स्कंद षष्ठी व्रत पूजा: संपूर्ण जानकारी | skand shashthee vrat pooja: sampoorn jaanakaaree

स्कंद षष्ठी व्रत पूजा: संपूर्ण जानकारी

स्कंद षष्ठी व्रत का महत्व हर महीने की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी का व्रत रखा जाता है। यह दिन भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र तथा देवताओं के सेनापति भगवान कार्तिकेय की आराधना करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का एक विशेष अवसर होता है। भगवान कार्तिकेय को कुमार, षण्मुख और स्कंद के नाम से भी जाना जाता है, इसलिए षष्ठी तिथि के व्रत को स्कंद षष्ठी और कुमार षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है।

इस दिन भगवान कार्तिकेय की विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाती है और व्रत रखा जाता है। यह व्रत जीवन में शुभता, समृद्धि लाने और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए किया जाता है।


स्कंद षष्ठी व्रत की पूजा विधि (Skanda Sashti Vrat Puja Vidhi)

  1. स्कंद षष्ठी व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके भगवान स्कंद का ध्यान कर व्रत का संकल्प लें।
  2. पूजा स्थल को साफ करके भगवान स्कंद की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  3. धूप और दीपक जलाकर भगवान का गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से अभिषेक करें।
  4. भगवान को चंदन, अक्षत, फूल आदि अर्पित करें और “ॐ स्कन्दाय नमः” मंत्र का जाप करें।
  5. स्कंद षष्ठी कवच का पाठ करें और भगवान कार्तिकेय की आरती करें।
  6. आरती के बाद भगवान को भोग लगाएं और पूजा में की गई गलतियों के लिए क्षमा मांगे।
  7. संध्या समय फिर से पूजा कर आरती करें और अगले दिन पूजा करके व्रत का पारण करें।


स्कंद षष्ठी व्रत के दिन भूलकर भी न करें ये गलतियां

  1. स्कंद षष्ठी व्रत के दिन केवल फलाहार ही करें, अन्य भोजन करने से व्रत पूर्ण नहीं माना जाता।
  2. व्रत के दिन तामसिक भोजन जैसे मांस, मदिरा, लहसुन, प्याज आदि का सेवन न करें।
  3. व्रत का पारण अगले दिन भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद ही करें।
  4. स्कंद षष्ठी व्रत की पूजा सूर्योदय के समय ही करनी चाहिए।


स्कंद षष्ठी व्रत का महत्व (Importance of Skanda Sashti) हिंदू धर्म में स्कंद षष्ठी व्रत का विशेष महत्व माना जाता है। यह व्रत भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र भगवान कार्तिकेय (स्कंद) को समर्पित है, जो शौर्य और विजय के देवता माने जाते हैं।

इस व्रत के लाभ:

  • संतान सुख की प्राप्ति

  • शत्रु पर विजय

  • स्वास्थ्य लाभ और रोगों से मुक्ति

  • धन-समृद्धि की प्राप्ति

  • आध्यात्मिक शांति और मोक्ष

यह व्रत विशेष रूप से दक्षिण भारत में प्रसिद्ध है। मान्यता है कि इसे करने से सभी प्रकार की बाधाओं का नाश होता है और व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं। भगवान कार्तिकेय की कृपा से जीवन में सफलता और समृद्धि प्राप्त होती है।

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