सूर्य नमस्कार के 12 आसन और नमस्कार करने का क्या महत्व तथा मंत्र,12 postures of Surya Namaskar and what is the importance and mantra of doing Namaskar
सूर्य नमस्कार के 12 आसन और नमस्कार करने का क्या महत्व तथा 22 मंत्र
'सूर्य नमस्कार' का शाब्दिक अर्थ सूर्य को नमस्कार करना है। यह योग आसन शरीर को सही आकार देने और मन को शांत व स्वस्थ रखने का उत्तम तरीका है।सूर्य नमस्कार के द्वारा त्वचा के रोग समाप्त हो जाते हैं अथवा इनके होने की संभावना समाप्त हो जाती है। इस अभ्यास से कब्ज आदि उदर रोग समाप्त हो जाते हैं और पाचन तंत्र की क्रियाशीलता में वृद्धि हो जाती है। सूर्य नमस्कार १२ शक्तिशाली योग आसनों का एक समन्वय है, जो एक उत्तम कार्डियो-वॅस्क्युलर व्यायाम भी है और स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।इस अभ्यास के द्वारा हमारे शरीर की छोटी-बड़ी सभी नस-नाडि़यां क्रियाशील हो जाती हैं, इसलिए आलस्य, अतिनिद्रा आदि विकार दूर हो जाते हैं। सूर्य नमस्कार की तीसरी व पांचवीं स्थितियां सर्वाइकल एवं स्लिप डिस्क वाले रोगियों के लिए वर्जित हैं।
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12 postures of Surya Namaskar and what is the importance and mantra of doing Namaskar |
कौन से हैं सूर्य नमस्कार के 12 आसन
योग प्रशिक्षक अभिनव शुक्ला का कहना है कि सूर्य नमस्कार 12 चरणों में किया जाने वाला आसन है. जिसमें प्रणामासन, हस्तोत्तानासन, हस्तपादासन, अश्व संचालनासन, दंडासन, अष्टांग नमस्कार, भुजंगासन, अधोमुख श्वानासन, अश्व संचालनासन, हस्तपादासन, हस्तोत्तानासन और ताड़ासन हैं
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सूर्य नमस्कार 12 चरणों में किया जाने वाला आसन
- प्रणामासन
दोनों हाथ प्रणाम की स्थिति से जोड़कर छाती के गड्ढ़े (हृदय चक्र) पर रखें, कोहनियां बाहर की ओर खिंची हों। इसके साथ ॐ मित्राय नमः इस मंत्र का उच्चारण करें।
सूर्य नमस्कार आसन के लिए पहले सीधे खड़े होकर पीठ, गर्दन और सिर को एक सीध में रखें। दोनों पैरों को मिलाकर सावधान की स्थिति बनाएं। दोनों हाथों को जोड़कर छाती से सटाकर नमस्कार या प्रार्थना की मुद्रा बना लें। अब पेट को अंदर खींचकर छाती को चौड़ा करें। इस स्थिति में आने के बाद अंदर की वायु को धीरे-धीरे बाहर निकाल दें और कुछ क्षण उसी स्थिति में रहें। इसके बाद स्थिति 2 का अभ्यास करें। अब सांस अंदर खींचते हुए दोनों हाथों को कंधों की सीध में ऊपर उठाएं और जितना पीछे ले जाना सम्भव हो ले जाएं
- हस्तउत्तानसन
श्वास भरते हुए दोनों भुजाएं सिर के ऊपर ले जाएँ, बाजू सीधे और कान के साथ मिले रहें। कमर के ऊपरी भाग को यथाशक्ति पीछे झुकाएं, हाथ व भुजाएं टेढ़ी न हो। इसके साथ ॐ रवये नमः इस मंत्र का उच्चारण करें।
अब सांस अंदर खींचते हुए दोनों हाथों को कंधों की सीध में ऊपर उठाएं और जितना पीछे ले जाना सम्भव हो ले जाएं। फिर सांस बाहर छोड़ते और अंदर खींचते हुए सीधे खड़े हो जाएं। ध्यान रखें कि कमर व घुटना न मुड़े। इसके बाद 3 स्थिति का अभ्यास करें।
- पादहस्तासन
सांस को छोड़ते हुए भुजाओं को सामने की ओर से नीचे लाएं, हाथ की हथेलियां पाँव के बराबर, जमीन पर लगे। माथे को घुटने के साथ लगाएं। ॐ सूर्याय नमः इस मंत्र का उच्चारण करें।
