पंचमुखी हनुमान जी मंत्र

पंचमुखी हनुमान जी मंत्र:

पंचमुखी हनुमान मंत्र  उपासना में उपयोग किया जाने वाला एक प्रसिद्ध मंत्र है।
यह मंत्र पंचमुखी हनुमान रूप के शक्तिशाली अस्त्र-मंत्रों में से एक है, जिसे भक्ति और समर्पण के साथ जाप करने से व्यक्ति को सुरक्षा, सफलता, शक्ति और आध्यात्मिक उन्नति मिलती है।

पंचमुखी हनुमान जी मंत्र:

ॐ नमो भगवते पंचवदनाय आंजनेयाय महाबलाय स्वाहा।।
यह मंत्र अनुष्ठान के दौरान ध्यान और उपासना के साथ पंचमुखी हनुमान के प्रत्येक मुख को समर्पित किया जाता है। इसमें "ॐ" से शुरू होने वाला यह मंत्र विशेष शक्ति को धारण करता है और भक्त को आत्मसाक्षात्कार में मदद करता है।
सर्वोत्तम प्रभाव के लिए, इस मंत्र का नियमित जाप करने की अनुशासना के साथ प्रातः और सायंकाल को १०८ बार जपा जाता है। विशेषकर, मंत्र का उच्चारण साफ मन से और साधना के विशिष्ट समय में करने से अधिक लाभ होता है।कृपया ध्यान दें कि यह एक शक्तिशाली मंत्र है और इसे उपयुक्त मार्गदर्शन के बिना न जाने किसी भी कार्य में इस्तेमाल न करें। इसे सिद्ध करने और जप करने के लिए आप एक अनुभवी गुरु की मार्गदर्शन और सुझाव का सहारा लेना चाहिए।

हनुमान जी के कुछ और मंत्र:

  • ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकायं हुं फट्
  • ॐ हं हनुमते नम:
  • ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा
  • ॐ ऐं श्रीं ह्रीं ह्रीं हं ह्रौं ह्रः ऊँ नमो भगवते महाबल पराक्रमाय भूत-प्रेत-पिशाच ब्रह्म राक्षस शाकिनी डाकिनी यक्षिणी पूतना मारीमहामारी राक्षस भैरव बेताल ग्रह राक्षसादिकान् क्षणेन हन हन,भंजय भंजय मारय मारय,क्षय शिक्षय महामहेश्वर रुद्रावतार ऊँ हुम् फट स्वाहा ऊँ नमो भगवते हनुमदाख्याय रुद्राय सर्व दुष्टजन मुख स्तम्भनं 

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पंचमुखी हनुमान जी मंत्र ।" का अर्थ है:

  1.  "ॐ": इस मंत्र की शुरुआत ब्रह्म का प्रतीक है। यह प्राणवाचक ध्वनि है जो सृष्टि, स्थिति, और संहार के अनंत शक्तियों का प्रतिक है। इसे जप करने से मन को शांति मिलती है और चित्त का एकाग्रता होती है।
  2. "नमो": इस शब्द का अर्थ है समर्पण करना और आदर्श श्रद्धांजलि देना। इसके माध्यम से भक्त मंत्र के उद्देश्य का सम्मान करता है और उसके सामर्थ्य की प्रशंसा करता है।
  3. "भगवते": यह शब्द देवी देवता या परमेश्वर को संदर्भित करता है, इस मंत्र में भगवान पंचमुखी हनुमान जी की स्तुति होती है।
  4. "पंचवदनाय": "पंच" का अर्थ है पांच और "वदन" चेहरा। इससे भगवान पंचमुखी हनुमान के पांच मुख या चेहरों के संदर्भ में बात की जाती है।
  5. "आंजनेयाय": इस शब्द का अर्थ है आंजनेय (भगवान हनुमान का एक अन्य नाम) को संदर्भित करना।
  6. "महाबलाय": इसमें भगवान हनुमान के महान बल (शक्ति) की स्तुति होती है।
  7. "स्वाहा": यह एक विशेष दान करने की शक्ति का प्रतीक है। जप करते समय इस शब्द का उच्चारण किया जाता है, जिससे मंत्र का फल प्राप्त होता है।
यह मंत्र भगवान पंचमुखी हनुमान की स्तुति एवं समर्पण का प्रतीक है और इसे नियमित रूप से जप करने से भक्त को आध्यात्मिक और भौतिक लाभ प्राप्त होता है। यह मंत्र सकारात्मक ऊर्जा को जगाने में सहायक होता है और साधक को सामर्थ्य, साहस, और सुखशांति की प्राप्ति में मदद करता है।

