चैत्र नवरात्रि में कब करें दुर्गा सप्तशती पाठ, जानिए शुभ मुहूर्त | Chaitra Navratri mein kab karen durga saptashatee paath, jaanie shubh muhoort

चैत्र नवरात्रि में कब करें दुर्गा सप्तशती पाठ, जानिए शुभ मुहूर्त !

नवरात्र के पहले दिन से दुर्गा सप्तशती पाठ की शुरुआत करें। पाठ के दौरान लाल रंग के कपड़े पहनें। दुर्गा सप्तशती को लाल चुनरी या वस्त्र से लपेटकर रखें। एक दिन में या फिर नौ दिनों में पूरे 13 अध्याय का पाठ पूर्ण करें।

चैत्र नवरात्र 2025 शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 29 मार्च को शाम 04 बजकर 27 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 30 मार्च को दोपहर 12 बजकर 49 मिनट पर होगा। पंचांग को देखते हुए इस साल चैत्र नवरात्र 30 मार्च, 2025 से शुरू होगा और इसका समापन 07 अप्रैल, 2025 को होगा।

दुर्गा सप्तशती पाठ के नियम Durga Saptshati Path Rules

  • साधक सबसे पहले स्नान करें और मां दुर्गा का ध्यान करें।

  • माता रानी की विधिपूर्वक पूजा करें और दुर्गा सप्तशती पाठ का संकल्प लें।

  • नवरात्र के पहले दिन से दुर्गा सप्तशती पाठ की शुरुआत करें।

  • पाठ के दौरान लाल रंग के कपड़े पहनें।

  • दुर्गा सप्तशती को लाल चुनरी या वस्त्र से लपेटकर रखें।

  • एक दिन में या फिर नौ दिनों में पूरे 13 अध्याय का पाठ पूर्ण करें।

  • पाठ करते समय बीच में न उठें और न बोलें।

  • ब्रह्मचर्य और पवित्रता का ध्यान रखें।

  • पाठ जल्दबाजी में न करें, शब्दों का उच्चारण एक लय में करें।

  • पाठ समाप्त होने के बाद क्षमा मांगे।

  • जिस दिन से दुर्गा सप्तशती पाठ का संकल्प लिया गया हो, तभी से मांस-मदिरा, लहसुन-प्याज का सेवन बंद कर दें।

  • साधक तामसिक चीजों से दूर रहें।

  • पाठ के दौरान किसी के लिए बुरे भाव मन में न लाएं।

  • दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय लाल आसन पर बैठें।

दुर्गा सप्तशती के तेरह अध्याय और उनसे प्राप्त होने वाले फल

दुर्गा सप्तशती में तेरह अध्याय हैं और हर अध्याय का अपना महत्व है। नीचे इन अध्यायों के बारे में बताया गया है:

  • प्रथम अध्याय :मेधा ऋषिका राजा सुरथ और समाधि को भगवती की महिमा बताते हुए मधु कैटभ प्रसंग

प्रथम अध्याय के पाठ से मिलने वाले फल

इस अध्याय का पाठ करने से चिंताएं मिट जाती हैं। अगर आपको मानसिक विकार हैं और इसकी वजह से जीवन में परेशानियां आ रही हैं तो इस अध्याय का पाठ करने से मन सही दिशा की ओर अग्रसर होता है और खोई हुई चेतना वापस लौट आती है।
  • द्वितीय अध्याय :देवताओं के तेज से देवी मॉं का प्रादुर्भाव और महिषासुर की सेना का वध

द्वितीय अध्याय के पाठ से मिलने वाले फल

इस अध्याय का पाठ करने से मुकदमे, झगड़े आदि में विजय प्राप्त होती है। लेकिन आपने यदि इस अध्याय का पाठ दूसरे का बुरा या बुरी नियत से किया तो इसका फल प्राप्त नहीं होता।
  • तृतीय अध्याय : सेनापतियों सहित महिषासुर का वध

तृतीय अध्याय के पाठ से मिलने वाले फल

इस अध्याय का पाठ आप अपने विरोधियों या शत्रुओं से छुटकारा पाने के लिए कर सकते हैं। यदि आपके शत्रु बिना कारण बन रहे हों और आपको अपने गुप्त शत्रुओं का पता न चल पा रहा हो तो इस अध्याय का पाठ करना आपके लिए उपयुक्त है.

