माँ कूष्माण्डा कौन हैं? जानिए उनकी महिमा, कथा और विशेष पूजा विधि | Maa Kushmanda kaun hain? jaanie unakee mahima, katha aur vishesh pooja vidhi

माँ कूष्माण्डा कौन हैं? जानिए उनकी महिमा, कथा और विशेष पूजा विधि

माँ कूष्माण्डा कौन हैं ?

मां कुष्मांडा का स्वरूप बहुत ही दिव्य और प्रभावशाली है। ये आठ भुजाओं वाली देवी हैं, इसलिए इन्हें अष्टभुजा देवी भी कहा जाता है। इनके हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, अमृतकलश, चक्र, गदा, जप माला और कमल का फूल है। मां सिंह पर विराजमान हैं, जो शक्ति और वीरता का प्रतीक है। इनका यह स्वरूप इस बात का संकेत है कि ये अपने भक्तों को भय से मुक्त करती हैं और उनके जीवन में संतुलन और समृद्धि लाती हैं।

माँ कूष्माण्डा का महत्व

मां कूष्माण्डा को ब्रह्मांड की रचयिता माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जब ब्रह्मांड में अंधकार था और कोई अस्तित्व नहीं था, तब मां ने अपनी कोमल मुस्कान से इस ब्रह्मांड की रचना की थी। इसीलिए इन्हें “आदि शक्ति” कहा जाता है। इनकी पूजा करने से भक्तों को दीर्घायु, स्वास्थ्य, समृद्धि और सिद्धियां प्राप्त होती हैं।

माँ कूष्माण्डा की कथा

हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, कुष्मांडा का मतलब कुम्हड़ा होता है। कुम्हड़े को कुष्मांडा के नाम से भी जाना जाता है, इसीलिए मां जगदंबे के चौथे स्वरूप का नाम कुष्मांडा पड़ा। इन देवी का अवतरण असुरों का संहार करने के लिए हुआ था। जब इस संसार का अस्तित्व नहीं था और चारों ओर अंधेरा छाया हुआ था, तब इस सृष्टि को उत्पन्न करने के कारण देवी के चौथे स्वरूप को मां कूष्माण्डा के नाम से जाना गया। इसी कारण मां कुष्मांडा को ही आदिस्वरूपा कहा गया है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी कुष्मांडा के शरीर की चमक सूर्य के समान है। मान्यता है कि जो कोई सच्चे मन से देवी कुष्मांडा की पूजा करता है, उससे मां प्रसन्न होकर समस्त रोग-शोक का नाश कर देती हैं। इनकी भक्ति से मनुष्य के बल, आयु, यश और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है।

माँ कूष्माण्डा की पूजा विधि

सुबह की शुरुआत:

  • प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

  • मां कुष्मांडा की पूजा का संकल्प लें - “मैं आज नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा करूंगा। कृपया मुझ पर अपनी कृपा बनाए रखें।”

पूजा स्थल की तैयारी:
  • स्वच्छ स्थान पर चौकी रखें और उस पर मां की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।

  • चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर चावल रखें।

कलश स्थापना और दीप प्रज्वलन:
  • जल से भरा कलश स्थापित करें और उसमें आम के पत्ते, सुपारी और सिक्का डालें।

  • शुद्ध घी का दीपक जलाएं और धूप जलाएं।

माँ कुष्मांडा का आह्वान और पूजा:

  • देवी को गंगाजल से स्नान कराएं।

  • चंदन, रोली, अक्षत, हल्दी, कुमकुम और फूल अर्पित करें।

  • मां को मालपुआ, पंचामृत या कद्दू (कुष्मांडा) से बने व्यंजन का भोग लगाएं।

  • धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।

मंत्र जाप:
  • ध्यान मंत्र:

वन्दे वंचित लाभाय चन्द्रार्धकृत शेखरम्।
सिंहारूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डायश्च दारुणम्।

  • बीज मंत्र:

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्माण्डायै नमः।

इस मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें।

आरती एवं क्षमा प्रार्थना:

  • भक्तिभाव से मां की आरती करें।

  • यदि किसी भी प्रकार की गलती हो गई हो तो मां से क्षमा मांग लें।

माँ कूष्माण्डा की कृपा और लाभ:

  1. अंधकार का नाश: देवी कूष्माण्डा अपने भक्तों के जीवन से अंधकार का नाश करती हैं।

  2. धन और स्वास्थ्य: देवी धन और स्वास्थ्य प्रदान करती हैं।

  3. सकारात्मक ऊर्जा: देवी के स्वरूप की पूजा करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आत्मविश्वास बढ़ता है।

  4. सुख-समृद्धि: देवी की कृपा से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

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