चैत्र नवरात्रि का पहला दिन: माँ शैलपुत्री की पूजा विधि और कथा | First day of Chaitra Navratri: Worship method and story of Maa Shailputri

चैत्र नवरात्रि का पहला दिन: माँ शैलपुत्री की पूजा विधि और कथा

Chaitra Navratri 2025: नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है। नवरात्रि के दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। तो चलिए जानते हैं नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा विधि से जुड़ी सारी जानकारियां विस्तार में।

नवरात्रि प्रथम दिन माता शैलपुत्री की पूजा विधि Mata Shailputri Puja Vidhi

नवरात्रि के प्रथम दिन माँ शैलपुत्री की पूजा का विशेष महत्व है, क्योंकि वह माँ दुर्गा का पहला रूप हैं। शैलपुत्री, पर्वतराज हिमालय की पुत्री मानी जाती हैं और उनका स्वरूप शक्ति, पवित्रता और साहस का प्रतीक है। प्रथम दिन की पूजा विधि इस प्रकार है:

1. कलश स्थापना:

  • सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

  • पूजा स्थल को पवित्र करके वहां पर कलश स्थापित करें।

  • कलश में जल भरकर उसमें सुपारी, सिक्के और आम के पत्ते डालें और कलश के ऊपर नारियल रखें।

  • यह कलश माँ दुर्गा का आह्वान करता है।

2. माँ शैलपुत्री का आह्वान:
  • माँ शैलपुत्री की प्रतिमा या तस्वीर को पूजा स्थान पर स्थापित करें।

  • शुद्ध जल से उनका अभिषेक करें।

  • माँ को सफेद वस्त्र और सफेद फूल अर्पित करें, क्योंकि सफेद रंग शांति और पवित्रता का प्रतीक है, जो माँ शैलपुत्री को प्रिय है।

3. मंत्र जाप और पाठ:

माँ शैलपुत्री के मंत्र का जाप करें: "ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः"

इसके साथ दुर्गा सप्तशती या दुर्गा चालीसा का पाठ भी करें। इससे माँ की कृपा प्राप्त होती है।

4. प्रसाद अर्पण:
  • माँ शैलपुत्री को गाय का घी अर्पित करें और इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।

  • यह माना जाता है कि इससे शारीरिक और मानसिक बल मिलता है।

  • पूजा के अंत में माँ की आरती करें और परिवार के सभी सदस्यों के साथ प्रसाद का वितरण करें।

मां शैलपुत्री का भोग प्रथम दिन

मां शैलपुत्री को सफ़ेद रंग का भोग लगाया जाता है, जो घी व गाय के दूध से बना होता है। इस दिन मुख्यतः कलाकंद की मिठाई भोग में लगाई जाती है।


मां शैलपुत्री की कथा

माता शैलपुत्री की कथा भी इस दिन पढ़ने का विधान है। इस पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार प्रजापति दक्ष (सती के पिता) ने यज्ञ के दौरान सभी देवताओं को आमंत्रित किया, मगर उन्होंने अपनी पुत्री सती के पति भगवान शिव को निमंत्रण नहीं भेजा।

सती बिना निमंत्रण भी यज्ञ में जाने को तैयार थी। भगवान शिव ने उन्हें समझाया कि बिना निमंत्रण यज्ञ में जाना ठीक नहीं, लेकिन सती ने उनकी बात नहीं मानी। जब सती यज्ञ में पहुंची, तो वहां उनका अपमान हुआ और उनके पति भगवान शिव के प्रति अनादर देखा। यह सहन न कर पाने के कारण सती ने स्वयं को यज्ञ में भस्म कर दिया।

भगवान शिव ने जब यह सुना तो उन्होंने अपने गणों को भेजकर दक्ष के यज्ञ का विध्वंस कर दिया। अगले जन्म में सती ने हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया और उन्हें शैलपुत्री कहा गया। इसलिए नवरात्रि के पहले दिन माँ शैलपुत्री की पूजा की जाती है।


मां शैलपुत्री की पूजा के लाभ

  • मां शैलपुत्री की पूजा करने से अच्छा स्वास्थ्य मिलता है।

  • मां शैलपुत्री की कृपा से उत्तम वर की प्राप्ति होती है।

  • मां को सफेद वस्त्र और सफेद फूल अर्पित करने से मां प्रसन्न होती हैं।

  • मां को सफेद बर्फी का भी भोग लगाना शुभ माना जाता है।


चैत्र नवरात्रि में घटस्थापना की पूजा सामग्री

  • चौड़े मुंह वाला मिट्टी का एक बर्तन

  • कलश

  • सप्तधान्य (7 प्रकार के अनाज)

  • पवित्र स्थान की मिट्टी

  • गंगाजल

  • कलावा/मौली

  • आम या अशोक के पत्ते

  • जटा वाला नारियल

  • सुपारी

  • अक्षत (कच्चा साबुत चावल)

  • पुष्प और पुष्पमाला

  • लाल कपड़ा

  • मिठाई

  • सिंदूर

  • दूर्वा आदि


मां शैलपुत्री का मंत्र

"ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॐ शैलपुत्री देव्यै नम:"


मां शैलपुत्री का भोग

मां दुर्गा के शैलपुत्री रूप को गाय के घी और दूध से बनी चीजों का भोग लगाया जाता है। ऐसा करने से मां शैलपुत्री प्रसन्न होती हैं।


नवरात्रि के पहले दिन का शुभ रंग

नवरात्रि का पहला दिन माँ शैलपुत्री की आराधना का दिन होता है। माँ शैलपुत्री का पसंदीदा रंग सफेद होता है, जो शांति और पवित्रता का प्रतीक है।

टिप्पणियाँ