चैत्र नवरात्रि: माँ शक्ति की उपासना का पावन समय | Chaitra Navratri: maa shakti kee upaasana ka paavan samay
चैत्र नवरात्रि: माँ शक्ति की उपासना का पावन समय
चैत्र मास शुक्ल पक्ष के प्रथम दिवस से आरंभ होने वाले नौ दिनों और नौ रातों के इस पावन समय को नवरात्रि कहा जाता है। यह सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जिसमें माँ शक्ति के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि वर्ष में चार बार आती है - पौष, चैत्र, आषाढ़ और अश्विन माह में। इनमें चैत्र मास की नवरात्रि का विशेष महत्त्व है क्योंकि इसे आराधना की दृष्टि से सर्वोत्तम माना गया है। यह समय साधु-संन्यासियों के लिए साधना तथा गृहस्थों के लिए भक्ति का श्रेष्ठ अवसर होता है।
चैत्र नवरात्रि का महत्व
शास्त्रों में कहा गया है कि चैत्र नवरात्रि के दौरान माँ भगवती की कृपा अवश्य प्राप्त होती है। इसे देव नवरात्रि भी कहा जाता है जो तपस्या, साधना और आध्यात्मिक जागरण के लिए अत्यंत पावन मानी जाती है। प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाने वाला यह आध्यात्मिक उत्सव दिखावे से मुक्त होता है और इसमें केवल माँ भगवती की भक्ति की जाती है। इस दौरान कोई भी देवी-देवता, चाहे वे कुलदेवी हों या अन्य कोई देवी, सभी माँ शक्ति का ही स्वरूप मानी जाती हैं।
नवरात्रि में देवी उपासना का महत्व
नवरात्रि के दौरान अलग-अलग नामों और स्वरूपों में पूजी जाने वाली सभी देवियाँ एक ही शक्ति की अभिव्यक्ति हैं। माँ वाराही, चामुंडा, महालक्ष्मी, सरस्वती, उमा भवानी आदि सभी एक ही माँ शक्ति के विभिन्न स्वरूप हैं। भक्तों को अपनी श्रद्धा अनुसार किसी एक देवी की आराधना करनी चाहिए और नौ दिनों तक निरंतर माँ का स्मरण करना चाहिए।
नवरात्रि में साधना और भक्ति
नवरात्रि के नौ दिनों में तीन प्रमुख देवियों - महालक्ष्मी, महासरस्वती और माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है जिन्हें नवदुर्गा कहा जाता है। माँ दुर्गा का अर्थ ही है अपने भक्तों के जीवन से सभी दुखों का नाश करने वाली। इस दौरान भक्तों को अपने सभी कार्यों से समय निकालकर माता की भक्ति करनी चाहिए।
मनुष्य आज समस्याओं से घिरा हुआ है, और नवरात्रि का यह समय माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त करने का सबसे उत्तम अवसर है। यदि कोई मंदिर जाने में असमर्थ है, तो घर में ही माँ दुर्गा की तस्वीर के सामने श्रद्धा पूर्वक पूजा-अर्चना की जा सकती है। यदि साधन उपलब्ध न हों, तो केवल ध्यान और मंत्र जाप से भी माँ की कृपा प्राप्त की जा सकती है। बुजुर्ग, बीमार अथवा गृहस्थ जीवन में व्यस्त व्यक्ति भी कुछ समय माँ की भक्ति में अवश्य लगाए।
नवरात्रि के नौ दिन और उनकी महत्ता
नवरात्रि के नौ दिनों में प्रतिदिन माँ शक्ति के एक विशेष स्वरूप की उपासना की जाती है।
शैलपुत्री - प्रथम दिन हिमालय पुत्री माँ शैलपुत्री की पूजा होती है।
ब्रह्मचारिणी - दूसरे दिन तपस्विनी माँ ब्रह्मचारिणी की आराधना की जाती है।
चंद्रघंटा - तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा कर भय और बाधाओं को दूर किया जाता है।
कूष्मांडा - चौथे दिन माँ कूष्मांडा की आराधना कर आरोग्यता प्राप्त की जाती है।
स्कंदमाता - पाँचवें दिन माँ स्कंदमाता की पूजा कर संतान सुख प्राप्त किया जाता है।
कात्यायनी - छठे दिन माँ कात्यायनी की उपासना कर शत्रु बाधा का नाश किया जाता है।
कालरात्रि - सातवें दिन माँ कालरात्रि की पूजा कर भय से मुक्ति प्राप्त की जाती है।
महागौरी - आठवें दिन माँ महागौरी की पूजा कर समस्त पापों से मुक्ति प्राप्त होती है।
सिद्धिदात्री - नवें दिन माँ सिद्धिदात्री की उपासना कर सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्राप्त की जाती हैं।
नवदुर्गा और दस महाविद्याओं की उपासना
नवरात्रि के दौरान नवदुर्गा के साथ-साथ दस महाविद्याओं की उपासना का भी विशेष महत्व है। इनमें माँ काली प्रथम प्रमुख हैं, जो उग्र शक्ति का प्रतीक हैं। इसके अलावा दसवें स्थान पर माँ कमला विराजती हैं, जो लक्ष्मीजी का ही स्वरूप हैं और ऐश्वर्य तथा समृद्धि प्रदान करती हैं। देवी उपासना के बिना देवता, मनुष्य और दानव सभी असहाय माने जाते हैं।
गायत्री साधना और नवरात्रि
नवरात्रि के दौरान की जाने वाली प्रमुख साधनाओं में गायत्री साधना भी अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह साधना आध्यात्मिक शक्ति प्राप्ति और आत्मिक शुद्धि के लिए की जाती है। वैदिक काल से पूर्व से ही नवरात्रि में साधना का यह रूप प्रचलित रहा है।
नवरात्रि में कन्या पूजन का महत्व
नवरात्रि के पहले तीन दिन माँ दुर्गा की ऊर्जा और शक्ति को समर्पित होते हैं। इस दौरान कन्या पूजन का भी विशेष महत्व है।
पहले दिन बालिकाओं की पूजा की जाती है।
दूसरे दिन युवती कन्याओं की पूजा की जाती है।
तीसरे दिन परिपक्व महिलाओं का पूजन किया जाता है।
नवरात्रि: शक्ति उपासना का श्रेष्ठ समय
नवरात्रि पर्व माँ दुर्गा की आराधना का श्रेष्ठ समय है। इस दौरान भक्तगण पूर्ण भक्ति भाव से माँ शक्ति की उपासना करते हैं और उनकी कृपा प्राप्त करते हैं। यह पर्व हमें यह भी सिखाता है कि जीवन की कठिनाइयों से संघर्ष कर विजय प्राप्त की जा सकती है।
इस नवरात्रि पर माँ भगवती की कृपा से सभी भक्तों को सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त हो!
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