स्कंद षष्ठी व्रत: भगवान कार्तिकेय की आराधना और महत्व | skand shashthee vrat: bhagavaan kaartikey kee aaraadhana aur mahatv

स्कंद षष्ठी व्रत: भगवान कार्तिकेय की आराधना और महत्व

स्कंद षष्ठी व्रत भगवान कार्तिकेय को समर्पित है। भगवान कार्तिकेय को स्कंद, मुरुगन और सुब्रह्मण्य के नाम से भी जाना जाता है। वे भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र हैं। इस व्रत का पालन भक्तों के लिए अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है।

स्कंद षष्ठी व्रत के बारे में ज़रूरी बातें:

  • स्कंद षष्ठी व्रत हर महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को रखा जाता है।

  • मान्यता है कि इस दिन भगवान कार्तिकेय का जन्म हुआ था।

  • इस दिन भक्त उपवास करते हैं और भगवान कार्तिकेय की पूजा-अर्चना करते हैं।

  • इस व्रत को करने से भक्तों को संतान सुख, शत्रु पर विजय, स्वास्थ्य, और धन-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

  • इस व्रत को करने से ग्रह दोष भी दूर होते हैं।

  • इस व्रत को करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

  • दक्षिण भारत में इस व्रत का विशेष महत्व है।

स्कंद षष्ठी 2025 की तिथि और समय

  • पंचांग के अनुसार, पौष शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 4 जनवरी को रात 10:00 बजे शुरू हुई थी और 5 जनवरी को रात 8:15 बजे समाप्त हुई।

  • उदया तिथि के अनुसार, 5 जनवरी को स्कंद षष्ठी का व्रत रखा गया।

स्कंद षष्ठी के शुभ संयोग

2025 की स्कंद षष्ठी पर कई शुभ योगों का संयोग बना था, जो इसे और भी खास बनाता है:

  • त्रिपुष्कर योग – यह योग कार्यों की सिद्धि और शुभ फल प्रदान करने के लिए श्रेष्ठ माना जाता है।

  • सर्वार्थ सिद्धि योग – इस योग में किया गया कोई भी शुभ कार्य निश्चित रूप से सफलता प्रदान करता है।

  • रवि योग – यह योग नकारात्मक शक्तियों को दूर करने और सफलता प्राप्त करने के लिए श्रेष्ठ होता है।

स्कंद षष्ठी व्रत विधि

  1. प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

  2. भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा या चित्र के सामने दीप जलाएं।

  3. फूल, फल, नारियल और प्रसाद चढ़ाएं।

  4. स्कंद षष्ठी व्रत कथा का पाठ करें।

  5. दिनभर उपवास रखें और शाम को आरती के बाद फलाहार करें।

  6. भगवान कार्तिकेय की कृपा प्राप्ति के लिए "ॐ शरवनभवाय नमः" मंत्र का जाप करें।

स्कंद षष्ठी का व्रत भगवान कार्तिकेय के प्रति श्रद्धा और भक्ति प्रकट करने का एक महत्वपूर्ण पर्व है। इसे विधिपूर्वक करने से मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

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