महादेव शायरी हिंदी में 2 पंक्तियाँ | महाशिवरात्रि के लिए शायरी | Mahadev Shayari in Hindi 2 Line | Har Har Mahadev Shayari

Mahadev Shayari in Hindi 2 Line | Har Har Mahadev Shayari | महादेव शायरी हिंदी

महाशिवरात्रि हिंदूओं का बहुत महत्वपूर्ण त्योहार है और इस दिन लोग एक दूसरे को शुभकामनाएं देना कभी भी नहीं भूलते हैं। अगर आप भी अपने परिजनों को शुभकामनाएं भेजना चाहते हैं पर समझ नहीं आ रहा है कि आपको शुभकामनाओं वाली शायरी कहां मिलेगी, तो फिक्र ना करें। हमारा यह लेख आपकी काफी मदद कर सकता है। इस लेख में हम आपको महाशिवरात्रि से जुड़ी शायरियां प्रदान करेंगे जो आप अपने परिजनों को भेज सकते हैं।

महादेव शायरी हिंदी में | Har Har Mahadev Shayari

  1. कैलाश पर्वत की ऊंचाई को जो छू जाए,
    महादेव की मूरत में जो दिल को भाए
    भोलेनाथ की आराधना में जो है रम जाए,
    उसके जीवन में सदा सुख-शांति आए

  2. मैं तो बस एक हूं फकीर,
    मेरे महादेव ने बदली मेरी तकदीर

  3. भोलेनाथ की मूरत में है सच्चा आनंद और प्रेम,
    महादेव की कृपा से, जीवन होता है उत्तम

  4. मेरा विश्वास ही मेरी सबसे बड़ी ताकत है महाकाल,
    ये नाम ही काफी है हर हर महादेव

  5. शिव का ध्यान करने से मिलती है आत्मा को शांति,
    हर हर महादेव का जाप करे हर प्राणी

  6. शांत करने काली को रुद्र बन गए,
    वरदान देने को दया का समुद्र बन गए

  7. किस्मत लिखने वाले को भगवान कहते हैं,
    और बदलने वाले को भोलेनाथ कहते हैं

  8. महादेव, आपके बगैर सब व्यर्थ है मेरा
    मैं हूं आपका शब्द और आप अर्थ है मेरा

  9. ये सृष्टि है महादेव की, यह सृजन उन्होंने किया है
    देव, दानव, मानव सब शिव के हैं, शिव ने ही धारण यह जगत किया है

  10. महादेव ही स्वर्ग हैं,
    महादेव ही मोक्ष हैं

  11. सारा संसार मेरे लिए खिलौना है,
    महादेव का नाम ही मेरे लिए सोना है

  12. केदार की घाटी और मौसम सुहाना
    दिल में केदार और मैं केदारनाथ का दीवाना

  13. स्वर्ग में देवता भी उनका अभिनंदन करते हैं,
    जो हर पल महाकाल का वंदन करते है

  14. भोले तूने तो सारी दुनिया तारी हैं,
    कभी मेरे सर पे भी धर के हाथ,
    कह दे चल बेटा आज तेरी बारी हैं
    जय महाकाल बोल देने की बारी है

  15. हमें किसका भय ये दुनिया तो बस मोह माया का जंजाल है,
    हम तो भक्त हैं उसके जो कालों का काल है

हर हर महादेव! जय महाकाल !

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