देव प्रतिमा का पूजन विधि,शिवलिंग की पूजा | dev pratima ka poojan vidhi,shivaling kee pooja

देव प्रतिमा का पूजन विधि,शिवलिंग की पूजा

ऋषियों ने कहा: "साधु शिरोमणि सूत जी! हमें देव प्रतिमा के पूजन की विधि बताइए, जिससे अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है।"

सूत जी का उत्तर

सूत जी बोले: "हे महर्षियो! मिट्टी से बनाई हुई प्रतिमा का पूजन करने से पुरुष-स्त्री सभी के मनोरथ सफल हो जाते हैं। इसके लिए नदी, तालाब, कुआं या जल के भीतर की मिट्टी लाकर सुगंधित द्रव्य से उसे शुद्ध करें। उसके बाद दूध डालकर अपने हाथ से सुंदर मूर्ति बनाएं। पद्मासन द्वारा प्रतिमा का आदर सहित पूजन करें। गणेश, सूर्य, विष्णु, शिव, पार्वती की मूर्ति और शिवलिंग का सदैव पूजन करें। संपूर्ण मनोरथों की सिद्धि के लिए सोलह उपचारों द्वारा पूजन करें।"

पूजन के विशेष नियम

  1. शिवलिंग की प्रतिष्ठा और पूजन:

    • किसी मनुष्य द्वारा स्थापित शिवलिंग पर एक सेर नैवेद्य से पूजन करें।

    • देवताओं द्वारा स्थापित शिवलिंग को तीन सेर नैवेद्य अर्पित करें।

    • स्वयं प्रकट हुए शिवलिंग का पूजन पांच सेर नैवेद्य से करें।

  2. लिंग का माप:

    • बारह अंगुल चौड़ा और पच्चीस अंगुल लंबा लिंग उपयुक्त होता है।

    • पंद्रह अंगुल ऊंचे लोहे या लकड़ी के बने पत्र का नाम "शिव" है।

  3. पूजन से प्राप्त फल:

    • अभिषेक से आत्मशुद्धि,

    • गंध चढ़ाने से पुण्य,

    • नैवेद्य चढ़ाने से आयु,

    • धूप देने से धन की प्राप्ति,

    • दीप से ज्ञान,

    • तांबूल से भोग मिलता है।

  4. जप और नमस्कार:

    • पूजन के अंत में सदा जाप और नमस्कार करना चाहिए।

    • इससे संपूर्ण अभीष्ट फलों की प्राप्ति होती है।

देवताओं की पूजा विधि

  • जो मनुष्य जिस देवता की पूजा करता है, वह उसके लोक को प्राप्त करता है।

  • भू-लोक में श्रीगणेश पूजनीय हैं।

  • शिवजी द्वारा निर्धारित तिथि, वार, नक्षत्र में विधिपूर्वक पूजन करने से सभी पाप और शोक दूर होते हैं।

  • कार्तिक मास में देवताओं का भजन विशेष फलदायक होता है।

  • रविवार को सूर्य की पूजा और तेल व कपास का दान करने से कुष्ठ रोग भी दूर हो जाता है।

शिवलिंग की पूजा

शिवलिंग का महत्व:

  • 'योनि' और 'लिंग' दोनों स्वरूपों में शिव का समावेश होने से यह जगत का जन्म निरूपण करता है।

  • सारा जगत बिंदु-नादस्वरूप है।

  • बिंदु 'देव' है और नाद 'शिव'। इनका संयुक्त रूप ही शिवलिंग कहलाता है।

  • माता-पिता स्वरूप शिवलिंग की पूजा करने से परमानंद की प्राप्ति होती है।

  • शिवलिंग की सेवा करने से शिवजी कृपा कर अपने भक्त को आंतरिक ऐश्वर्य प्रदान करते हैं।

पूजन विधि:

  1. पंचामृत अभिषेक:

    • गाय के दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से अभिषेक करें।

  2. प्रणव मंत्र का जाप:

    • शिवलिंग पर प्रणव मंत्र का जाप करते हुए नैवेद्य अर्पित करें।

  3. लिंग के प्रकार:

    • प्रणव को 'ध्वनिलिंग', 'स्वयंभूलिंग', 'नादलिंग' और 'बिंदुलिंग' के रूप में जाना जाता है।

    • अचल रूप से प्रतिष्ठित शिवलिंग को 'मकारलिंग' कहा जाता है।

    • पूजा की दीक्षा देने वाले गुरु आचार्य 'अकारलिंग' स्वरूप माने जाते हैं।

निष्कर्ष

  • शिवलिंग की नित्य पूजा करने से साधक जीवन मुक्त हो जाता है।

  • जो व्यक्ति नियमपूर्वक शिवलिंग की पूजा करता है, वह जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है।

  • भगवान शिव की उपासना से भक्त मोक्ष प्राप्त कर सकता है।

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