चैत्र नवरात्रि: महत्व, पूजन विधि और नियम | Chaitra Navratri: mahatv, poojan vidhi aur niyam

चैत्र नवरात्रि: महत्व, पूजन विधि और नियम

वर्ष की चार नवरात्रियों में से दो मुख्य नवरात्रि होती हैं—चैत्र और आश्विन नवरात्रि। इनमें भी चैत्र नवरात्रि की अपनी विशेष महत्ता और विशिष्टता है। इसकी महत्ता का कारण इस अवधि में सूक्ष्म वातावरण में दिव्य हलचलों का होना है।

नवरात्रि का महत्व और वर्गीकरण

नवरात्रि चार होती हैं—चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ। इनकी शुरुआत शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से होती है और नवमी तक चलती हैं। हालांकि, इनमें चैत्र और आश्विन नवरात्रि अधिक प्रसिद्ध हैं।

  • वासंतीय नवरात्रि (चैत्र माह)

  • शारदीय नवरात्रि (आश्विन माह)

इनका आरंभ चैत्र और आश्विन शुक्ल प्रतिपदा को होता है। इसलिए, यह प्रतिपदा 'सम्मुखी' शुभ मानी जाती है। नवरात्रि की शुरुआत में अमावस्या युक्त प्रतिपदा अशुभ मानी जाती है।

घटस्थापना का शुभ समय और नियम

  • घटस्थापना का श्रेष्ठ समय प्रातःकाल होता है। यदि उस दिन चित्रा या वैधृति योग हो तो उसका त्याग करना चाहिए।

  • यदि चित्रा या वैधृति योग रात्रि तक रहे तो वैधृति के आरंभ के तीन अंश त्यागकर चौथे अंश में या अभिजीत मुहूर्त में घटस्थापना करनी चाहिए।

  • देवी का आह्वान, प्रवेशन, नित्य पूजन और विसर्जन प्रातःकाल में ही शुभ होते हैं।

  • यदि नवरात्रि में घटस्थापना करने के बाद सूतक हो जाए तो कोई दोष नहीं, परंतु पहले हो तो पूजनादि नहीं करना चाहिए।

घटस्थापना विधि

  1. नवरात्रि प्रारंभ करने से पहले सुगंधयुक्त तेल से स्नान करके नित्यकर्म करें।

  2. शांत, पवित्र स्थान में शुभ मृत्तिका की वेदी बनाएं।

  3. जौ और गेहूं दोनों मिलाकर वेदी में बोएं।

  4. सोने, चांदी, तांबे या मिट्टी के कलश को स्थापित करें।

  5. गणेशादि पूजन और पुण्याहवाचन करें।

  6. देवी के समीप शुभासन पर पूर्व या उत्तर मुख बैठकर संकल्प लें - 'मम महामायाभगवती वा मायाधिपति भगवत प्रीतये आयुर्बलवित्तारोयसमादरादिप्राप्तये वा नवरात्रिव्रतमहं करिष्ये'

  7. मूर्ति या कलश का आवाहन करें और विधिपूर्वक पूजा करें:

    • आसन

    • अर्घ्य

    • आचमन

    • स्नान

    • वस्त्र

    • गंध

    • अक्षत

    • पुष्प

    • धूप

    • दीप

    • नैवेद्य

    • आचमन

    • ताम्बूल

    • नीरांजन

    • पुष्पांजलि

    • नमस्कार

    • प्रार्थना

नवरात्रि व्रत और कन्या पूजन

  • स्त्री हो या पुरुष, सभी को नवरात्रि व्रत करना चाहिए।

  • यदि नौ दिनों तक व्रत संभव न हो, तो 7, 5, 3 या 1 दिन भी व्रत कर सकते हैं।

  • व्रत में उपवास अथवा यथासामर्थ्य फलाहार किया जा सकता है।

  • 9, 7, 5, 3 या 1 कन्याओं को देवी स्वरूप मानकर पूजन करें और भोजन कराएं।

  • इसके बाद स्वयं भोजन करें।

घट विसर्जन और पूजन का फल

  • नवरात्रि के नौ दिन पूरे होने पर दसवें दिन प्रातः घट विसर्जन करें।

  • विधिपूर्वक पूजन करने से सुख-समृद्धि बढ़ती है और मां भगवती की कृपा प्राप्त होती है।

नवरात्रि व्रत करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, मानसिक शांति और देवी शक्ति की कृपा प्राप्त होती है। अतः श्रद्धा और भक्ति से इस पावन उत्सव को मनाना चाहिए।

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