दुर्गाष्टमी व्रत से जुड़ी खास बातें: | durgaashtamee vrat se judee khaas baate

दुर्गाष्टमी व्रत से जुड़ी खास बातें:

दुर्गाष्टमी व्रत हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और शुभ माना जाता है। यह विशेष रूप से मां दुर्गा की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इस व्रत को रखने से व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। मान्यता है कि इस दिन मां दुर्गा की आराधना करने से जीवन की सभी समस्याओं का नाश होता है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

दुर्गाष्टमी व्रत के लाभ और महत्व

  • शारीरिक और मानसिक शांति: इस व्रत को रखने से तन और मन दोनों को शांति मिलती है।
  • भय और कष्टों का नाश: माता दुर्गा की कृपा से जीवन में आने वाली सभी नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं।
  • सुख-समृद्धि: इस दिन व्रत रखने से भौतिक और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
  • मनोकामनाओं की पूर्ति: भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और वे जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं।
  • सभी समस्याओं से राहत: यह व्रत व्यक्ति के जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने में सहायक होता है।
  • घर-परिवार में सुख-शांति: इस दिन माता दुर्गा की पूजा करने से परिवार में सुख, समृद्धि और सौहार्द बना रहता है।

दुर्गाष्टमी व्रत में क्या करें?

  • स्नान और पूजा: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ लाल वस्त्र धारण करें।
  • सूर्य अर्घ्य: तांबे के पात्र से सूर्य देव को अर्घ्य दें।
  • मां दुर्गा की पूजा: मां की मूर्ति पर लाल रंग के पुष्प चढ़ाएं और धूप-दीप जलाएं।
  • सोलह श्रृंगार अर्पण: मां को सोलह श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें।
  • पाठ एवं मंत्र जाप: दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
  • भोग अर्पण: माता को सात्विक भोजन जैसे खीर, फल, पंचामृत आदि अर्पित करें।

दुर्गाष्टमी व्रत में क्या नहीं खाएं?

  • अन्न का सेवन न करें: चावल, गेहूं, दाल आदि अनाज का सेवन इस दिन वर्जित है।
  • मांसाहार न करें: मांस, मछली, अंडे और शराब का सेवन पूरी तरह निषेध है।
  • प्याज और लहसुन से बचें: तामसिक भोजन जैसे प्याज और लहसुन का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • अन्य निषेध खाद्य पदार्थ: तेल में तले हुए पदार्थ और अधिक मसालेदार भोजन न खाएं।

निष्कर्ष

दुर्गाष्टमी व्रत एक शक्तिशाली साधना और भक्ति का मार्ग है। इसे विधिपूर्वक करने से मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। इस व्रत को पूर्ण श्रद्धा और नियमों के साथ करने से हर तरह की परेशानियां दूर होती हैं और भक्तों को आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है।

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