होली क्यों मनाई जाती है? जानिए पौराणिक कथा और इतिहास | Holi kyon manaee jaatee hai? jaanie pauraanik katha aur itihaas
होली क्यों मनाई जाती है? जानिए पौराणिक कथा और इतिहास
होली एक अत्यंत लोकप्रिय हिंदू त्योहार है जिसे वसंत के आगमन के जश्न के रूप में मनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि होली क्यों मनाई जाती है? इसकी तैयारी कई दिनों पहले शुरू हो जाती है। होली को आमतौर पर मार्च के दूसरे सप्ताह में मनाया जाता है। यह सबसे अधिक लोकप्रिय हिंदू त्योहारों में से एक है, जिसे बड़ी ख़ुशी के साथ युवा और बुजुर्ग दोनों ही मनाते हैं।
होली विभिन्न धर्मों और पृष्ठभूमि के लोगों द्वारा अलग-अलग तरीकों से मनाई जाती है। चाहे होलिका दहन किया जाए, रंगों से खेला जाए या फिर दोस्तों और परिवार के साथ उत्सव मनाया जाए, यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत और सामाजिक एकता का प्रतीक है। यह न केवल रंगों का त्योहार है बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक रूप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
होली क्यों मनाई जाती है?
होली एक प्राचीन हिंदू त्योहार है जो वसंत ऋतु के आगमन का संकेत देता है। इसे एक नई शुरुआत के रूप में भी देखा जाता है, जब लोग अपने पुराने मतभेदों को भूलकर नए सिरे से रिश्तों की शुरुआत करते हैं। इस त्योहार के पीछे कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं।
होली से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है, जिसे बुराई के प्रतीक के रूप में जलाया जाता है और नए, उज्जवल भविष्य के मार्ग को प्रशस्त किया जाता है।
होली में गुलाल को हवा में फेंककर और एक-दूसरे को रंग लगाकर आपसी प्रेम और भाईचारे का संदेश दिया जाता है। धार्मिक दृष्टिकोण से, यह त्योहार आत्म-शुद्धि और बुराइयों को त्यागने का प्रतीक भी माना जाता है।
होली का सांस्कृतिक महत्व
होली बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। बुराई, अहंकार, इच्छाओं और नकारात्मकता को जलाने के लिए होली से एक दिन पहले एक पवित्र अग्नि जलाई जाती है। यह त्योहार मित्रता, एकता और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का संदेश देता है।
शाम के समय अग्नि जलाने का अर्थ बुराई का अंत माना जाता है, और अगले दिन रंगों के साथ उत्सव मनाकर प्रेम और आनंद का संचार किया जाता है। इस दिन लोग गाने, नाचने और होली के विशेष पकवानों का आनंद लेते हैं।
भक्त प्रहलाद की कथा
भक्त प्रहलाद भगवान विष्णु के अनन्य भक्त थे। विष्णु पुराण के अनुसार, प्रहलाद के पिता हिरण्यकश्यप ने उसे विष्णु भक्ति से रोकने के लिए कई प्रयास किए। जब प्रहलाद नहीं माना, तो हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका से उसे अग्नि में जलाने को कहा। होलिका को अग्नि में न जलने का वरदान प्राप्त था, लेकिन जैसे ही वह प्रहलाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठी, भगवान विष्णु की कृपा से प्रहलाद सुरक्षित रहे और होलिका जलकर भस्म हो गई। तभी से इस घटना की याद में होलिका दहन का आयोजन किया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
राधा-कृष्ण से जुड़ी कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण सांवले थे और राधा गोरी थीं। श्रीकृष्ण ने एक बार अपनी माता यशोदा से शिकायत की कि राधा गोरी हैं और वे सांवले क्यों हैं। इस पर माता यशोदा ने उन्हें राधा को अपने पसंदीदा रंग में रंगने का सुझाव दिया। तब से श्रीकृष्ण ने राधा और उनकी सखियों के साथ रंगों से होली खेलनी शुरू की। इसी परंपरा के रूप में आज भी मथुरा-वृंदावन में बड़े उत्साह से होली का त्योहार मनाया जाता है।
निष्कर्ष
होली सिर्फ रंगों का त्योहार नहीं है, बल्कि यह बुराई पर अच्छाई की विजय, प्रेम और भाईचारे का प्रतीक भी है। यह त्योहार हमें अपने पुराने मतभेदों को भूलकर जीवन में नई ऊर्जा और खुशियों के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध यह पर्व हर साल प्रेम, सौहार्द्र और उमंग का संदेश देता है।
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