सांस को बाहर निकालते हुए शरीर को धीरे-धीरे सामने की ओर झुकाते हुए हाथों की अंगुलियों से पैर के अंगूठे को छुएं। इस क्रिया में हथेलियों और पैर की एड़ियों को बराबर स्थिति में जमीन पर सटाने तथा धीरे-धीरे अभ्यास करते हुए नाक या माथे को घुटनों से लगाने का भी अभ्यास करना चाहिए। यह क्रिया करते समय घुटने सीधे करके रखें। इस क्रिया को करते हुए अंदर भरी हुई वायु को बाहर निकाल दें। इस प्रकार सूर्य नमस्कार के साथ प्राणायाम की क्रिया भी हो जाती है। अब चौथी स्थिति का अभ्यास करें। ध्यान रखें- आसन की दूसरी क्रिया में थोड़ी कठिनाई हो सकती है इसलिए नाक या सिर को घुटनों में सटाने की क्रिया अपनी क्षमता के अनुसार ही करें और धीरे-धीरे अभ्यास करते हुए क्रिया को पूरा करने की कोशिश करें। अब सांस अंदर खींचते हुए दोनों हाथ और बाएं पैर को वैसे ही रखें तथा दाएं पैर को पीछे ले जाएं और घुटने को जमीन से सटाकर रखें
- अश्व-संचालनासन
बायीं टांग पीछे ले जाएँ, दाँया घुटना दोनों भुजाओं के बीच छाती के बराबर रहेगा। गर्दन को अधिक से अधिक दबाएं, छाती को आगे निकालें। इसके साथ ॐ भानवे नमः इस मंत्र का उच्चारण करें।
अब सांस अंदर खींचते हुए दोनों हाथ और बाएं पैर को वैसे ही रखें तथा दाएं पैर को पीछे ले जाएं और घुटने को जमीन से सटाकर रखें। बाएं पैर को दोनो हाथों के बीच में रखें। चेहरे को ऊपर की ओर करके रखें तथा सांस को रोककर ही कुछ देर तक इस स्थिति में रहें। फिर सांस छोड़ते हुए पैर की स्थिति बदल कर दाएं पैर को दोनो हाथों के बीच में रखें और बाएं पैर को पीछे की ओर करके रखें। अब सांस को रोककर ही इस स्थिति में कुछ देर तक रहें। फिर सांस को छोड़े। इसके बाद पांचवीं स्थिति का अभ्यास करें। अब सांस को अंदर खींचकर और रोककर दोनों पैरों को पीछे की ओर ले जाएं। इसमें शरीर को दोनो हाथ व पंजों पर स्थित करें।
- दंडासन
श्वास छोड़ते हुए दायीं टांग भी पीछे जाएँ। एड़ियों को धरती पर पूरी तरह से लगाएं, नितम्ब ऊपर उठे रहे। ठोड़ी छाती के साथ लग जाए। इसके साथ ॐ खगाय नमः इस मंत्र का उच्चारण करें।
अब सांस को अंदर खींचकर और रोककर दोनों पैरों को पीछे की ओर ले जाएं। इसमें शरीर को दोनो हाथ व पंजों पर स्थित करें। इस स्थिति में सिर, पीठ व पैरों को एक सीध में रखें। अब सांस बाहर की ओर छोड़ें। इसके बाद छठी स्थिति का अभ्यास करें। अब सांस को अंदर ही रोककर रखें तथा हाथ, एड़ियों व पंजों को अपने स्थान पर ही रखें। अब धीरे-धीरे शरीर को नीचे झुकाते हुए छाती और मस्तक को जमीन पर स्पर्श कराना चाहिए
- अष्टांग नमस्कार
श्वास भरते समय माथा, छाती, दोनों घुटने धरती पर लगाएं, श्वास छोड़ दें। कमर थोड़ी सी ऊपर उठी रहेगी। इसके साथ ॐ पूष्णेये नमः इस मंत्र का उच्चारण करें।
अब सांस को अंदर ही रोककर रखें तथा हाथ, एड़ियों व पंजों को अपने स्थान पर ही रखें। अब धीरे-धीरे शरीर को नीचे झुकाते हुए छाती और मस्तक को जमीन पर स्पर्श कराना चाहिए और अंदर रुकी हुई वायु को बाहर निकाल दें। इसके बाद सातवीं स्थिति का अभ्यास करें। फिर सांस अंदर खींचते हुए वायु को अंदर भर लें और सांस को अंदर ही रोककर छाती और सिर को ऊपर उठाकर हल्के से पीछे की ओर ले जाएं
- भुजंगासन
