चैत्र नवरात्रि में माँ चंद्रघंटा की आराधना क्यों है इतनी महत्वपूर्ण? जानिए इसके पीछे की वजह | Chaitra Navratri mein Maa Chandraghanta kee aaraadhana kyon hai itanee mahatvapoorn? jaanie isake peechhe kee vajah
चैत्र नवरात्रि में माँ चंद्रघंटा की आराधना क्यों है इतनी महत्वपूर्ण? जानिए इसके पीछे की वजह
चैत्र नवरात्रि में माँ चंद्रघंटा की आराधना का विशेष महत्व है। माँ चंद्रघंटा शक्ति, वीरता और आत्मविश्वास की प्रतीक हैं। उनकी पूजा से भक्तों को भय से मुक्ति, पापों का नाश, और सुख-शांति प्राप्त होती है। आइए जानते हैं कि माँ चंद्रघंटा की पूजा क्यों इतनी महत्वपूर्ण मानी जाती है।
माँ चंद्रघंटा की आराधना की महत्वपूर्ण वजहें
- शक्ति और वीरता का प्रतीक:माँ चंद्रघंटा का स्वरूप शक्ति और वीरता का द्योतक है। उनकी पूजा से भक्तों में साहस और पराक्रम की वृद्धि होती है।
- भय से मुक्ति:माँ चंद्रघंटा को भय नाशिनी देवी माना जाता है। उनकी आराधना से जीवन में व्याप्त भय और चिंताओं का नाश होता है।
- पापों का नाश:माँ चंद्रघंटा पापों का नाश करने वाली देवी हैं। उनकी कृपा से भक्तों के समस्त पाप नष्ट होते हैं।
- सकारात्मकता और शांति:माँ की पूजा से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और व्यक्ति को मानसिक शांति प्राप्त होती है।
- सौंदर्य और कांति:माँ चंद्रघंटा की कृपा से भक्तों के मुख, नेत्र एवं संपूर्ण काया में दिव्य कांति का संचार होता है।
- कल्याण और सुख:माँ चंद्रघंटा की आराधना से भक्तों के जीवन में सुख, समृद्धि और कल्याण आता है।
- असुरों का नाश:पौराणिक कथाओं के अनुसार, माँ चंद्रघंटा ने असुरों के संहार के लिए अवतार लिया था। उनकी पूजा से नकारात्मक शक्तियों और दुष्ट प्रवृत्तियों का नाश होता है।
- साहस और आत्मविश्वास:माँ की उपासना से व्यक्ति में आत्मविश्वास और दृढ़ निश्चय की भावना उत्पन्न होती है, जिससे वह सही निर्णय लेने में सक्षम होता है।
माँ चंद्रघंटा का स्वरूप
माँ का वाहन सिंह है, जो उनकी शक्ति और साहस का प्रतीक है।
माँ के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र स्थित है, जिससे उन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है।
माँ की दस भुजाएं हैं, जो विभिन्न अस्त्र-शस्त्रों से सुशोभित हैं।
माँ का स्वरूप अलौकिक और दिव्य आभा से युक्त होता है, जो वात्सल्य और करुणा की प्रतीक है।
माँ चंद्रघंटा की कृपा प्राप्त करने के लिए क्या करें?
माँ चंद्रघंटा की आराधना में "या देवी सर्वभूतेषु माँ चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः" मंत्र का जाप करें।
माँ को पीले वस्त्र, कमल का फूल और दूध से बनी मिठाइयों का भोग अर्पित करें।
पान के पत्ते में गुलाब की सात पंखुड़ियाँ रखकर माँ को अर्पित करें।
माँ के मंदिर में जाकर उनकी विशेष पूजा करें और गरीबों को भोजन कराएं।
निष्कर्ष
माँ चंद्रघंटा की आराधना करने से व्यक्ति के जीवन में शक्ति, साहस, आत्मविश्वास और सुख-शांति का संचार होता है। उनके आशीर्वाद से सभी प्रकार के भय, पाप और संकट समाप्त होते हैं। चैत्र नवरात्रि में माँ चंद्रघंटा की उपासना से जीवन में सकारात्मकता और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
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