दुर्गाष्टमी पर क्या खाएं और क्या न खाएं? जानें व्रत नियम | durgaashtamee par kya khaen aur kya na khaen? jaanen vrat niyam
दुर्गाष्टमी पर क्या खाएं और क्या न खाएं? जानें व्रत नियम
दुर्गाष्टमी का व्रत हिंदू धर्म में बहुत ही शुभ और पुण्यदायी माना जाता है। इस दिन माँ दुर्गा की पूजा-अर्चना और व्रत का विशेष महत्व होता है। लेकिन व्रत के दौरान क्या खाया जाए और किन चीजों से परहेज किया जाए, यह जानना आवश्यक है। यहां हम दुर्गाष्टमी के व्रत में सेवन किए जाने वाले और वर्जित खाद्य पदार्थों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।
दुर्गाष्टमी के व्रत में क्या न खाएं?
व्रत के दौरान कुछ खाद्य पदार्थों का सेवन वर्जित माना जाता है। यदि आप माँ दुर्गा का व्रत कर रहे हैं, तो निम्नलिखित चीजों से परहेज करें:
मांस, मछली और अंडा – व्रत के दौरान किसी भी प्रकार के मांसाहारी भोजन का सेवन वर्जित होता है।
शराब और नशीले पदार्थ – किसी भी प्रकार के नशीले पदार्थों का सेवन इस पावन दिन पर नहीं करना चाहिए।
लाल रंग के कपड़े – यह दिन शांति और सात्विकता का प्रतीक है, इसलिए अधिक चमकदार लाल रंग के वस्त्र पहनने से बचें।
चावल, गेहूं, दालें, प्याज और लहसुन – इन पदार्थों को तामसिक भोजन की श्रेणी में रखा जाता है, इसलिए इनका सेवन नहीं करना चाहिए।
तेल और घी में बने तले-भुने खाद्य पदार्थ – गहरी तली हुई चीजें व्रत के नियमों के अनुसार उचित नहीं मानी जाती हैं।
साधारण नमक – दुर्गाष्टमी व्रत में सामान्य नमक के बजाय सेंधा नमक का उपयोग करना चाहिए।
दुर्गाष्टमी के व्रत में क्या खाएं?
व्रत के दौरान शरीर को ऊर्जा प्रदान करने वाले सात्विक और पौष्टिक आहार का सेवन करना चाहिए।
सात्विक खाद्य पदार्थ – आलू, शकरकंद, कद्दू, लौकी, कच्चा केला जैसी फल और सब्ज़ियां सेवन कर सकते हैं।
तरल पदार्थ – पानी, फलों का रस, दूध, छाछ, लस्सी, शेक और स्मूदी जैसे तरल पदार्थ पीना चाहिए।
सेंधा नमक और काली मिर्च – व्रत में सेंधा नमक का प्रयोग किया जाता है, क्योंकि यह सात्विक और पवित्र माना जाता है।
व्रत अनाज – कुट्टू का आटा, सिंघाड़े का आटा या राजगिरा का आटा उपयोग में ला सकते हैं।
मेवे और फल – बादाम, अखरोट, मखाने, किशमिश और अन्य सूखे मेवे फायदेमंद होते हैं।
डेयरी उत्पाद – मक्खन, घी, खोया और पनीर का सेवन कर सकते हैं।
व्रत के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें
भूखे न रहें – खुद को बहुत अधिक भूखा न रखें, क्योंकि इससे शरीर में कमजोरी आ सकती है।
हर दो घंटे में कुछ खाएं – मेवे और फल का सेवन करें, ताकि शरीर में ऊर्जा बनी रहे।
शरीर को हाइड्रेट रखें – दिनभर पर्याप्त मात्रा में पानी, दूध, छाछ और ताज़ा जूस पीते रहें।
चक्कर और कमजोरी से बचें – समय-समय पर हल्का भोजन लेते रहें, ताकि कमजोरी न महसूस हो।
मासिक दुर्गाष्टमी व्रत के नियम
मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस दिन मां दुर्गा की विशेष पूजा-अर्चना करने से भक्तों को शक्ति, समृद्धि और सुख-शांति की प्राप्ति होती है। इस व्रत को विधि-विधान से करने के लिए कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक होता है। आइए जानते हैं मासिक दुर्गाष्टमी व्रत के नियम:
1. घर को खाली न छोड़ें
माना जाता है कि मासिक दुर्गाष्टमी पूजा के दिन घर को किसी भी समय खाली नहीं छोड़ना चाहिए। इस दिन घर में माता दुर्गा की कृपा बनी रहती है, इसलिए घर को स्वच्छ और पवित्र बनाए रखना चाहिए।
2. उपवास का नियम
व्रतधारी को पूरे दिन कुछ भी खाने-पीने से परहेज करना चाहिए।
यदि आवश्यक हो तो केवल दूध और फल ग्रहण कर सकते हैं।
मांसाहार, शराब और अन्य तामसिक भोजन का सेवन इस दिन वर्जित होता है।
इस दिन साधक को सभी प्रकार की सुख-सुविधाओं का त्याग करना चाहिए और जमीन पर घास या चटाई से बने बिस्तर पर सोना चाहिए।
3. मां दुर्गा की पूजा और मंत्र जाप
इस दिन पूरे मन से मां दुर्गा की पूजा करें।
विशेष रूप से दुर्गा सप्तशती के पाठ का बड़ा महत्व होता है।
दुर्गा चालीसा, दुर्गा स्तुति और अन्य मंत्रों का जाप करें।
आरती के समय दुर्गा मंत्रों का जाप विशेष रूप से करना चाहिए।
4. सात्त्विक जीवनशैली अपनाएं
व्रत के दौरान सात्त्विक विचारों को अपनाना चाहिए।
क्रोध, अहंकार, ईर्ष्या और द्वेष से बचना चाहिए।
ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और मन, वचन और कर्म से पवित्रता बनाए रखनी चाहिए।
5. व्रत का पारण
अगले दिन सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करना चाहिए।
माता दुर्गा को भोग लगाने के बाद सात्त्विक भोजन ग्रहण करें।
मासिक दुर्गाष्टमी व्रत को विधिपूर्वक करने से भक्तों को जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। मां दुर्गा की कृपा से सभी कष्ट दूर होते हैं और भक्तों को आत्मबल प्राप्त होता है।
निष्कर्ष
दुर्गाष्टमी का व्रत आत्मशुद्धि और माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। इस दौरान सही खानपान का पालन करने से न केवल आध्यात्मिक लाभ मिलता है, बल्कि शारीरिक रूप से भी व्यक्ति स्वस्थ रहता है। यदि आप व्रत रख रहे हैं, तो ऊपर बताए गए नियमों का पालन अवश्य करें और माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त करें।
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