होलाष्टक 2025: जानिए इसकी तिथियां, महत्व और पालन करने योग्य नियम | holaashtak 2025: jaanie isakee tithiyaan, mahatv aur paalan karane yogy niyam

होलाष्टक 2025: जानिए इसकी तिथियां, महत्व और पालन करने योग्य नियम

हिंदू कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन माह चल रहा है, जो कि वर्ष का अंतिम महीना होता है। इसके बाद चैत्र माह की शुरुआत होती है, जो हिंदू नववर्ष का प्रतीक माना जाता है। होली से पहले आठ दिनों की विशेष अवधि होती है, जिसे होलाष्टक कहा जाता है। धार्मिक दृष्टि से यह समय शुभ कार्यों के लिए वर्जित माना जाता है। आइए जानते हैं होलाष्टक 2025 की तिथियां, इसका महत्व और इस दौरान क्या करें व क्या न करें।

होलाष्टक की तिथियां और महत्व

होलाष्टक की शुरुआत 7 मार्च 2025 से होगी और यह 13 मार्च 2025 को समाप्त होगा। होलाष्टक की समाप्ति होलिका दहन के दिन होती है, जो नकारात्मकता को समाप्त करने और सकारात्मकता की ओर बढ़ने का प्रतीक है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दौरान भक्त प्रह्लाद को उनके पिता हिरण्यकश्यप ने अनेक यातनाएं दी थीं। इसलिए, इस अवधि को नकारात्मक ऊर्जा से भरा माना जाता है और इस दौरान विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन एवं अन्य शुभ कार्य करने की मनाही होती है।

होलाष्टक के दौरान करें ये कार्य

  1. भगवान की आराधना करें – इस समय भगवान विष्णु, शिव, हनुमान जी एवं अपने इष्टदेव की पूजा करना विशेष फलदायी माना जाता है।

  2. हनुमान चालीसा और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें – इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और नकारात्मकता दूर होती है।

  3. दान-पुण्य करें – गरीबों को भोजन, वस्त्र एवं धन का दान करने से पुण्य प्राप्त होता है और घर में सुख-समृद्धि आती है।

  4. पितृ तर्पण करें – पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित करने से उनका आशीर्वाद मिलता है और जीवन में शुभता आती है।

  5. ग्रह शांति पूजा करें – ग्रहों की नकारात्मक स्थिति को दूर करने के लिए विशेष अनुष्ठान करना लाभकारी होता है।

होलाष्टक के दौरान न करें ये कार्य

  1. विवाह या मांगलिक कार्य न करें – इस अवधि में विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन और नामकरण जैसे शुभ कार्य वर्जित होते हैं।

  2. नया घर बनाने से बचें – नए मकान का निर्माण या गृह प्रवेश इस समय नहीं करना चाहिए।

  3. कीमती धातु या वाहन की खरीदारी न करें – इस समय सोना, चांदी, भूमि या वाहन खरीदना अशुभ माना जाता है।

  4. नया व्यवसाय या नौकरी शुरू न करें – किसी भी नए व्यवसाय, प्रोजेक्ट या नौकरी की शुरुआत होलाष्टक के बाद करना बेहतर होता है।

निष्कर्ष

होलाष्टक का समय धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण होता है। इस दौरान पूजा-पाठ, जप-तप और दान-पुण्य करने से विशेष लाभ मिलता है। साथ ही, किसी भी शुभ कार्य को करने से बचना चाहिए ताकि नकारात्मक प्रभावों से बचा जा सके।

होलाष्टक के इन नियमों का पालन करें और अपने जीवन में सुख-समृद्धि लाएं!

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