नवरात्रि में दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व | Navratri mein doosare din maa brahmachaarinee kee pooja ka mahatv

नवरात्रि में दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व

नवरात्रि के दूसरे दिन माँ दुर्गा के 'देवी ब्रह्मचारिणी' स्वरूप की पूजा करने का विधान है। माता के नाम से उनकी शक्तियों के बारे में जानकारी मिलती है। ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी का अर्थ है आचरण करने वाली, अर्थात तप का आचरण करने वाली देवी। माँ ब्रह्मचारिणी की आराधना से आत्मविश्वास, आयु, आरोग्य, सौभाग्य, अभय आदि की प्राप्ति होती है। माता को ब्राह्मी भी कहा जाता है। उनकी पूजा से मनुष्य अपने लक्ष्य से विचलित नहीं होता और सदैव सही मार्ग पर चलता है।

नवरात्रि के दूसरे दिन पीले रंग का महत्व

नवरात्रि के दूसरे दिन पीले रंग के वस्त्र पहनकर पूजा-अर्चना करनी चाहिए क्योंकि माँ ब्रह्मचारिणी को पीला रंग अत्यंत प्रिय है। माता को पीले वस्त्र, पीले रंग के फूल, फल आदि अर्पित करना शुभ माना जाता है। भारतीय संस्कृति में पीला रंग पालन-पोषण, बुद्धि, उत्साह और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है।

माँ ब्रह्मचारिणी पूजा विधि

  1. ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि से निवृत होकर पूजा स्थल पर गंगाजल का छिड़काव करें।

  2. पीले वस्त्र धारण करें और माता को पीले रंग की चीजें अर्पित करें।

  3. माता का पंचामृत से स्नान कराएं और रोली, कुमकुम अर्पित करें।

  4. अग्यारी करें और लौंग, बताशे, हवन सामग्री आदि अर्पित करें।

  5. माता को दूध से बनी मिठाई या चीनी का भोग लगाएं।

  6. माता के ध्यान मंत्र का जप करें और जयकारे लगाएं।

  7. पान-सुपारी अर्पित करें और प्रदक्षिणा करें।

  8. कलश देवता और नवग्रह की पूजा करें।

  9. घी के दीपक और कपूर से माता की आरती करें।

  10. दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती आदि का पाठ करें।

  11. शाम को भी माता की विधिवत पूजा और आरती करें।

माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व

  1. तपस्या और वैराग्य की देवी - माँ ब्रह्मचारिणी को तपस्या और वैराग्य की देवी माना जाता है।

  2. दृढ़ संकल्प और आत्मविश्वास - उनकी पूजा से व्यक्ति में आत्मविश्वास और धैर्य बढ़ता है।

  3. सकारात्मकता और धैर्य - माँ की कृपा से व्यक्ति सकारात्मक सोच रखता है।

  4. जीवन में सफलता और विजय - उनकी कृपा से साधक को हर कार्य में सफलता मिलती है।

  5. कष्टों का निवारण - उनकी पूजा से जीवन के कष्ट दूर होते हैं।

  6. अडिग संकल्प - देवी की पूजा से आत्म-नियंत्रण और संकल्प शक्ति प्राप्त होती है।

  7. लक्ष्य प्राप्ति - जो लोग किसी विशेष लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रयासरत हैं, उनके लिए यह पूजा विशेष रूप से लाभकारी होती है।

टिप्पणियाँ