद्धि:

    गणेश जी को ज्ञान और बुद्धि का देवता माना जाता है। उनका पूजन करने से विद्या में वृद्धि होती है, जिससे व्यक्ति को ज्ञान की प्राप्ति होती है और वह अपने कार्यों में सफल होता है।

  7. मन की शांति और मानसिक तनाव में कमी:

    इस स्तोत्र का जाप करने से मन को शांति मिलती है और मानसिक तनाव कम होता है। यह ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है और जीवन को संतुलित बनाता है।

  8. दुरात्माओं से रक्षा:

    यह स्तोत्र नकारात्मक ऊर्जा, भूत-प्रेत आदि से बचाता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। इससे व्यक्ति का आत्मबल मजबूत होता है।

गणेश पंचरत्न स्तोत्र | Ganesh Pancharatna Stotra

मुदा करात्तमोदकं सदा विमुक्तिसाधकं 
कलाधरावतंसकं विलासिलोकरञ्जकम् ।
अनायकैकनायकं विनाशितेभदैत्यकं 
नताऽशुभा-ऽशुनाशकंनमामि तं विनायकम् ॥१॥

नतेतरातिभीकरं नवोदितार्कभास्वरं 
नमत्सुरारिनिर्जरं नताधिकापदुद्धरम् ।
सुरेश्वरं निधीश्वरं गजेश्वरं गणेश्वरं 
महेश्वरं तमाश्रये परात्परं निरन्तरम् ॥२॥

समस्तलोकशङ्करं निरस्तदैत्यकुञ्जरं 
दरेतरोदरं वरं वरेभ-वक्त्रमक्षरम् ।
कृपाकरं क्षमाकरं मुदाकरं यशस्करं 
मनस्करं नमस्कृतं नमस्करोमि भास्वरम् ॥३॥

अकिञ्चनार्तिमार्जनं चिरन्तनोक्तिभाजनं 
पुरारिपूर्वनन्दनं सुरारि-गर्व-चर्वणम् ।
प्रपञ्चनाश-भीषणं धनञ्जयादिभूषणं 
कपोलदानवारणं भजे पुराणवारणम् ॥४॥

नितान्त-कान्तदन्त-कान्तिमन्त-
कान्तकात्मजमचिन्त्यरूपमन्तहीनमन्तरायकृन्तनम् ।
हृदन्तरे निरन्तरं वसन्तमेव योगिनां 
तमेकदन्तमेव तं विचिन्तयामि सन्ततम् ॥५॥

महागणेशपञ्चरत्नमादरेण योऽन्वहं 
प्रगायति प्रभातके हृदि स्मरन् गणेश्वरम् ।
अरोगतामदोषतां सुसाहितीं सुपुत्रतां 
समाहितायुरष्टभूतिमभ्युपैति सोऽचिरात् ॥६॥

इति श्रीशङ्करभगवतः कृतौ गणेशपञ्चरत्नस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥१२॥


निष्कर्ष:

श्री गणेश पंचरत्न स्तोत्र एक अत्यंत प्रभावशाली और शक्तिशाली स्तोत्र है, जिसका जाप जीवन में समृद्धि, शांति और सफलता लाता है। भगवान गणेश के प्रति श्रद्धा और विश्वास से यह स्तोत्र विघ्नों का नाश करता है, साथ ही मानसिक, शारीरिक और आर्थिक उन्नति के मार्ग को प्रशस्त करता है। नियमित रूप से इस स्तोत्र का जाप करने से व्यक्ति को जीवन में सुख, समृद्धि, ज्ञान और सफलता प्राप्त होती है। यह न केवल आंतरिक शांति का साधन है, बल्कि बाहरी जीवन में भी सकारात्मक बदलाव लाता है।

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