श्री लक्ष्मी जी की आरती ( पीडीएफ ) | Shri Lakshmi Ji's Aarti (PDF)

श्री लक्ष्मी जी की आरती: महत्व, PDF, विधिनियमलाभ और निष्कर्ष

1. श्री लक्ष्मी जी की आरती का महत्व

श्री लक्ष्मी जीधनसमृद्धिऔर ऐश्वर्य की देवी हैं। उनकी आरती का गान करने से घर में सुख-समृद्धि और सकारात्मकता का संचार होता है। मान्यता है कि माँ लक्ष्मी की आरती करने से जीवन में खुशहाली और आर्थिक स्थिरता आती है। विशेष पर्वों जैसे दीपावलीधनतेरसऔर शुक्रवार को लक्ष्मी जी की आरती का विशेष महत्व है क्योंकि इन दिनों माँ लक्ष्मी के आशीर्वाद से जीवन की विपत्तियाँ दूर होती हैं।

श्री लक्ष्मी जी की आरती PDF 👇


2. श्री लक्ष्मी जी की आरती की विधि

  1. साफ-सफाई: सबसे पहले पूजा स्थल और घर को अच्छे से स्वच्छ करें।
  2. मूर्ति या चित्र स्थापना: माँ लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र के समक्ष दीपक जलाएं।
  3. सजावट और अर्पण: माँ लक्ष्मी को कमल, गुलाब या मोगरा जैसे सुगंधित फूल अर्पित करें। चंदन, कुमकुम, अक्षत और मिठाई भी चढ़ाएं।
  4. आरती गायन: आरती "ॐ जय लक्ष्मी माता" का पाठ करें या गाएँ। पूरे परिवार के साथ आरती करना विशेष फलदायी माना जाता है।
  5. प्रसाद वितरण: आरती समाप्त होने के बाद प्रसाद को सभी में वितरित करें और माँ लक्ष्मी से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद माँगें

3. श्री लक्ष्मी जी की आरती के नियम

  • समय: माँ लक्ष्मी की आरती प्रातः और सायंकाल नियमित रूप से करें, खासकर शुक्रवार के दिन।
  • स्वच्छता: आरती से पहले पूजा स्थल को साफ रखें क्योंकि माँ लक्ष्मी को स्वच्छता अत्यंत प्रिय है।
  • भावना: आरती करते समय मन को एकाग्र और शांत रखें। श्रद्धा और भक्ति भाव से माँ का स्मरण करें।
  • समर्पण: आरती के दौरान ध्यान रखें कि इसे पूर्ण समर्पण और सच्चे भाव से किया जाए।

4. श्री लक्ष्मी जी की आरती के लाभ

  • धन-धान्य की वृद्धि: नियमित रूप से लक्ष्मी जी की आरती करने से धन की वृद्धि होती है।
  • सकारात्मक ऊर्जा: आरती से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे मानसिक शांति प्राप्त होती है।
  • सुख-समृद्धि का निवास: माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होने से परिवार में सुख, ऐश्वर्य और समृद्धि बनी रहती है।

श्री लक्ष्मी जी की आरती ! Aarti of Shri Lakshmi Ji !

महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं,नमस्तुभ्यं सुरेश्वरि ।

हरि प्रिये नमस्तुभ्यंनमस्तुभ्यं दयानिधे ॥

पद्मालये नमस्तुभ्यंनमस्तुभ्यं च सर्वदे ।

सर्वभूत हितार्थायवसु सृष्टिं सदा कुरुं ॥

श्री लक्ष्मी जी की आरती 

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥

उमा, रमा, ब्रम्हाणी, तुम ही जग माता ।
सूर्य चद्रंमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥

दुर्गा रुप निरंजनि, सुख-संपत्ति दाता ।
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥

तुम ही पाताल निवासनी, तुम ही शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशनी, भव निधि की त्राता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥

जिस घर तुम रहती हो,ताँहि में हैं सद्‍गुण आता ।
सब सभंव हो जाता, मन नहीं घबराता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥

तुम बिन यज्ञ ना होता,वस्त्र न कोई पाता ।
खान पान का वैभव, सब तुमसे आता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥

शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता ।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥

महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता ।
उँर आंनद समाता, पाप उतर जाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥

ॐ जय लक्ष्मी माता,मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥ 

निष्कर्ष

श्री लक्ष्मी जी की आरती का महत्व अद्वितीय है, जो व्यक्ति को न केवल भौतिक धन-संपत्ति बल्कि आंतरिक शांति और समृद्धि का वरदान देती है। इस आरती में श्रद्धा और समर्पण के साथ देवी को नमन करने से माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है और व्यक्ति के जीवन में सौभाग्य, संतोष और सुख की वृद्धि होती है। नियमित रूप से लक्ष्मी जी की आरती करने से जीवन के समस्त कष्ट दूर होते हैं और सुख-शांति का निवास होता है।

आरती का नियमित गान जीवन में नई ऊँचाइयों को प्राप्त करने का माध्यम है।

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