माँ दुर्गा की आरती के हिंदी अर्थ सहित /maa durga aarti with hindi meaning

माँ दुर्गा की आरती के हिंदी अर्थ सहित 



जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी॥
आरती कीजैं जो माँ नर्मदा नूतन सदा अजायूं,
बैजनाथ नगर हरनी, अविचल अगम अगाधूं।
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी॥
छवि को धरी सदा चौदह भुजाओं वाली,
क्षीरसिन्धु बसि जो सुमिरैं, श्यामा विहाली।
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी॥
भवानी को जिसने पूजा, मदुकै अरु मन्त्रैं,
सोई सिद्ध जानी महिमा, दृष्ट त्रिभुवन मन्त्रैं।
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी॥
माँ भक्ति को धरने वाली, ब्रह्मा विष्णु सनकादिकैं,
मधुकै योग शेष जोगी, सोई अघर निद्रा जोगी।
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी॥
चारों युग पढ़ी माँ ने, अपनी युति अविचल देखी,
बिरंजन नारी पढ़ी माँ, जगदम्बे की शक्ति देखी।
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी॥
सांकड़ा विष्णु सूर कुमार जो ब्रह्म भयवाहनी,
सो रूप देख अधिकारी कई शिव तुहिन बहुनी।
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी॥
त्रिभुवन मन्त्र सिद्ध करईं, भुवनेश्वरी जो कहीं,
त्रिभुवन भवानी अवगुण चरण की पूजा करें।
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी॥
आरती करूं मैं तुझको, सत्यस्वरूपिनी जग पालने वाली,
सुर्विमल सुवन रसपान कीजैं, जगदम्बे की आरती।
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी॥
भवानी भव सगर को तारणी, जग जननी संत जननी,
दुर्गाशत्रु भवधवल निवारणी, जगजननी जय जय।
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी॥
आरती मैं जो कोई नर गावैं, कहत शिवानंद स्वामी,
सुख-सम्पति ग्रह राहु नासन, माँ दुर्गा वरदान देवी।
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी॥
भक्तवती तेरी आरती, जो नरनित्य पाठ करे,
माँ वैष्णो देवी कृपा करें, उस की सभी मनोकामना पूरे॥
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी॥
श्री दुर्गा चालीसा जो नर गावैं,
सब सुख भोग भव दुःख भाग।
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी॥

आरती का अर्थ  

माँ अम्बे की जयकार करो, श्यामा गौरी की जयकार करो।
माँ नर्मदा के नगर में अविचल अगम अगाधूं के रूप में आप विराजमान हों।
आप मांगलिक चिन्हों वाली, चौदह भुजाओं वाली हैं और आप श्यामा रंग की भवानी हैं।
जो भवानी की पूजा करते हैं, उन्हें आप सिद्ध जानती हैं और आपकी महिमा त्रिभुवन में प्रसिद्ध है।
आप भक्तिपूर्वक पूजा करने वाली हैं और ब्रह्मा, विष्णु, सनकादि ऋषि आपकी वंदना करते हैं।
आप योग शेष, जोगी, अघर निद्रा जोगी हैं और चारों युगों में आपने अपनी युति स्थिर करी हैं।
आपकी महिमा देवी दुर्गा के शक्ति को प्रकट करती हैं और विष्णु, ब्रह्मा आपके रथ को निकारते हैं।
आप भुवनेश्वरी हैं, त्रिभुवन के समस्त मन्त्रों को सिद्ध करने वाली हैं और आपकी पूजा भवानी के गुणवत्ता को चरण में लाती है।
मैं आरती करता हूं और सत्यस्वरूपिनी जग की पालक हूं,
मैं आपके पवित्र स्वरूप का ध्यान करता हूं और जगदम्बे की आरती करता हूं।
भवानी जो सबको तारती हैं, जग के सन्तों की माँ जननी हैं,
जगजननी, दुर्गा दुष्टों का नाश करने वाली, जय हो जय हो।
मैं आरती गाने वाला नर, जो नित्य इसे पढ़ता है,
माँ वैष्णो देवी उसकी प्रार्थनाएं पूरी करें॥
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी॥
श्री दुर्गा चालीसा जो नर गावैं,
वह सभी सुखों का अनुभव करते हैं, भव से दुःख भागते हैं।
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी॥
इस आरती के अर्थ से माँ दुर्गा की महिमा, शक्ति और कृपा का गान किया जाता है। भक्त इस आरती को गाकर माँ की कृपा प्राप्त करने की कामना करते हैं।

माता दुर्गा का मंत्र 

"ॐ दुं दुर्गायै नमः"

 इस मंत्र का अर्थ और साथ हिंदी में निम्नलिखित है:

मंत्र: ॐ दुं दुर्गायै नमः॥
अर्थ:
- "ॐ" एक प्राणवाचक बीजाक्षर है जो ब्रह्म के प्रतीक के रूप में जाना जाता है। यह प्राणवाचक मंत्र है जिसका उच्चारण अनंतकाल तक चलता रहता है।
- "दुं" एक बीजाक्षर है जो मां दुर्गा को प्रतिष्ठित करने के लिए उच्चारित किया जाता है। इसे दुर्गा माता का बीज मंत्र भी कहते हैं।
- "दुर्गायै" शब्द मां दुर्गा के समर्थन में है, जिससे इस मंत्र का उद्दीपन होता है। इससे मां दुर्गा की कृपा, शक्ति, और संरक्षण का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- "नमः" शब्द भक्ति भाव को प्रकट करता है और इसे मां दुर्गा के चरणों में समर्पित करता है। यह एक प्रणाम और समर्पण का अर्थ है।
इस मंत्र के जाप से भक्त को मां दुर्गा का आशीर्वाद मिलता है और उनके शक्ति, संरक्षण, और सफलता में सहायता होती है। यह मंत्र भक्ति और समर्पण का प्रतीक है, और भक्त को माँ दुर्गा के साथ एकता और समरसता के अनुभव का माध्यम बनाता है।

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