  • चतुर्थ अध्याय :इन्द्रादि दवताओं द्वारा देवी मॉं की स्तुति

चतुर्थ अध्याय के पाठ से मिलने वाले फल

इस अध्याय का पाठ उन लोगों के लिए लाभकारी होता है जो भक्ति, शक्ति तथा दर्शन से जुड़ना चाहते हैं। कुल मिलाकर कहा जाए तो इस अध्याय का पाठ करना उनके लिए अच्छा है जो माता की भक्ति और साधना के द्वारा समाज का कल्याण करना चाहते हैं।
  • पंचम अध्याय : देवताओं के द्वारा देवी की स्तुति, चण्ड-मुण्ड के मुख से अम्बिका के रुप की प्रशंसा सुनकर शुम्भ का उनके पास दूत भेजना और दूत का निराश लौटना

पंचम अध्याय के पाठ से मिलने वाले फल

इस अध्याय का पाठ उन लोगों के मनोरथ भी पूरा कर सकता है जिनकी मनोकामनाएं कहीं पूरी नहीं हुई हैं। इस अध्याय का नियमित पाठ करना बहुत शुभ माना गया है।
  • षष्ठम अध्याय : धूम्रलोचन- वध

षष्ठम अध्याय के पाठ से मिलने वाले फल

इस अध्याय का पाठ डर से मुक्ति या किसी बाधा से मुक्ति के लिए करना शुभ होता है। अगर आपकी कुंडली में राहु खराब स्थिति में है या केतु पीड़ित है तो भी इस अध्याय का जाप करना शुभ होता है। अगर तंत्र, जादू या भूत-प्रेत से जुड़ी कोई समस्या है तो इस अध्याय का पाठ करें।
  • सप्तम अध्याय : चण्ड-मुण्ड का वध

सप्तम अध्याय के पाठ से मिलने वाले फल

मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए इस अध्याय का पाठ किया जाता है। लेकिन किसी के अहित में यदि आप इस अध्याय का पाठ करते हैं तो आपको बुरे प्रभाव मिल सकते हैं।
  • अष्टम अध्याय : रक्तबीज का वध

अष्टम अध्याय के पाठ से मिलने वाले फल

इस अध्याय का पाठ वशीकरण या मिलाप के लिए किया जाता है। वशीकरण गलत तरीके नहीं बल्कि भलाई के लिए किया जाए, कोई बिछड़ गया हो तो इस अध्याय का जाप करना असरदायक होता है।
  • नवम अध्याय : विशुम्भ का वध

नवम अध्याय के पाठ से मिलने वाले फल

इस अध्याय का पाठ कामनाओं की पूर्ति के लिए पुत्र प्राप्ति के लिए और खोए हुए लोगों की तलाश के लिए किया जाता है.
  • दशम अध्याय : शुम्भ का वध

दशम अध्याय के पाठ से मिलने वाले फल

इस अध्याय का पाठ संतान प्राप्ति के लिए करना शुभ माना जाता है। इसके साथ ही संतान गलत रास्ते पर न जाए इसके लिए भी इस अध्याय का पाठ करना शुभ होता है।
  • एकादश अध्याय : देवताओं के द्वारा देवी की स्तुति तथा देवी द्वारा देवताओं को वरदान प्रदान किया जाना

एकादश अध्याय के पाठ से मिलने वाले फल

इस अध्याय का पाठ करना व्यापारियों के लिए शुभ होता है। इस अध्याय का पाठ करने से व्यापार में सफलता और सुख-संपत्ति मिलती है। यदि आपके कारोबार में हानि हो रही है तो इस अध्याय का पाठ करना शुभ है। अगर पैसा नहीं रुकता तो इस अध्याय का पाठ करें।
  • द्वादश अध्याय : देवी-चरित्रों के पाठका माहात्म्य

द्वादश अध्याय के पाठ से मिलने वाले फल

इस अध्याय का पाठ मान-सम्मान तथा लाभ प्राप्ति के लिए किया जाता है। यदि आप पर कोई आरोप-प्रत्यारोप करता हो तो यह पाठ करें।
  • त्रयोदश अध्याय : सुरथ और वैश्य को देवी का वरदान

त्रयोदश अध्याय के पाठ से मिलने वाले फल

इस अध्याय का पाठ भक्ति मार्ग पर सफलता पाने के लिए किया जाता है। साधना के बाद पूर्ण भक्ति के लिए यह पाठ करें।

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