होलाष्टक में शुभ कार्य और विशेष पूजा विधि
होलाष्टक वह समय होता है जब किसी भी प्रकार के शुभ कार्य करने की मनाही होती है। इसकी ज्योतिषीय वजह यह है कि इन दिनों वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा अधिक प्रभावी रहती है। होलाष्टक अष्टमी तिथि से पूर्णिमा तक चलता है, जिसमें अलग-अलग ग्रहों का प्रभाव अधिक रहता है।
होलाष्टक के दौरान करें ये विशेष पूजा
लड्डू गोपाल की पूजा:
होलाष्टक के दिनों में भक्तों को लड्डू गोपाल की पूजा विधि-विधान से करनी चाहिए।
पूजा के दौरान गाय के शुद्ध घी और मिश्री से हवन करना चाहिए।
इस विधि से संतान प्राप्ति के योग बनते हैं।
करियर में तरक्की के लिए हवन:
जौ, तिल और शक्कर से हवन करने से करियर में उन्नति मिलती है।
धन-संपत्ति वृद्धि के लिए हवन:
कनेर के फूल, गांठ वाली हल्दी, पीली सरसों और गुड़ से हवन करने से धन-संपत्ति में वृद्धि होती है।
स्वास्थ्य लाभ के लिए महामृत्युंजय मंत्र:
होलाष्टक के दौरान भगवान शिव का महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से शरीर के सभी रोग दूर होते हैं।
होलाष्टक में नकारात्मकता का प्रभाव
हिंदू धर्म ग्रंथों और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, होलाष्टक के समय भक्त प्रह्लाद को अनेक यातनाएं दी गई थीं। इस कारण यह समय नकारात्मकता से भरा हुआ माना जाता है और किसी भी शुभ कार्य से बचने की सलाह दी जाती है।
होलाष्टक में करें भगवान की वंदना
होलाष्टक के आठ दिनों के दौरान भगवान का भजन, जप, तप आदि करना अत्यंत लाभकारी होता है। कहा जाता है कि इन दिनों भक्त प्रह्लाद पर अनेक कष्ट आए, लेकिन भगवान विष्णु ने उनके सभी संकटों का निवारण किया। अतः इन दिनों भगवान विष्णु या अपने इष्टदेव की आराधना करनी चाहिए ताकि जीवन के सभी कष्ट दूर हों।
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