साल 2025 में स्कंद षष्ठी का व्रत: तिथि, योग और महत्त्व | saal 2025 mein skand shashthee ka vrat: tithi, yog aur mahattv

साल 2025 में स्कंद षष्ठी का व्रत: तिथि, योग और महत्त्व

साल 2025 में स्कंद षष्ठी का व्रत 5 जनवरी को रखा गया था। यह व्रत पौष महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया गया। स्कंद षष्ठी का व्रत भगवान कार्तिकेय को समर्पित होता है और इसे विशेष रूप से संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले भक्तों द्वारा रखा जाता है।

स्कंद षष्ठी 2025 की तिथि और समय

  • पंचांग के अनुसार, पौष शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 4 जनवरी को रात 10:00 बजे शुरू हुई थी और 5 जनवरी को रात 8:15 बजे समाप्त हुई।

  • उदया तिथि के अनुसार, 5 जनवरी को स्कंद षष्ठी का व्रत रखा गया।

स्कंद षष्ठी के शुभ संयोग

2025 की स्कंद षष्ठी पर कई शुभ योगों का संयोग बना था, जो इसे और भी खास बनाता है:

  • त्रिपुष्कर योग – यह योग कार्यों की सिद्धि और शुभ फल प्रदान करने के लिए श्रेष्ठ माना जाता है।

  • सर्वार्थ सिद्धि योग – इस योग में किया गया कोई भी शुभ कार्य निश्चित रूप से सफलता प्रदान करता है।

  • रवि योग – यह योग नकारात्मक शक्तियों को दूर करने और सफलता प्राप्त करने के लिए श्रेष्ठ होता है।

स्कंद षष्ठी व्रत का महत्व

  • यह व्रत भगवान कार्तिकेय की पूजा-अर्चना के लिए रखा जाता है।

  • जो लोग संतान सुख की प्राप्ति चाहते हैं, उन्हें यह व्रत विधिपूर्वक करना चाहिए।

  • भगवान कार्तिकेय के आशीर्वाद से संतान प्राप्ति की संभावनाएँ बढ़ जाती हैं।

  • यह व्रत मनोवांछित फल देने वाला माना जाता है और व्यक्ति की सभी इच्छाओं की पूर्ति करता है।

स्कंद षष्ठी व्रत विधि

  1. प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

  2. भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा या चित्र के सामने दीप जलाएं।

  3. फूल, फल, नारियल और प्रसाद चढ़ाएं।

  4. स्कंद षष्ठी व्रत कथा का पाठ करें।

  5. दिनभर उपवास रखें और शाम को आरती के बाद फलाहार करें।

  6. भगवान कार्तिकेय की कृपा प्राप्ति के लिए "ॐ शरवनभवाय नमः" मंत्र का जाप करें।

स्कंद षष्ठी का व्रत भगवान कार्तिकेय के प्रति श्रद्धा और भक्ति प्रकट करने का एक महत्वपूर्ण पर्व है। इसे विधिपूर्वक करने से मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

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