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हनुमान जी का त्रिकालदर्शी मंत्र एक शक्तिशाली मंत्र है 

जिसका उच्चारण तीनों कालों (सुबह, दोपहर, और सांय) में किया जाता है। इस मंत्र के जाप से भगवान हनुमान जी साधक को सभी तीनों लोकों (भूलोक, भव्यलोक, और भूतलोक) में त्रिकाल दर्शन की प्राप्ति के लिए समर्थ बनाते हैं और उनकी कृपा से भक्त की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

हनुमान जी का त्रिकालदर्शी मंत्र:

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्री रामदूताय नमः।
मंत्र का अनुवाद:
  1. "ॐ": ब्रह्म का प्रतीक है।
  2. "ऐं": सरस्वती देवी का बीज मंत्र है, जो ज्ञान, बुद्धि, और कला के लिए संबंधित है।
  3. "ह्रीं": लक्ष्मी देवी का बीज मंत्र है, जो समृद्धि, धन, और सौभाग्य के लिए संबंधित है।
  4. "क्लीं": काली देवी का बीज मंत्र है, जो शक्ति और संहारक शक्ति के लिए संबंधित है।
  5. "श्री रामदूताय": इससे हनुमान जी को भगवान श्री राम के दूत का अर्थ है, जो अवतार और सर्वशक्तिमान हैं।
  6. "नमः": समर्पण करने और प्रणाम करने के लिए।
यह मंत्र विशेष रूप से त्रिकाल जाप के लिए प्रशिस्त है, जिसे अनुष्ठान करने से भक्त को आध्यात्मिक उन्नति, शक्ति, सफलता, और सुख-शांति की प्राप्ति होती है। इस मंत्र का नियमित जाप करने से भक्त को भगवान हनुमान की कृपा प्राप्त होती है और उनकी आशीर्वाद से सभी कष्टों और संकटों का नाश होता है।
कृपया ध्यान दें कि यह मंत्र प्रयोग करने से पहले अनुभवी गुरु या संबंधित विद्वान से परामर्श लेना बेहद महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि मंत्र का नियमित जाप और अनुष्ठान करने के लिए नियम और विधियां होती हैं।

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हनुमान तंत्र Hanuman Tantra एक धार्मिक एवं आध्यात्मिक शास्त्र है 

जो भगवान हनुमान के उपासना, साधना, मंत्र, तंत्र, और विधान के विषय में ज्ञान प्रदान करता है। हनुमान तंत्र भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण तंत्र शास्त्र माना जाता है जिसमें हनुमान जी के विभिन्न साधना विधि, मंत्र-साधना, उपासना विधि, और तंत्रिक विधाएं संबंधित होती हैं।
हनुमान तंत्र में हनुमान जी को सर्वशक्तिशाली, दयालु, धर्मात्मा, वीरता के प्रतीक, एक महावीर, और भक्तों के परिपालक रूप में समर्पित किया जाता है। भगवान हनुमान को सभी संकटों से रक्षा करने के लिए जाना जाता है और उनके उपासना और साधना से भक्त को आध्यात्मिक उन्नति, शक्ति, सौभाग्य, और सुख-शांति की प्राप्ति होती है।हनुमान तंत्र के अन्तर्गत कई प्रकार के मंत्र, यंत्र, ध्यान, पूजा, अर्चना, साधना, और उपासना विधाएं शामिल होती हैं। यह तंत्र उन लोगों के लिए उपयोगी होता है जो हनुमान जी के भक्त हैं और उनसे आध्यात्मिक और भौतिक समृद्धि की प्राप्ति का इच्छुक होते हैं।
हनुमान तंत्र के अध्ययन और अनुष्ठान के लिए अनुभवी गुरु या संबंधित विद्वान की मार्गदर्शन और सुझाव का सहारा लेना बेहद महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह विधियाँ और साधना विधि विशेषज्ञता और संबंधित ज्ञान की आवश्यकता प्रस्तुत करता है। ध्यान दें कि तंत्र, मंत्र, और यंत्र संबंधित शास्त्रों का उपयोग सावधानीपूर्वक और जिम्मेदारी से ही करना चाहिए।

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