श्वास भरते हुए छाती को ऊपर उठाये, सिर को पीछे रीढ़ की हड्डी की ओर ले जाएँ। इसके साथ ॐ हिरण्यगर्भाय नमः इस मंत्र का उच्चारण करें।
फिर सांस अंदर खींचते हुए वायु को अंदर भर लें और सांस को अंदर ही रोककर छाती और सिर को ऊपर उठाकर हल्के से पीछे की ओर ले जाएं और ऊपर देखने की कोशिश करें। इस क्रिया में सांस रुकी हुई ही रहनी चाहिए। इसके बाद आठवीं स्थिति का अभ्यास करें। अब सांस को बाहर छोड़ते हुए आसन में नितम्ब (हिप्स) और पीठ को ऊपर की ओर ले जाकर छाती और सिर को झुकाते हुए दोनों हाथों के बीच में ले आएं।
- पर्वतासन
श्वास छोड़ते हुए नितम्ब ऊपर उठाये, ठोड़ी छाती के साथ, एड़ियां धरती के साथ लगे। इसके साथ ॐ मरीच्यै नमः इस मंत्र का उच्चारण करें।
अब सांस को बाहर छोड़ते हुए आसन में नितम्ब (हिप्स) और पीठ को ऊपर की ओर ले जाकर छाती और सिर को झुकाते हुए दोनों हाथों के बीच में ले आएं। आपके दोनों पैर नितंबों की सीध में होने चाहिए। ठोड़ी को छाती से छूने की कोशिश करें और पेट को जितना सम्भव हो अंदर खींचकर रखें। यह क्रिया करते समय सांस को बाहर निकाल दें। यह भी एक प्रकार का प्राणायाम ही है। इसके बाद नौवीं स्थिति का अभ्यास करें। इस आसन को करते समय पुन: वायु को अंदर खींचें और शरीर को तीसरी स्थिति में ले आएं। इस स्थिति में आने के बाद सांस को रोककर रखें।
- अश्व संचालनासन
श्वास लेते हुए दायीं टांग आगे लाये, सिर को ऊपर की ओर पीछे ले जाएँ, छाती आगे निकालें। 4 की स्थिति। इसके साथ ॐ आदित्याय नमः इस मंत्र का उच्चारण करें।
इस आसन को करते समय पुन: वायु को अंदर खींचें और शरीर को तीसरी स्थिति में ले आएं। इस स्थिति में आने के बाद सांस को रोककर रखें। अब दोनों पैरों को दोनों हाथों के बीच में ले आएं और सिर को आकाश की ओर करके रखें। इसके बाद दसवीं स्थिति का अभ्यास करें। इसमें सांस को बाहर छोड़ते हुए अपने शरीर को दूसरी स्थिति की तरह बनाएं। आपकी दोनो हथेलियां दोनो पैरों के अंगूठे को छूती हुई होनी चाहिए।
- पादहस्तासन
श्वास छोड़ते हुए बायीं टांग को आगे ले जाएँ। घुटने सीधे रखते हुए माथे को घुटने के साथ लगाएं। 3 की स्थिति। इसके साथ ॐ सावित्र्ये नमः इस मंत्र का उच्चारण करें।
इसमें सांस को बाहर छोड़ते हुए अपने शरीर को दूसरी स्थिति की तरह बनाएं। आपकी दोनो हथेलियां दोनो पैरों के अंगूठे को छूती हुई होनी चाहिए। सिर को घुटनों से सटाकर रखें और अंदर की वायु को बाहर निकाल दें। इसके बाद ग्याहरवीं स्थिति का अभ्यास करें। अब पुन: फेफड़े में वायु को भरकर पहली स्थिति में सीधे खड़े हो जाएं। इस स्थिति में दोनों पैरों को मिलाकर रखें
- हस्तउत्तानसन
श्वास भरते हुए भुजाएं सिर के ऊपर ले जाएँ, कमर को पीछे झुकाएं। 2 की स्थिति। इसके साथ ॐ अर्काय नमः इस मंत्र का उच्चारण करें।
अब पुन: फेफड़े में वायु को भरकर पहली स्थिति में सीधे खड़े हो जाएं। इस स्थिति में दोनों पैरों को मिलाकर रखें और पेट को अंदर खींचकर छाती को बाहर निकाल लें। इस तरह इस आसन का कई बार अभ्यास कर सकते हैं। अब सांस बाहर छोड़ते हुए पहली वाली स्थिति की तरह नमस्कार मुद्रा में आ जाएं। शरीर को सीधा व तानकर रखें।
- प्रणामासन
श्वास छोड़ते हुए स्थिति एक में आकर हाथ नीचे कर लें। इसके साथ ॐ भास्कराय नमः इस मंत्र का उच्चारण करें।
