चैत्र नवरात्रि में अष्टमी का महत्व | Chaitra Navratri mein ashtamee ka mahatv

चैत्र नवरात्रि में अष्टमी का महत्व

चैत्र नवरात्रि में अष्टमी तिथि का विशेष महत्व है। यह दिन साधारणतया कुलदेवी के पूजन-अर्चन के लिए समर्पित माना जाता है। पुराने वृद्ध और वरिष्ठजन इस परंपरा को जानते हैं और इस दिन विशेष रूप से कुलदेवी की पूजा करते हैं। इस दिन काली, महाकाली, भद्रकाली, दक्षिण काली तथा बिजासन माता की आराधना की जाती है।

जो भक्त घटस्थापना करते हैं तथा देवी पाठ और जप करते हैं, वे प्रायः अष्टमी के दिन हवन करते हैं। इस दिन की अधिष्ठात्री देवी महागौरी हैं, जो अपने भक्तों को वैभव और ऐश्वर्य प्रदान करती हैं।

महागौरी पूजन विधि और मंत्र

अष्टमी के दिन देवी महागौरी का पूजन विशेष रूप से किया जाता है। भक्तगण रक्तपुष्प अर्पित करते हैं तथा खीर, हलवा आदि मिष्ठान्न का भोग लगाते हैं। भवानी अष्टक का पाठ करने के साथ-साथ निम्नलिखित मंत्रों का जाप करना अत्यंत फलदायी होता है:

  1. ‘ॐ महागौर्यै नमः’

  2. ‘ॐ नवनिधि गौरी महादैव्ये नमः’

अष्टमी पूजन के प्रमुख मंत्र

पूजन के समय निम्न मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए:

  1. ‘ॐ कुलदेवायै नमः’

  2. ‘ॐ कुलदैव्ये नमः’

  3. ‘ॐ सिद्धिदात्र्यै नमः’

  4. ‘ॐ ऐं सर्वाबाधाविनिर्मुक्तो धनधान्यसुतान्वितः। मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः ऐं ॐ।।’

  5. ‘ॐ ऐं सर्वाबाधासु घोरासु वेदनाभ्यर्दितोऽपि वा। स्मरणमैतच्चरितं नरो मुच्येत संकटात् ऐं ॐ।।’

कन्या पूजन का महत्व

अष्टमी के दिन कन्या पूजन करना अत्यंत शुभ माना जाता है। 2 से 12 वर्ष की कन्याओं को आमंत्रित कर उनके चरण धोकर, उन्हें भोजन कराना और दक्षिणा देना श्रेष्ठ फल प्रदान करता है। इससे मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और आशीर्वाद देती हैं।

पूजन की विधि

  • पूजन से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

  • पूजन सामग्री एकत्र करें और पूजन स्थल पर रखें।

  • देवी के समक्ष घी का दीपक दाहिनी ओर और तेल का दीपक बाईं ओर रखें।

  • पूजन में रोली, अक्षत, पुष्प, कुमकुम, धूप-दीप आदि का प्रयोग करें।

  • हर मंत्र जप के पूर्व संकल्प लें और जल छोड़ें।

  • अंत में माता को भोग अर्पित करें और आरती करें।

साधना का महत्व

भगवती दुर्गा, मां काली, मातंगी, कमला, भुवनेश्वरी - ये सभी एक ही हैं। इनके रूप और स्वरूप में भेद नहीं मानते हुए सच्चे मन से साधना करनी चाहिए। अपनी इच्छाओं को माता के समक्ष रखते हुए पूर्ण श्रद्धा और समर्पण के साथ आराधना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि शक्ति साधना और भक्ति के लिए अति महत्वपूर्ण होती है। इस दिन माता की कृपा से साधक को सुख, समृद्धि और आध्यात्मिक शांति प्राप्त होती है।

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