अब सांस बाहर छोड़ते हुए पहली वाली स्थिति की तरह नमस्कार मुद्रा में आ जाएं। शरीर को सीधा व तानकर रखें। इसके बाद दोनों हाथ को दोनों बगल में रखें और पूरे शरीर को आराम दें। इस प्रकार इन 12 क्रियाओं को करने से सूर्य नमस्कार आसन पूर्ण होता है।
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सूर्य नमस्कार के साथ पढ़े जाने वाले 22 मंत्र
सूर्य नमस्कार आसन में विभिन्न मंत्रों को पढ़ने का नियम बनाया गया है। इन मंत्रों को विभिन्न स्थितियों में पढ़ने से अत्यंत लाभ मिलता है। सूर्य नमस्कार का अभ्यास क्रमबद्ध रूप से करते हुए तथा उसके साथ मंत्र का उच्चारण करते हुए अभ्यास करना चाहिए।
सूर्य नमस्कार आसन में विभिन्न 22 मंत्र
- ऊँ ह्राँ मित्राय नम:।
- ऊँ ह्राँ रवये नम:।
- ऊँ ह्रूँ सूर्याय नम:।
- ऊँ ह्रैं मानवे नम:।
- ऊँ ह्रौं खगाय नम:।
- ऊँ ह्र: पूष्पो नम:।
- ऊँ ह्राँ हिरण्यगर्भाय नम:।
- ऊँ ह्री मरीचये नम:।
- ऊँ ह्रौं अर्काय नम:।
- ऊँ ह्रूँ आदित्याय नम:।
- ऊँ ह्र: भास्कराय नम:।
- ऊँ ह्रैं सविणे नम:।
- ऊँ ह्राँ ह्री मित्ररविभ्याम्:।
- ऊँ ह्रू हें सूर्याभानुभ्याम नम:।
- ऊँ ह्रौं ह्री खगपूषभ्याम् नम:।
- ऊँ ह्रें ह्रीं हिरण्यगर्भमरीचियाम् नम:।
- ऊँ ह्रू ह्रू आदित्यसविती्याम्:।
- ऊँ ह्रौं ह्रः अर्कभास्कराभ्याम् नम:।
- ऊँ ह्राँ ह्रां ह्रूँ ह्रैं मित्ररवि सूर्यभानुष्यो नम:।
- ऊँ ह्र ह्रें ह्रौं ह्र: आदित्यसवित्रर्कफारकरेभ्यो नम:।
- ऊँ ह्रों ह्रः ह्रां ह्रौं खगपूशहिरिण्यगर्भ मरीचिभ्यो नम:।
- ऊँ ह्राँ ह्रों ह्रं ह्रै ह्रौं ह्रः, ऊँ ह्राँ ह्रीं ह्रू ह्रैं ह्रीं ह्रः मित्र रविसूर्यभानुखगपूषहिरण्यग भमरीच्यादिन्यासवित्रक भास्करूभ्यो नम:।
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12 सूर्य नमस्कार रोज करने से क्या होता है
सूर्य नमस्कार 12 योगासनों को मिलाकर बनाया गया है. हर एक आसान का अपना महत्व है. इसे करने वालों का कार्डियोवस्कुलर स्वास्थ्य अच्छा रहता है. साथ ही शरीर में खून का संचार भी दुरुस्त होता है.
सूर्य नमस्कार कितने मिनट में पूरा करना है?
सूर्य नमस्कार एक संपूर्ण व्यायाम है। सूर्य देव को 12 बार नमस्कार करना शरीर को सुडौल बनाने और वजन नियंत्रित करने में बहुत कारगर है। ऐसा माना जाता है कि सूर्य नमस्कार का एक सेट 12-18 मिनट की अवधि में 288 योग मुद्राओं को करने के बराबर होता है
सूर्य नमस्कार के तुरंत बाद क्या करें?
जब आपका सूर्य नमस्कार का आखरी राउंड भी पूरा हो जाए तो आप को लेट जाना है और अपने शरीर को रिलैक्स कर लेना है। योग निद्रा में लेटें ताकि की गई स्ट्रेच का आपके शरीर को अधिक लाभ मिल सके। अपने शरीर और मस्तिष्क को पूर्ण विश्राम देने के लिए आप शवासन में भी लेट सकते हैं।
50 सूर्य नमस्कार में कितनी कैलोरी बर्न होती है?
सूर्य नमस्कार अभ्यास के दौरान जली गई कैलोरी की संख्या कई कारकों के आधार पर भिन्न हो सकती है, जैसे आपके शरीर का वजन, उम्र और परिश्रम का स्तर। हालाँकि, औसतन, 20 मिनट में 50 सूर्य नमस्कार (25 सेट) का अभ्यास करने से 65 किलोग्राम (143 पाउंड) वजन वाले व्यक्ति के लिए लगभग 200-300 कैलोरी जल सकती है।
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